(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Hanuman Ji: 16 से 21 साल के युवाओं को इस देवता की करनी चाहिए भक्ति
Hanuman Ji: भगवान हनुमान एक ओर देवत्व के रूप में पूजनीय हैं तो वहीं दूसरी ओर उनका जीवन चरित्र (Characteristic of Bajrangbali) अनुकरणीय है. कई लोग उन्हें देवता के साथ ही अपना आदर्श (Ideal) मानते हैं.
Hanuman Ji: हिंदू धर्म में वैसे तो कई देवी-देवता हैं. लेकिन हनुमान जी को कलियुगी देवताओं में प्रमुख माना गया है. ये अष्ट चिरंजीवियों में एक हैं. साथ ही भगवान हनुमान युवाओं के आदर्श माने जाते हैं. स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) भी हनुमान जी की पूजा करते थे और उनके चरित्रों को अपना आदर्श मानते हैं.
हनुमान जी के चरित्रों का वर्णन रामायण (Ramayan) के सुंदरकांड और हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) में भी मिलता है. उनका चरित्र युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. ऐसे में 16-21 साल के युवाओं को हनुमान जी की भक्ति (Devotion of hanuman) जरूर करनी चाहिए. साथ ही उनके जीवन चरित्र को आदर्शों मानकर पालन करना चाहिए.
युवावस्था में क्यों जरूरी है भक्ति (Why devotion necessary in youth)
वैसे तो भक्ति की कोई उम्र नहीं होती. लेकिन आजकल की युवा पीढ़ियों को यह समझना होगा कि भक्ति के लिए युवावस्था ही सबसे श्रेष्ठ है. क्योंकि इस उम्र में आप भक्ति में मन लगाकर बुरे कर्मों से दूर रह सकते हैं और आपका भविष्य उज्जवल बन सकता है. बुरे कर्मों से लिप्त हो जाने पर भविष्य भी संकट में आ सकता है. ऐसे में जीवन को सही मार्ग देने के लिए इस उम्र में भक्ति आवश्यक है.
युवाओं के संकट मोचन (Hanuman of youth)
हनुमान जी की पूजा हर उम्र के लोग करते हैं. लेकिन 16-21 साल के युवा हनुमान जी भक्ति के साथ ही उनके जीवन चरित्र से बहुत सीख ले सकते हैं. ये सीख आपको सफलता के शिखर तक पहुंचा सकते हैं. आइये जानते हैं हनुमान के विशिष्ट गुणों के बारे में, जो हर युवा को जरूर अपनानी चाहिए.
- आजकल की युवा पीढ़ी में खासकर लड़कों को हनुमान जी की तरह स्त्रियों का सम्मान करना सीखना चाहिए. हनुमान जी हर स्त्री को मां समान मानते थे.
- आजकल की अधिकतर युवा पीढ़ियों में तनाव, डिप्रेशन (depression) और एंग्जायटी की समस्या बढ़ रही है. इसका एक कारण यह है कि हम विनम्र रहना भूल गए हैं और हमारा मस्तिष्क डिस्टर्ब रहने लगा है. ऐसे में हनुमान जी का स्मरण मात्र आपको विनम्रता और भक्ति का अहसास कराता है. इसलिए हनुमान चालीसा में लिखा है- संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा. यानी जो हनुमान जी का स्मरण करता है, उसके सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं.
- हनुमान चालीसा के शुरुआत में है, ‘बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार’. बुद्धि और ज्ञान के बल पर हनुमान जी कई समस्याओं को पार कर निकल गए. इसलिए युवा पीढ़ी को भी हनुमान जी भक्ति करते हुए उनके बल, बुद्धि और विद्या का वरदान मांगना चाहिए.
- हनुमान जी से युवा सफलता का मूल मंत्र (Success Mantra) सीख सकते है. सफलता का मूल मंत्र श्रेय लेने से अधिक लक्ष्य हासिल करने पर फोकस करना है. हनुमान जी ने भी यही किया था. लंका से सीता जी की खोज करना उनकी अहम भूमिका रही. लेकिन उन्होंने सारा श्रेष्य रामजी की कृपा को दिया. इसलिए श्रेय लेने की होड़ में न रहे. अगर आप मेहनत से सफलता हासिल करेंगे तो स्वभाविक है कि सराहना होगी.
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