शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए करें हनुमान जी की साधना, होगा फायदा
अगर किसी जातक को शनि की साढ़े साती या ढईया चल रहा हो तो उसे हनुमान जी की आराधना करना चाहिए. अनुमान जी की आराधना करने से शनि का कोप शांत होता है. हनुमान भक्तों को शनि की वक्र दृष्टि में भी कोई नुकसान नहीं होता है.
राम दूत भगवान हनुमान से शनि का संबंध जानने के लिए आपको पौराणिक कथा को जानना आवश्यक है. माता सीता की खोज में हनुमानजी लंका में घर-घर घूम कर पता लगा रहे थे कि आखिर किस घर में माता सीता को रावण ने कैद कर रखा है. हनुमान माता सीता को खोजते हुए जब घूम रहे थे तो एक काल कोठरी के कुएँ में उल्टे लटके शनिदेव को पाया. शनिदेव ने हनुमानजी को अपना दुखड़ा सुनाया कि उन्हें रावण ने सिर्फ इसलिए सजा दी है कि वे लोगों को अपनी वक्र दृष्टि से परेशान करते हैं, जबकि यह उनका काम है. वे सिर्फ अपना काम करते हैं. हनुमानजी ने आश्वासन दिया कि माता सीता की खोज के बाद वे उन्हें रावण की कैद से मुक्त करा देंगे. हनुमान जी माता सीता की खोज में चले गए. लंका में माता सीता उन्हें अशोक वाटिका में मिलीं. हनुमान जी ने अशोक वाटिका उजाड़ दी. अशोक वाटिका उजाड़ने के अपराध में हनुमान को लंका की सभा में उनकी पूंछ में आग लगा कर सजा दी गई. हनुमान सारी लंका में घूम-घूम कर अपनी पूंछ से आग लगाते रहे लेकिन वो जली नहीं क्योंकि लंका सोने की नगरी थी. हनुमान जी को तब याद आया कि लंका ऐसे नहीं जलेगी उसके लिए उन्हें कुछ दूसरा उपाय करना पड़ेगा. उन्हें काल कोठरी के कुएँ में उल्टे लटके शनिदेव की आद आई. वे सीधे उस काल-कोठरी में पहुंचे और शनिदेव को मुक्त कर दिये. मुक्त होने के बाद शनिदेव ने अपनी वक्र दृष्ट लंका नगर पर डाली. पूरी लंका शनि के कोप से सोने के सुनहरे रंग की जगह काली पड़ गई. शनि की दृष्टि पड़ने के साथ ही लंका जलने लगी. हनुमान जी प्रसन्न हो गए. अपने को रावण के कारावास से मुक्त पा कर शनिदेव भी प्रसन्न थे उन्होंने हनुमान जी को वर मांगने को कहा. हनुमान जी ने विनम्रता से कहा उन्हें किसी वर की आवश्यकता नहीं है वे रामभक्त हैं. आपने अपनी वक्र दृष्टि लंका पर डाल कर वैसे ही सहयोग किया. लेकिन फिर भी शनिदेव ने अपनी तरफ से हनुमान जी को वर दिया कि अगर कोई व्यक्ति आपकी आराधना करेगा तो मेरा प्रकोप उस पर नहीं होगा. तभी से हनुमान भक्तों को शनि की दृष्टि हनि नहीं पहुंचाती है. उसी कथा के कारण धार्मिक रूप से शनि प्रकोप में हनुमान जी की आराधना करने को कहा जाता है.