Ramayan : मां सीता से हनुमानजी को मिली आठ शक्तियां, जानिए क्या-क्या
पति श्रीराम के सबसे बड़े भक्त और लंका में विजय में मददगार रहे हनुमानजी को मां सीता ने कई शक्तियों से नवाजा, आइए जानते हैं कि आखिर कैसी थीं ये शक्तियां.
Ramayan : भगवान राम की लंका विजय में परमभक्त हनुमानजी का सबसे अहम योगदान रहा. चाहे वो मां सीता की खोज करना हो या लक्ष्मणजी को मूर्छा से मुक्त कराने के लिए संजीवनी बूटी लाना, हनुमानजी हमेशा संकटमोचक बने. ऐसे में जब रामजी मां सीता और भाई लक्ष्मणजी के साथ अयोध्या लौटे तो राज्याभिषेक के बाद सभी लोगों को रत्न उपहार बांटे गए. इस दौरान मां सीता ने उन्हें आठ सिद्धि और नौ निधियों से नवाजा, जिनके जरिए वह सृष्टि का हर काम करने में सक्षम हो गए. यह वे शक्तियां थी, जिनके जरिए हनुमान को ऋषियों से शक्ति भूल जाने का मिला श्राप भी मद्धिम हो गया था. मां से मिले आशीर्वाद से विह्वल हनुमानजी हमेशा के लिए अयोध्या में रुक गए, जबकि साथ आए विभीषण, सुग्रीव और वानर सेना के प्रमुख लोग अपने-अपने मूल निवास लौट गए. कहा जाता है कि हनुमान की मौजूदगी के चलते खुद काल भी श्रीराम को अपने साथ नहीं ले जा सकते थे, इसलिए श्रीराम ने खुद हनुमान को अपने से दूर करने के लिए अंगूठी दरार में डालकर खोजने का बहाना बनाया, जिसकी तलाश में हनुमानजी पाताल लोक पहुंच गए थे.
आठ सिद्धियां
1. अणिमा : इस शक्ति को प्राप्त करने वाला साधक किसी को नजर नहीं आता है. वह ठोस, द्रव या वायु के अलावा कठिन से कठिन पदार्थ में प्रवेश कर सकता है.
2. महिमा : इस शक्ति को प्राप्त करने वाला योगी खुद को आकार में बेहद बड़ा बना सकता है।
3. गरिमा : इसके जरिए साधक खुद को चाहे जितना वजनी या भारी बनाने में समर्थ रहता है.
4. लघिमा : इसे शक्ति के जरिए साधक खुद को जितना चाहे उतना हल्का बना सकता है.
5. प्राप्ति : हर तरह की इच्छित वस्तुएं मिल सकती हैं. पशु-पक्षियों की भाषा समझ सकते हैं.
6. प्राकाम्य: इस शक्ति के जरिए साधक पृथ्वी में समा सकता है, आकाश में उड़ सकता है.
7. ईशित्व : इससे साधक हर किसी पर शासन करने में सामर्थ्यवान हो जाता है.
8. वशित्व : इस शक्ति से वह दूसरों को वश में कर सकता है.
नौ निधियां :
पद्म निधि : इसमें मनुष्य सात्विक होता है और स्वर्ण, चांदी आदि दान करता है.
महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है.
नील निधि : इसमें मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है, उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है.
मुकुंद निधि : मुकुंद निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है, जो राज्यसंग्रह में लगा रहता है.
नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस, तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है.
मकर निधि : मकर निधि संपन्न व्यक्ति अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है.
कच्छप निधि : कच्छप निधि में व्यक्ति तामस गुणवाला होता है, वह संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है.
शंख निधि : शंख निधि एक पीढी के लिए होती है, खर्व निधि के व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखते हैं.
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