आज पूरी दुनिया में ईस्टर का पर्व मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर बधाई देते हुए कहा, "आज के दिन, हम प्रभु ईसा मसीह की शिक्षा और पवित्र वचनों को याद करते हैं. सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उनकी लड़ाई से दुनियाभर के लोगों को प्रेरणा मिलती है."



ईस्टर को गुड फ्राइडे के तीसरे दिन बाद मनाया जाता है. भटके हुए लोगों को राह दिखाने के लिए जिस दिन प्रभु ईसा मसीह पुन: वापिस लौटे थे उस दिन को ईस्टर के तौर पर मनाया जाता है. वापिस लौटने के बाद प्रभु ईसा मसीह 40 दिनों तक अपने भक्तों के बीच में रहकर उपदेश दिए. इस दिन प्रभु ईसा मसीह पुन: जीवित हो उठे थे.


मान्यता है कि प्रभु ईसा मसीह अपने शिष्यों के लिए वापिस लौटे थे. पुन: लौटने के बाद उन्होंने लोगों करुणा, दया और क्षमा का उपदेश दिया. प्रभु ईसा मसीह ने उन लोगों को भी माफ कर दिया जिन लोगों ने उन्हें सलीब पर चढ़ाया था. ईस्टर के दिन उन्होंने क्षमा का उपदेश देकर दुनिया को इसके महत्व के बारे में बताया. इस दिन अंडे को एक शुभ प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.


ईस्टर की स्टोरी
मान्यताओं के अनुसार हजारों बरस पहले गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईसा मसीह को यरुशलम में सलीब पर लटका दिया गया. लेकिन तीसरे दिन एक ऐसा चमत्कार हुआ कि प्रभु ईसा मसीह जीवित हो उठे. अपने प्रिय शिष्यों को उपदेश देने के बाद वे पुन: लौटे गए. ईस्टर पर्व 40 दिनों तक मनाया जाता है. लेकिन आधिकारिक तौर पर इसे 50 दिनों तक मनाए जाने की परंपरा है. ईस्टर पर्व के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह के तौर पर मनाते हैं. इस दिन ईसाई धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं और बाइबल का पाठ करते हैं.


ईस्टर को सुबह तड़के उठकर महिलाओं द्वारा आराधना की जाती है. मान्यता है कि प्रात:काल में ही प्रभु ईसा मसीह का पुनरुत्थान हुआ था और उन्हें सबसे पहले मरियम मगदलीनी नाम की एक महिला ने देखने के बाद अन्य महिलाओं को इसके बारे में जानकारी दी थी. इसे सनराइज सर्विस कहते हैं.


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