Happy Makar Sankranti 2025 Highlights: प्रकृति और सूर्य उपासना का पर्व है मकर संक्रांति, धार्मिक और विज्ञान की दृष्टि से है खास महत्व
Happy Makar Sankranti 2025 Highlights: मकर संक्रांति का पर्व आज 14 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन से ऋतु परिवर्तन की शुरुआत भी होती है. मकर संक्राति पर खिचड़ी, गुड़, तिल का भोग लगता है.
- मकर संक्रांति का पर्व सूर्य, पृथ्वी और ऋतुओं के बीच संबंध को दर्शाता है.
- विज्ञान के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य धीरे-धीरे उत्तरी गोलार्ध की ओर झुकता है, जिससे दिन बड़े और रात छोटी होने लगती है.
- सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता है. इस समय की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है.
- खगोलीय दृष्टि से भी मकर संक्रांति का दिन महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा से मकर रेखा की ओर होती है और साल का पहला गोचर होता है.
मकर संक्रांति खिचड़ी पकाने का महत्व है. खिचड़ी का संबंध सूर्य-शनि के साथ ही नवग्रहों से होता है. मकर संक्रांति पर बनने वाली खिचड़ी का भोग कई देवी-देवताओं को भी लगाया जाता है और प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है. इस दिन खिचड़ी दान करना बहुत शुभ होता है.
मकर संक्रांति को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इसलिए इसे उत्तरायणी और उत्तरायण भी कहते हैं. मकर संकांति से माघ मास की शुरुआत होने के कारण इसे माघी भी कहते हैं. वहीं आज के दिन खिचड़ी पकाने का महत्व है. इसलिए कई जगहों पर इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है.
मकर संक्रांति पर्व पर तिल-गुड़ से बने लड्डू, खिचड़ी और अन्य पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं. साथ ही पतंग उड़ाना भी इस दिन की खास परंपरा है, जिसे उत्साह और आनंद का प्रतीक माना जाता है.
धार्मिक मान्यतानुसार, भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा धरती पर मकर संक्रांति के दिन ही आई थीं. इसलिए इस दिन गंगा स्नान का धार्मिक महत्व होता है
मकर संक्रांति पर स्नान के बाद तिल, गुड़,नमक, खिचड़ी , घी, रेवड़ी आदि का दान करना शुभ होता है.
मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है. मकर संक्रांति पर भद्रा का साया नहीं रहेगा और महापुण्य काल सुबह 9:03 से 10:50 तक होगा.
आज मकर संक्रांति पर स्नान के लिए सुबह 05:27 से 06:21 तक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का समय शुभ है. इसके बाद आप दोपहर 12:09 से 12:51 तक अभिजीत मुहूर्त में भी स्नान कर सकते हैं.
मकर संक्रांति पर घर में आम की लकड़ी से हवन करें. इसमें तिल से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हुए आहुति दें. मान्यता है इससे घर में खुशहाली आती है. बीमारियां खत्म होती है. घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
मकर संक्रांति पर तुलसी, तांबा, सुहाग सामग्री, तिल, झाड़ू खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है. जीवन में सुख का आगमन होता है.
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन तिल, कंबल, लाल कपड़ा, लाल मिठाई, मूंगफली, चावल, मूंग की दाल की खिचड़ी, गुड़ और काली उड़द की दाल का दान करने से शनि, राहु-केतु, सूर्य की शुभता मिलती है.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक पिता सूर्य देव से शनि देव के संबंध अच्छे नहीं थे. शनि के श्राप से जब सूर्य कुष्ठ रोग से पीडित हो गए तब उन्होंने अपने तेज से शनि और उनकी माता छाया का घर कुंभ जला दिया था. फिर उन्होंने इस बाद का पछतावा हुआ और शनि देव को दूसर घर प्रदान किया मकर. देवी पुराण में बताया गया है कि सूर्य देव जब पहली बार अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे, तब शनि देव ने उनको काला तिल भेंट किया था और उससे ही उनकी पूजा की थी. इससे सूर्य देव अत्यंत प्रसन्न हुए थे. सूर्य ने शनि को आशीष दिया कि जब वे उनके घर मकर राशि में आएंगे, तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा. तभी से मकर संक्रांति मनाई जाती है.
मकर संक्रांति के मौके पर बर्तन में पानी, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर सूर्य उदय होने पर अर्घ्य दें. सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार 'ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नम:' मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें.
मकर संक्रांति के दिन स्नान के पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए. मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत शुभ होता है. इस दिन काले तिल का दान करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से राहत मिलती है.
मकर संक्रांति पर सूर्य शनि देव से नाराजगी त्यागर उनके घर गए थे. मान्यता है इस दिन जल में काले तिल मिलाकर स्नान करने से शनि बेहद प्रसन्न होते हैं. साधक को 7 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. वहीं तिल
पुण्य काल मुहूर्त - सुबह 09.03 - सुबह 10.48
महापुण्य काल मुहूर्त - सुबह 09.03 - शाम 05.46
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 5.27 - सुबह 6.21
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12.09 - दोपहर 12.51
अमृत काल - सुबह 7.55 - सुबह 9.29
बैकग्राउंड
Makar Sankranti 2025 Highlights: सूर्य जिस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. साल में 12 संक्रांति होती है लेकिन मकर संक्रांति सभी में महत्वपूर्ण है. इस दिन तीर्थ नदी के जल से स्नान और दान करने वालों को कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. इसे सूर्य उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को है. इस दिन महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भी किया जाएगा.
मकर संक्रांति से शुरू होगा माघ
इस साल मकर संक्रांति से ही माघ महीने की शुरुआत भी हो रही है, माघ माह में स्नान-दान का महत्व दोगुना बढ़ जाता है. इसके प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और तमाम परेशानियों से राहत मिलती है. मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर गति करता है तो दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं.
मकर संक्रांति पर खत्म होंगे खरमास
मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का भी समापन हो जाएगा. खरमास में शादी, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. ऐसे में मकर संक्रांति के साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगी पाबंदी भी हट जाएगी.
सूर्य का पर्व है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति भगवान सूर्य का पर्व है. इस अवसर पर भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर राशि में पहुंचते हैं. मकर राशि में उदय सूर्य के समय पवित्र नदियों में स्नान के बाद सूर्य भगवान की पूजा अर्चना कर और जल चढ़ाकर ऊनी वस्त्र,कंबल,तिल,गुड़ खिचड़ी का दान करने का महत्व है.
सूर्य को जल देने से सूर्य हमें तेज देता हैं, हमें नई ऊर्जा प्रदान करता है. साथ ही हमारी हड्डी, नैत्र, केल्शियम इन सभी के कारक ग्रह सूर्य ही हैं, सूर्य हमें आत्मविश्वास, ऊर्जा व एकाग्रता प्रदान करते हैं.समस्याओं से मुक्ति पाने की ऊर्जा हम सूर्य से ही पाते हैं.
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