Navratri 2019: आज दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए कैसे पूर्ण होंगी मनोकामनाएं
Navratri 2019: नवरात्रि में आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है. इस दिन व्रत रखने का खास महत्व है. यहां जानें आज के दिन पूजा की विधि क्या है और किस मंत्र का जाप कर पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होगी.
Navratri 2019: नवरात्रि का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है. मान्यता के अनुसार देवी की इस रूप ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कड़ी तपस्या की थी जिसके बाद ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी नाम पड़ा. यहां जानिए आज के दिन क्या है पूजा की विधि और किस मंत्र का जाप कर पूजा करने से पूरी होगी मनोकामनाएं.
आज के दिन की ये है मान्यता
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है. मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव के ब्रह्मचर्य के पालन में मदद की थी. आज के दिन का उपवास बेहद कठोर होता है. आज के दिन उपवास में सिर्फ जल का ग्रहण करें.
इस विधि से करें पूजा
आज पूजा में सफेद रंग के कपड़े पहनें. सफेद चादर, आसन भी हो सकता है. दाहिनी कलाई में सफेद रंग का धागा भी पहन सकते हैं. पूजा के समय सफेद रंग आपके शरीर पर जरूर होना चाहिए. सुबह 11:47 से 12:35 बजे के बीच पूजा करें. रात 9 बजे से ढाई बजे के बीच में कभी भी पूजा कर सकते हैं.
नवरात्रि में क्यों होती है मंगल की पूजा?
छोटी सी कांच की शीशी ले लें. शीशी में दूध भर लें. थोड़ा गुड़ ले लें. तांबे का एक छोटा बर्तन, सिक्का ले लें. एक नीला फूल ले लें. लाल मसूर, उड़द की दाल के 5-5 दाने लें. एक लाल कपड़े में सारा सामान भरकर पोटली बना लें. निर्जन स्थान पर गड्ढा खोदकर पोटली को दबा दें. पूरे नवरात्रि बरगद के पेड़ की जड़ में एक बूंद दूध डालें. नवरात्रि में किए गए मंगल के इस उपाय से गृहस्थ जीवन अच्छा होता है. विवाह हो जाता है, गृहस्थी मजबूत हो जाती है.
आज मंगल काम करने का शुभ समय क्या है?
दुमुहूर्त – दोपहर 12:35 – 01:22 बजे तक
दूसरा दुमुहूर्त – दोपहर 02:56 – 03:43 बजे तक
गुलिक काल – दोपहर 01:39 – 03:08 बजे तक
यमगंड काल - सुबह 10:42 – 12:11 बजे तक
राहुकाल – सुबह 07:45 – 09:14 बजे तक
अभिजीत काल – सुबह 11:47 - 12:35 मिनट तक
अमृत काल – सुबह 10:48 - 12:13 मिनट तक
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष मंत्र
ऊं देवी ब्रह्मचारिणी नम: मंत्र का जाप कर पूजा करें. दुर्गा सप्तशती का अध्याय पढ़ें. शुद्ध मन से दूसरे और तीसरे अध्याय का पाठ करें.
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