Sawan Shivratri Jal Abhishek Time Live: शुरू होने वाला है संधि काल, ऐसे करें जलाभिषेक, सुख समृद्धि और सुयोग्य वर की चाह होगी पूरी
Sawan Shivratri 2022 Jal Abhishek Time Live: सावन शिवरात्रि 2022 आज है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और धुव्र योग भी बन रहा है. इससे यह सावन शिवरात्रि व्रत खास हो गया है.
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Sawan Shivratri 2022 Jal Abhishek Time Live: सावन का महीना शुरू हो गया है. इसके सोमवार का बहुत अधिक महत्त्व है. सावन सोमवार के दिन व्रत रखते हुए भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. 25 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार है. इस दिन भगवान शिव जी पूजा के लिए समर्पित प्रदोष व्रत भी है. इसके साथ ही सावन सोमवार के इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि के साथ धुव्र योग का भी निर्माण हो रहा है. ज्योतिष के अनुसार, सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग में ज भी कार्य किये जाते हैं उनका पुण्य फल बहुत जल्द मिलता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस योग में पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव व माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होगी.
सावन सेकेण्ड सोमवार व्रत शुभ योग (Sawan 2022 Somwar Vrat Shubh yog)
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:16 से 04:57 तक
- प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:36 से 05:38 तक
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:55 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:44 से 03:38 तक
- सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:17 से 08:19 तक
- अमृत काल: दोपहर 03:10 से 04:58 तक
- निशिता मुहूर्त: प्रात: 12:07 से 12:49 तक (26 जुलाई 2022)
- सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:38 से 01:06 तक (26 जुलाई 2022)
- अमृत सिद्धि योग: प्रात: 05:38 से 01:06 तक (26 जुलाई 2022)
सावन सोमवार व्रत का महत्व (Sawan Monday Fast Significance)
सावन के दूसरे सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. इससे उनकी कृपा प्राप्त होगी. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. मान- सम्मान में वृद्धि होती है.
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त्रयोदशी और चतुर्दशी संधि का खास मुहूर्त 6.47 पर होगा शुरू, करें जलाभिषेक मिलेगी विशेष कृपा
आज सावन शिवरात्रि को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर त्रयोदशी और चतुर्दशी संधि का मुहूर्त शुरू हो जायेगा. यह उत्तम शुभ मुहूर्त शिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल माना जाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा करना और उनका जलाभिषेक करना महा पुण्यदायी है. ऐसे में जो लोग शिवलिंग का जलाभिषेक नहीं किये हैं और करने के लिए शुभ मुहूर्त के इंतजार में हैं, वे बस कुछ ही देर में जलाभिषेक कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसे समय में जलाभिषेक करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होगी और उनकी हर कामना पूरी होगी.
सावन शिवरात्रि के खास संयोग पर करें ये खास उपाय
- धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए आज सावन शिवरात्रि के दिन सवा किलो जौ लें. उसे एक साफ कपड़े में बांध लें. अब इसे शिवलिंग से स्पर्श कराएं. अब इस पोटली को अलमारी या तिजोरी में रख दें.
- कुंडली के काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए आज सावन शिवरात्रि को घर के ईशान कोण पर घी का दीपक जलाएं. उसके बाद शिवजी के मंत्रों का जाप करें.
- संतान सुख की प्राप्ति के लिए आज सावन शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनायें और शुभ मुहूर्त में 11 बार अभिषेक करें.
विशेष फल पाने के लिए सावन शिवरात्रि में ऐसे करें शिव पूजा
सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके शिव पूजा और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद घर में या किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवजी को धूप, दीप, फल, फूल बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल अर्पित करें. इसके बाद पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार, विधि -विधान से शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही से करें. तत्पश्चात पूजा के दौरान अर्प्ती की गई सारी चीजें शिवलिंग पर भी चढ़ाएं. सावन शिवरात्रि को सुबह और शाम दोनों समय शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना सर्वोत्तम होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है. घर धन दौलत और संपत्ति से भर जाता है.
सावन शिवरात्रि का है विशेष महत्त्व
शिवरात्रि का व्रत व पूजन हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है. इसलिए इसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं. इन सभी मासिक शिवरात्रि में सबसे अधिक महत्व फाल्गुन और सावन शिवरात्रि का होता है. आज सावन शिवरात्रि है. इस दिन भगवान शिव जी की पूजा अर्चना के साथ जलाभिषेक किया जाता है. इसके अलावा माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा-आराधना की जाती है. सावन शिवरात्रि पर कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. इसमें शामिल सभी शिव भक्त भगवान शिव का जल से जलाभिषेक करते हैं.
शिवरात्रि पर बेलपत्र अर्पित करने से मनोकामना होती है पूर्ण
बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं और भगवान शिव त्रिनेत्र धारी है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भगवान शिव को सावन के महीने में बेलपत्र चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण करते है. उन्हें मनवांछित फल भी देते हैं. वैसे तो भगवान शिव भाव के भूखे हैं, परंतु बेलपत्र, जल, दूध और पंचामृत के द्वारा उनका पूजन कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है.बेलपत्र का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसका वनस्पति महत्व भी उल्लेखनीय है. बेलपत्र के चूर्ण को ग्रहण करने से कई सारे कष्ट भी दूर होते हैं.