Sawan Shivratri Jal Abhishek Time Live: शुरू होने वाला है संधि काल, ऐसे करें जलाभिषेक, सुख समृद्धि और सुयोग्य वर की चाह होगी पूरी
Sawan Shivratri 2022 Jal Abhishek Time Live: सावन शिवरात्रि 2022 आज है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और धुव्र योग भी बन रहा है. इससे यह सावन शिवरात्रि व्रत खास हो गया है.
आज सावन शिवरात्रि को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर त्रयोदशी और चतुर्दशी संधि का मुहूर्त शुरू हो जायेगा. यह उत्तम शुभ मुहूर्त शिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल माना जाता है. इस समय भगवान शिव की पूजा करना और उनका जलाभिषेक करना महा पुण्यदायी है. ऐसे में जो लोग शिवलिंग का जलाभिषेक नहीं किये हैं और करने के लिए शुभ मुहूर्त के इंतजार में हैं, वे बस कुछ ही देर में जलाभिषेक कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसे समय में जलाभिषेक करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होगी और उनकी हर कामना पूरी होगी.
- धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए आज सावन शिवरात्रि के दिन सवा किलो जौ लें. उसे एक साफ कपड़े में बांध लें. अब इसे शिवलिंग से स्पर्श कराएं. अब इस पोटली को अलमारी या तिजोरी में रख दें.
- कुंडली के काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए आज सावन शिवरात्रि को घर के ईशान कोण पर घी का दीपक जलाएं. उसके बाद शिवजी के मंत्रों का जाप करें.
- संतान सुख की प्राप्ति के लिए आज सावन शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनायें और शुभ मुहूर्त में 11 बार अभिषेक करें.
सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके शिव पूजा और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद घर में या किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवजी को धूप, दीप, फल, फूल बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल अर्पित करें. इसके बाद पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार, विधि -विधान से शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही से करें. तत्पश्चात पूजा के दौरान अर्प्ती की गई सारी चीजें शिवलिंग पर भी चढ़ाएं. सावन शिवरात्रि को सुबह और शाम दोनों समय शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना सर्वोत्तम होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है. घर धन दौलत और संपत्ति से भर जाता है.
शिवरात्रि का व्रत व पूजन हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है. इसलिए इसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं. इन सभी मासिक शिवरात्रि में सबसे अधिक महत्व फाल्गुन और सावन शिवरात्रि का होता है. आज सावन शिवरात्रि है. इस दिन भगवान शिव जी की पूजा अर्चना के साथ जलाभिषेक किया जाता है. इसके अलावा माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा-आराधना की जाती है. सावन शिवरात्रि पर कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. इसमें शामिल सभी शिव भक्त भगवान शिव का जल से जलाभिषेक करते हैं.
बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं और भगवान शिव त्रिनेत्र धारी है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भगवान शिव को सावन के महीने में बेलपत्र चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण करते है. उन्हें मनवांछित फल भी देते हैं. वैसे तो भगवान शिव भाव के भूखे हैं, परंतु बेलपत्र, जल, दूध और पंचामृत के द्वारा उनका पूजन कर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है.बेलपत्र का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसका वनस्पति महत्व भी उल्लेखनीय है. बेलपत्र के चूर्ण को ग्रहण करने से कई सारे कष्ट भी दूर होते हैं.
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे कई दंत कथाएं और रोचक कहानियां हैं. हालांकि बेलपत्र का वनस्पति महत्व भी कम नहीं है. "त्रिदलम त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च तृया युधम। त्रि जन्म पाप संवहारम बिल्वपत्रम शिवार्पणम।।" इस श्लोक से स्पष्ट है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान शिव सभी कष्ट और दुख को हर लेते हैं. शिव महापुराण में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि बेलपत्र भगवान शिव का सबसे प्रिय है.
श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, 26 जुलाई की शाम 06:45 बजे से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 09:10 बजे तक चतुर्दशी तिथि है. ऐसे में भगवान शिव का जलाभिषेक इस बार 26 और 27 जुलाई दोनों ही दिन किया जा सकता है.
सावन में हर भक्त शिव की कृपा पाना चाहता है. कहते हैं शिव भाव के भूखे हैं अगर सच्चे मन से इनकी आराधना की जाए तो जातक का बेड़ा पार हो जाता है. सावन में हर तिथि शिव को प्रिय है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए कोई जलाभिषेक करता है तो कोई मनइच्छा फल पाने के लिए रुद्राभिषेक. शास्त्रों में भोलेभंडारी से मनचाहा वरदान पाने के लिए कई वस्तुएं बताई गईं. कहते हैं सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर इन चढ़ावों से विशेष मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
आज सावन शिवरात्रि के दिन 26 जुलाई को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथियों की संधि बेला है. इस संधि बेला को शिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल माना जाता है. इस दिन चार पहर की पूजा का खास महत्व होता है. इन चारों पहरों में भगवान शिव की आराधना करने और जलाभिषेक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. जो लोग सावन शिवरात्रि का व्रत रखते है और उसका अगले दिन करते हैं. मान्यता है कि शिवरात्रि का व्रत रखने वालों को भगवान शिव मनवांछित फल देते हैं.
सावन के दूसरे मंगला गौरी व्रत पर सावन की शिवरात्रि होने से व्रत का महत्व दोगुना बढ़ गया है. शिव-गौरी का योग बनने से देवी पार्वती और भगवान शंकर दोनों का आशीर्वाद पाने का मौका है. मंगला गौरी व्रत सावन के हर मंगलवार को रखा जाता है. ये व्रत देवी पार्वती को समर्पित है.
पंचांग के मुताबिक़, आज 26 जुलाई की सुबह 5:44 बजे से 8:28 तक शिवलिंग पर जलाभिषेक का श्रेष्ठ समय है, जबकि सांय 7:24 बजे से रात 9:28 बजे तक प्रदोष काल रहेगा. यह दोनों समय भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस समय भगवान शिव की पूजा आराधना करना सर्वोत्तम फलदायी सिद्ध होगा. आज सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिवजी का जल व पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है. जलाभिषेक करते समय शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, इत्र, चंदन, भांग, धतूरा, बेलपत्र, रूद्राक्ष व सफेद फूल जरूर अर्पित करें. इसे चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं.
सावन शिवरात्रि के दिन भक्तों को भगवान भोलेनाथ का विशेष रूप से पूजन करना चाहिए. शिव पूजा के दौरान भक्तों ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी करना चाहिए. इससे भगवान शिवजी जल्द ही प्रसन्न होते हैं. प्रातः काल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच भगवान का जलाभिषेक कर 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप जरूर करें. इससे शभक्तों को सुख-शांति और समृद्धि के साथ-साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.
पंचांग के अनुसार सावन शिवरात्रि के दिन मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाएगा. सावन शिवरात्रि को भगवान शिव की षोडशोपचार पूजा विधि से पूजन करें. इस पूजन से भगवान शिव जी अति प्रसन्न होते हैं. ऐसे में सावन शिवरात्रि व्रत करने से जहां भगवान शिव की कृपा मिलेगी वहीं माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलेगा.
आज सावन शिवरात्रि को शिवलिंग पर ये चीजे जरूर अर्पित करें. सारी मनोकामना पूरी होने की मान्यता है.
- सावन शिवरात्रि को शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से घर, ऑफिस आदि का कलह शांत होता है.
- सावन शिवरात्रि को शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना चाहिए. इससे सभी कामनाएं पूरी होती हैं.
- महा शिवरात्रि को शिवलिंग पर शुद्ध देसी घी का अभिषेक करना चाहिए. मान्यता है कि इसे सारे रोग दूर हो जाते हैं तथा वंश की वृद्धि होती है.
- शिवरात्रि को शिवलिंग पर इत्र अर्पित करें. ऐसा करने से पति –पत्नी के बीच संबंध मधुर बनते हैं
- शिवरात्रि पर शिवलिंग पर शहद चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से जटिल-जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है.
- सावन शिवरात्रि तिथि प्रारंभ : 26 जुलाई 2022 को शाम 06 बजकर 46 मिनट से शुरू
- सावन शिवरात्रि तिथि समाप्त : 27 जुलाई 2022 को रात 09 बजकर 11 मिनट तक
- जलाअभिषेक मुहूर्त - 26 जुलाई 2022, शाम 07:24 बजे से रात 09:28 तक
सावन शिवरात्रि के दिन इस माह का दूसरा मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाएगा.शिवरात्रि पर बन रहे इस विशिष्ट संयोग का लाभ मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, कुंभ, मीन राशि वालों को मिलेगा. इन 6 राशि के जातकों की नौकरी में तरक्की और धन में वृद्धि होगी.
सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करते वक्त मुख उत्तर दिशा की ओर रखें. ध्यार रहे पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल न चढ़ाएं क्योंकि ये दिशा भगवान शिव का प्रवेश द्वार मानी जाती है.
सावन शिवरात्रि की पूजा के समय तांबे के लोटे से ही शिवलिंग पर जल अर्पित करें. दूध चढ़ाने के लिए स्टील या पीतल का लोटा लें.
शिवलिंग पर जल की धारा बनाकर अर्पित करें साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. इससे भय दूर होता है और बीमारियां खत्म हो जाती है. कभी भी एक साथ पूरा जल न चढ़ाएं.
सावन शिवरात्रि पर रात्रि प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है इस दिन चारों प्ररह पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है. शिवरात्रि की पर महादेव की प्रदोष काल में पूजा उत्तम मानी गई है.
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा: 07.16 PM - 09.52 PM (26 जुलाई 2022)
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा: 26 जुलाई 09.52 PM - 27 जुलाई 12.28 AM
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा: 12.28 AM - 03.04 AM (27 जुलाई 2022)
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा: 03.04 AM - 05.40 AM (27 जुलाई 2022)
सावन शिवरात्रि पर शिव-गौरी योग का निर्माण हो रहा है. यह दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद बना है. सावन शिवरात्रि के दिन मंगला गौरी का व्रत भी रखा जा रहा है. मंगला गौरी का व्रत मां पार्वती को समर्पित है. 26 जुलाई 2022 को भगवान शिव के साथ –साथ माता पार्वती की कृपा भी प्राप्त करने का शुभ अवसर है.
सावन के पवित्र माह में भक्तों की मनोकामना शिव जी जल्द सुनते हैं. ऐसे में शास्त्रों के अनुसार त्रिशूल, डमरू, भस्म, गंगाजल, चांदी का कड़ा सावन में घर ले आएं तो भोलेनाथ की कृपा से भाग्योदय होता है. शिव की प्रिय ये वस्तु घर में होने से बंद किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं.
- शिव जी की पूजा में तुलसी पत्र वर्जित माना जाता है. सावन की मासिक शिवरात्रि पर ध्यान रहे की पूजा में भोग लगाते वक्स उसमें तुलसी का पत्ता न डालें. तुलसी को भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है. इसलिए भगवान भोलेनाथ को तुलसी नहीं चढ़ती है.
- सावन शिवरात्रि व्रत रखने वाले इस दिन खट्टी चीजों का सेवन न करें. इससे व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता.
- सावन शिवरात्रि की पूजा में महादेव को केतकी का फूल, सिंदूर, हल्दी, कुमकुम अर्पित न करें. शिव पूजा में ये वस्तुएं निषेध हैं.
- सावन में जलाभिषेक से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं लेकिन जल हमेशा ताबें के बर्तन में डालकर ही अर्पित करें. पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करने के लिए पीतल के लोटे के इस्तेमाल करना चाहिए.
शिव की प्रिय वस्तु इत्र, सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अर्पित करें. इससे आरोग्य का वरदान मिलता है. स्वास्थ लाभ और गंभीर रोग से मुक्ति पाने के लिए ये उपाय बहुत फलदायी है. इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ का जाप करें.
शादीशुदा जिंदगी से परेशानियों को दूर करना है तो सावन सोमवार के दिन पति-पत्नी साथ मिलकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. इससे दोनों में प्रेम बढ़ेगा और वैवाहिक जीवन सुखमय होगा. सावन सोमवार के दिन दंपत्ति शाम के समय शिव जी के समक्ष गाय के घी का दीपल लगाएं और मिलकर शिव चालीसा का पाठ करें. इससे दांपत्य जीवन से जुड़ी दिक्कतें दूर होने लगती हैं. ये उपाय सावन के पूरे माह भी कर सकते हैं.
सावन सोमवार के दिन शिव पूजा के दौरान पति-पत्नी 21 बेलपत्र पर चंदन से 'ओम नमः शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें. इससे आपसी खटास खत्म हो जाएगी और प्यार में बढ़ोत्तरी होगी.
वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची है, रिश्तों को सुधारने के लिए तमाम कोशिशें भी काम नहीं आ रही हों तो सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर केसर मिश्रित दूध अर्पित करें. इससे पति-पत्नी के बीच भरोसा बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत बनेगा.
श्रावण के दूसरे सोमवार पर शिव की प्रिय 7 सफेद वस्तु शिवलिंग पर अर्पित करें. मान्यता है कि इससे कई लाभ मिलते हैं. ये चीजें हैं- दूध, दही, घी, चावल, सफेद आंक का फूल, सफेद चंदन, चीनी.
हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह घर में अगर कुछ पौधे (Plants) लगाए जाएं तो भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. सावन महीने में ये पौधे लगाने चाहिए- तुलसी का पौधा, अनार का पौधा, पीपल का पौधा, रुद्राक्ष का पौधा, कनेर का पौधा, अर्क का पौधा, पारिजात का पौधा.
सावन की शिवरात्रि इस साल 26 जुलाई 2022 (Sawan shivratri 2022 date) को है. शिवरात्रि की चार प्रहर पूजा शाम से शुरू होकर ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है. इस दिन रात्रि जागरण कर पूजा की परंपरा है. मुख्य रूप से इस पूजन से जीवन के चारों अंगों का नियंत्रण होता है यानी की धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का वरदान मिलता है.
- शनि देव - मान्यता है कि शनि अपनी साढ़े साती, ढैय्या, दशा और महादशा में अशुभ फल प्रदान करते हैं. जिस कारण मनुष्य का जीवन कष्टों से भर जाता है. सावन में भगवान शिव की पूजा करने से शनि की अशुभता दूर होती है. शनि भगवान शिव की पूजा करने से प्रसन्न होते हैं.
- राहु-केतु - सावन में भगवान शिव की पूजा राहु-केतु से जुड़ी समस्याओं को दूर करने वाली मानी गई है. राहु केतु से कालसर्प दोष और पितृ दोष जैसे खतरनाक योग बनते हैं, जिन लोगों की कुंडली में ये योग होते हैं उन्हें अधिक संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में शिव पूजा से इनके अशुभ प्रभाव कम किए जा सकते हैं
- तीन पत्तों वाला बेलपत्र भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक माने जाता हैं.
- वहीं कुछ मान्यता हैं कि ये भोलेनाथ के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करता है.
- बेलपत्र के तीन पत्ते ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी माने जाते हैं. मान्यता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है.
- बेलपत्र ठंडक प्रदान करता है. शिवपुराण के अनुसार जब शिव जी ने समुद्र मंथन से निकला विष पी लिया था. महादेव को पीड़ा से मुक्त करने के लिए देवी देवताओं ने उन्हें बेलपत्र खिलाए थे साथ ही जल अर्पित किया . बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत हो गई.
शिव जी की प्रिय वस्तु में से एक है बेलपत्र. शास्त्रों में बेलपत्र को तोड़ने के भी नियम हैं. मान्यता है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. सावन सोमवार की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने के लिए इसे रविवार के दिन ही तोड़ लें.
सावन में शिव पूजा के समय शिवलिंग पर खंड़ित बेलपत्र न चढ़ाएं. शिव जी मात्र एक बेलपत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए ध्यान रहे कि ये कहीं से कटा फटा न हो. बेलपत्र आमतौर पर 3 पत्तों वाला होता है लेकिन 5 पत्तियों वाला बेलपत्र शिव पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है.
बेलपत्र हमेशा ऐसे चढ़ाएं जिसका चिकनी सतह वाला भाग शिवलिंग से स्पर्श कर रहा हो. मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिव जी को अर्पण करें. जलाभिषेक के साथ बेलपत्र अर्पित करने से महादेव बहुत प्रसन्न होते हैं.
नंदी (बैल) - मान्यता है कि नंदी का सपने में दिखना इस बात का संकेत है कि आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी.
त्रिशूल - सपने में त्रिशूल का दिखना इस बात का संकेत है कि आपकी समस्त परेशानियों का नाश जल्द हो सकता है.
डमरू - कहते हैं सपने में शिव जी के डमरू का दिखने का मतलब है जीवन की उथल पुथल खत्म होने वाली है. जीवन में स्थिरता आने का संकेत होता है सपने में डमरू दिखना.
नाग - शिव जी गले में वासुकी नाग धारण किए हुए हैं. नाग देवता का सावन माह में सपने में आना धन वृद्धि का संकेत माना जाता है.
सावन सोमवार पर घर में पारद शिवलिंग की पूजा करना बहुत लाभकारी माना जाता है. कहते हैं जिस घर में पारद शिवलिंग होते हैं वहां स्वंय भगवान शंकर का वास होता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार सावन में रोजाना पारद शिवलिंग की पूजा से मोक्ष प्राप्त होता हैं. पारद शिवलिंग के घर में होने से मां लक्ष्मी और कुबेर देवता विराजमान होते हैं. धन-धान्य की कमी नहीं होती है.
शिव शंभू को प्रसन्न करने के लिए कुंवारी लड़कियां सावन सोमवार का व्रत रखती है. मनचाहे जीवनसाथी को पाने के लिए सावन में सोलह सोमवार व्रत शुरू करना चाहिए. ये व्रत विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए होता है इसलिए इसे युवक और युवती दोनों कर सकते हैं. सावन से इसकी शुरुआत करना बहुत फलदायी होता है
शिवपुराण में भी सावन सोमवार व्रत का महत्व बताया गया है. शीघ्र विवाह के लिए सावन सोमवार पर शिव जी उपासना उत्तम मानी जाती है. एक योग्य और मनचाहे जीवनसाथी की तलाश और जल्द शादी की कामना पूर्ति के लिए सावन सोमवार के दिन शिवलिंग के समझ 5 नारियल रखें. रुद्राक्ष की माला से 'ऊं श्री वर प्रदाय श्री नमः' का 5 माला जाप करें. अब पांचों नारियल शिवलिंग पर अर्पित कर दें.
- पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए सिर्फ पवित्र नदी, तालाब या बेल के पेड़ की मिट्टी का ही उपयोग करें. मिट्टी में दूध मिलाकर उसे शोधित करें.
- अब पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मिट्टी में गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर एक बड़ी सी पूजा की थाल में पार्थिव शिवलिंग बनाएं. इस दौरान शिव मंत्र का उच्चारण करें.
- शिवलिंग का आकार 12 अंगुल से बड़ा न बनाएं. इससे ऊंचा होने पर पूजा का फल नहीं मिलता.
- सावन सोमवार की पूजा के समय जो प्रसाद पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ाएं उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- शिव पुराण में भगवान शिव की आराधना के लिए पार्थिव शिवलिंग को सबसे उत्तम माना गया है.
- सावन सोमवार व्रत में घर पर मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है. आरोग्य का वरदान मिलता है.
- आर्थिक तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो सावन के हर सोमवार पर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर विधिवत पूजा करें और फिर अगले दिन इन्हें पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें.
- शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को का नाश होता है. भगवान शिव की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
सावन सोमवार पर पार्थिव शिवलिंग पूजा से पहले भगवान गणेश, माता पार्वती, विष्णु जी और नवग्रह का आवह्रान करें.
मिट्टी से बने शिवलिंग यानी कि पार्थिव शिवलिंग का षोडशोपचार विधि से पूजन करें. शिवलिंग पर जल, रोली, दूध, दही, घी, शहद, रोली, मौली, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, शिव के प्रिय पुष्प, भांग, भस्म, इत्र, आदि अर्पित करें.
भोलेनाथ को भोग लगाकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. शिव चालीसा का पाठ भी उत्तम माना जाता है.
सावन सोमवार पूजा में परिवार सहित शिव जी की आरती करने से मानसिक और शारीरिक रोगों का नाश होता है.
1- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
लाभ - महामृत्युंजय का जाप करने से गंभीर रोगों का नाश होता है
2- पत्नीं मनोरमां देहि, मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीम दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्
लाभ - शिव के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा करते समय इस मंत्र का पांच माला जाप करने से सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है.
3- ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ॐ
लाभ - सुख-सौभाग्य के लिए गाय के दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करें.
सावन सोमवार और सोम प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शिव जी को समर्पित होता है. दोनों व्रतों में भोलेनाथ की विधि –विधान से पूजा की जाती है. इससे भगवान बहुत जल्द प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्ट काट देते हैं. उनके सारे पाप और संकट दूर कर देते हैं.
- सावन कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ: 25 जुलाई को शाम 04:15 से
- सावन कृष्ण त्रयोदशी समाप्त: 26 जुलाई को शाम 06:46 बजे तक
- प्रदोष काल: 25 जुलाई को 07:17 PM से 09:21 PM
प्रदोष व्रत बहुत ही प्रभावशाली व्रत माना जाता है. इस व्रत का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है. एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में दूसरा शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत हर त्रयोदशी को होता है. यह व्रत मुख्यतः संतान कामना प्रधान व्रत है. इसलिए प्रायः स्त्रियां इस व्रत को अधिक रहती हैं. मान्यता है कि इस प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिवजी की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. उनका जीवन सुखमय होता है.
शिव का अर्धनारीश्वर रूप पुरुष और स्त्री की समानता का प्रतीक माना जाता है. समाज में स्त्री और पुरुष का जीवन एक दूसरे के बिना अधूरा है. शिव पुराण के अनुसार शिव जी के इस स्वरूप संसार के विकास की निशानी है. पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी की थी. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब वे चिंतित थे कि इसके विकास की गति कैसे होगी.
- सावन के दूसरे सोमवार पर सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करें.
- महादेव के अर्धनारीश्वर रूप का ध्यान करते हुए माता पार्वती की पूजा भी करें.
- शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं, साथ ही माता पार्वती को सोलल श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
- षडोपशाचार से माता गौरी-महादेव के पूजन के बाद खीर का भोग लगाएं.
- अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा करते समय ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नमरू मंत्र का 11 माला जाप करना बहुत फलदायी माना गया है.
- सावन सोमवार की पूजा में अर्धनारीश्वर स्तोत्र के पाठ से पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव नहीं रहता. शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है.
- परिवार सहित भोलेनाथ की आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें.
- सावन सोमवार व्रत में पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें. इस दिन सात्विक भोजन ही करें. ये निर्जला व्रत नहीं होता इसलिए सेंधा नमक से बनी चीजें खा सकते हैं. व्रत के चलते दिन में एक बार ही नमक युक्त खाना ग्रहण करें.
- अगर आप सिर्फ फलाहार पर व्रत रखते हैं तो मौसमी फलों का सेवन करें. इन फलों में सेब, अनार, केला, नाशपाती या फिर इनका जूस पी सकते हैं.
- सावन सोमवार का व्रत रखें तो प्याज, लहसुन, मसालेदार भोजन ग्रहण न करें. इससे सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती है.
- इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही मैदा, आटा, बेसन, सत्तू से बनी चीजें भी न खाएं. बैंगन को शुद्ध नहीं माना जाता. ऐसे में जो व्यक्ति सावन सोमवार का व्रत कर रहे हैं वो अपने भोजन में बैगन का इस्तेमाल न करें.
- सावन के पूरे माह में मांस-मछली, मदिरापान का सेवन अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि इसके सेवन से सावन सोमवार व्रत का फल नहीं मिलता.
- सावन सोमवार व्रत में जो लोग दिन में एक समय भोजन करते हैं वो हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें. इससे आपका स्वास्थ बिगड़ सकता है.
सावन में सोमवार व्रत पूजा का विशेष विधान है. मान्यता है कि सावन सोमवार व्रत में पूरी श्रद्घा के साथ भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की आराधना करने से मनचाहा वरदान मिलता है. विवाह में आ रही बाधाएं, संतान सुख, धन लाभ, रोग से मुक्ति पाने के लिए सावन सोमवार का व्रत बहुत लाभकारी माना गया है.
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:16 - 04:57 तक
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:00 - 12:55 तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02:44 - 03:38 तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:03 - 07:27 तक
- अमृत काल- दोपहर 03:10 - 04:58 तक
- निशिता मुहूर्त- 26 जुलाई 2022 12:07 AM से 26 जुलाई 12:49 PM
- सर्वार्थ सिद्धि योग- 25 जुलाई 2022, 05:38 AM से 26 जुलाई 01:06 PM
- अमृत सिद्धि योग- 25 जुलाई 2022, 05:38 AM से 26 जुलाई 01:06 PM
आज सावन का दूसरा सोमवार (Sawan Second Somwar 2022) है. श्रावण का दूसरा सोमवार बेहद खास है क्योंकि इस दिन सोम प्रदोष व्रत के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और धुव्र योग बन रहा है. इन योग में महादेव और मां पार्वती की पूजा का फल दोगुना हो जाएगा.
- सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य का वरदान मिलता है
- दही से भोलेनाथ का अभिषेक करने पर जीवन में स्थिरता आती है. परिवार में तालमेल बना रहता है.
- महादेव को घी अर्पित करने से ऊर्जावान रहने में मदद मिलती है. वंश में वृद्धि होती है.
- शिव पूजा में अक्षत का बहुत महत्व है. कच्चे चावल शिवलिंग पर चढ़ाने से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है.
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:16 - 04:57 तक
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:00 - 12:55 तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02:44 - 03:38 तक
- अमृत काल- दोपहर 03:10 - 04:58 तक
- निशिता मुहूर्त- 26 जुलाई 2022 12:07 AM से 26 जुलाई 12:49 PM
- सर्वार्थ सिद्धि योग- 25 जुलाई 2022, 05:38 AM से 26 जुलाई 01:06 PM
- अमृत सिद्धि योग- 25 जुलाई 2022, 05:38 AM से 26 जुलाई 01:06 PM
सावन सोमवार का व्रत फलाहारी रखा जाता है. ऐसे में सुबह स्नानादि के बाद शिव जी और मां पार्वती की पूजा के बाद इस व्रत को खोल सकते हैं. कुछ लोग पूरा दिनभर व्रत रखकर सुबह और शाम दोनों की पूजा के ही बाद भोजन ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि सुबह और शाम को पूजा करने के बाद ही सावन सोमवार व्रत का पारण उत्तम होता है. पंचांग के अनुसार सावन सोमवार व्रत का पारण 26 जुलाई को किया जाएगा.
- सावन सोमवार व्रत में शिव जी और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है.
- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो लोग सावन सोमवार व्रत रखते हुए शिवजी का पूरे विधि विधान से पूजा करते हुए जलाभिषेक करते हैं. शिवजी उनके सारे दुख-दर्द, पाप एवं संकट दूर कर देते हैं.
- कहा जाता है कि जो कन्याएं सावन सोमवार व्रत रखते हुये भोलेनाथ की पूजा करती हैं. उन्हें शिवजी की कृपा से सुयोग्य और सुंदर वर प्राप्त होता है.
सावन सोमवार का व्रत रखने के लिए प्रातः काल स्नान करके पूजा स्थल को स्वच्छ करके वेदी स्थापित करें. शिव मंदिर में जाकर भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाएं. पूरी श्रद्धा से शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने का संकल्प लें. इस दिन भगवान शिव की आराधना करने के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा करें. इस दिन सोम प्रदोष व्रत होने के कारण प्रदोष काल में भी शिव की उपासना करना न भूलें. व्रत के दौरान सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ सुनें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें.
सावन माह का दूसरा सोमवार कल यानि 25 जुलाई 2022 को है. यह सोमवार भगवान शिवजी की पूजा के लिए समर्पित होता है. इस दिन शिवजी के भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. कहा जाता है कि सावन सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से वे अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनकी हर कामना पूरी होने के लिए आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
बैकग्राउंड
Sawan Shivratri 2022 Jal Abhishek Time Live: सावन का महीना शुरू हो गया है. इसके सोमवार का बहुत अधिक महत्त्व है. सावन सोमवार के दिन व्रत रखते हुए भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. 25 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार है. इस दिन भगवान शिव जी पूजा के लिए समर्पित प्रदोष व्रत भी है. इसके साथ ही सावन सोमवार के इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि के साथ धुव्र योग का भी निर्माण हो रहा है. ज्योतिष के अनुसार, सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग में ज भी कार्य किये जाते हैं उनका पुण्य फल बहुत जल्द मिलता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस योग में पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव व माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होगी.
सावन सेकेण्ड सोमवार व्रत शुभ योग (Sawan 2022 Somwar Vrat Shubh yog)
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:16 से 04:57 तक
- प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:36 से 05:38 तक
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:55 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:44 से 03:38 तक
- सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:17 से 08:19 तक
- अमृत काल: दोपहर 03:10 से 04:58 तक
- निशिता मुहूर्त: प्रात: 12:07 से 12:49 तक (26 जुलाई 2022)
- सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:38 से 01:06 तक (26 जुलाई 2022)
- अमृत सिद्धि योग: प्रात: 05:38 से 01:06 तक (26 जुलाई 2022)
सावन सोमवार व्रत का महत्व (Sawan Monday Fast Significance)
सावन के दूसरे सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. इससे उनकी कृपा प्राप्त होगी. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. मान- सम्मान में वृद्धि होती है.
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