जानिये सबसे कठिन पांच व्रत, कैसे महिलाएं पूरा करती हैं ये मुश्किल व्रत?
हमारे देश में कई ऐसे व्रत हैं जिनको पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं. लेकिन अपने संकल्प और भक्ति से महिलाएं ये कठिन से कठिन व्रत भी बड़े उत्साह से मनाती हैं और भूखे प्यासे रहकर भी उस दिन को एक उत्सव में बदल देती हैं.
हिंदू धर्म में व्रत का बहुत महत्व है, माना जाता है कि जिस कामना के लिए व्रत या उपवास किया जाता है उसे भगवान जरूर पूरी करते हैं. महिलाएं तो सालभर में कोई ना कोई व्रत करती रहती हैं और इनमें से कुछ व्रत इतने कठिन हैं जिनको करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन ईश्वर की भक्ति और आस्था के आगे वो ये कठिन से कठिन व्रत भी पूरे कर लेती हैं. व्रत के सभी नियम मानने के बाद भी वो पूरे जोश, खुशी और उल्लास के साथ ये व्रत करती हैं और इस कठिन समय को भी त्योहार के जैसा बना देती हैं. अपने संकल्प से वो पूरा व्रत करती हैं और पति, बच्चों और परिवार के लिए आशीर्वाद मांगती हैं. तो चलिए आज हम आपको बता दें वो पांच कठिन व्रत जिनको पूरा करना बड़ा कठिन है लेकिन महिलाएं इन कठिन व्रत को भी हंसते-गाते पूरा कर लेती हैं.
1-करवाचौथ करवाचौथ का व्रत सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है. करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चांद के दर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है. इस दिन महिलाएं खाना तो दूर पानी तक नहीं पीती और इसीलिए इस व्रत का कठिन व्रत माना जाता है. इस दिन के बारे में मान्यता है कि करवाचौथ के दिन अगर सुहागिन स्त्रियां उपवास रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका जीवन सुखी रहता है. करवाचौथ के दिन महिलाएं शाम को शिव परिवार यानी शिव- पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं. सुहागिनें इस व्रत को बड़ी धूमधाम से मनाती हैं जिससे ये एक त्योहार जैसा बन जाता है. करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
2-हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं के बीच हरितालिका तीज का व्रत की भी काफी मान्यता है और जो लोग करवाचौथ नहीं मनाती वो हरितालिका तीज मनाती हैं. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाती है और महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. कड़े नियमों को चलते इसे सबसे ज्यादा कठिन व्रत माना जाता है. हरतालिका तीज व्रत के दौरान महिलाएं बिना अन्न और जल ग्रहण किए 24 घंटे तक रहती हैं. इस व्रत का एक नियम ये भी है कि इस व्रत के दौरान रात में जागरण किया जाता है ताकि महिलाएं सोयें नहीं और अगले दिन शिव-पार्वती की पूजा करने बाद खाना खाया जाता है.
3-निर्जला एकादशी निर्जला एकादशी के बारे में कहा जाता है कि सिर्फ इस एक दिन व्रत करना पूरे साल की एकादशी के व्रत के समान है. इस दिन भी सूर्योदय के बाद और अगले दिन सूर्योदय तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करते और इसीलिए इस व्रत का नाम निर्जला एकादशी है. निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु पूजा की जाती है और माना जाता है कि इस व्रत को करने से लंबी उम्र के साथ सुख और समृद्धि भी मिलती है. ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के रूप में मनाते हैं. भीषण गर्मी के मौसम में बिना पानी पिये 24 घंटे व्रत करना बड़ा मुश्किल पड़ता है और इसीलिए इस व्रत को भी हिंदू धर्म में एक कठिन व्रत माना जाता है