Hariyali Teej 2023 Date and Time: सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है. इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं. ये सुहाग पर्व है. हरियाली तीज पर स्त्रियां सुयोग्य वर पाने और अपने पति की दीर्धायु की कामना से शिव-पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं.
अपने नाम स्वरूप हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं हरियाली तीज का हरे रंग से क्या है खास संबंध, स्त्रियों को क्यों इस दिन हरे रंग का विशेष उपयोग करना चाहिए.
हरियाली तीज का हरे रंग से संबंध (Hariyali Teej Green colour Significance)
- सावन में प्रकृति में चारों तरफ हरे रंग की छटा बिखरी रहती है. हरा रंग समग्र प्रकृति में व्याप्त है. हरा रंग सौभाग्य, श्रृंगार, शक्ति, मानसिक शांति प्रदान करता है.
- हरा रंग शिव जी को अति प्रिय है. यही वजह है कि हरियाली तीज पर स्त्रियों को हरा रंग जरुर उपयोग में लेना चाहिए.
- हरे रंग का इस्तेमाल सेहतमंद रखता है और व्यक्ति में नवीनता का संचार करता है.
- मान्यता है इस दिन हरा रंग उपयोग करने और पहनने से भाग्य पर अति शुभ असर पड़ता ह, अखंड सौभाग्य के साथ संतान प्राप्ति का भी वरदान मिलता है.
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है (Hariyali Teej Vrat Benefit)
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज पर ही शंकर जी ने माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद उन्हें अर्धांगिनी स्वीकार किया था. यही कारण है कि शिव के समान पति पाने और सदा सुहागवती रहने के लिए हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है. हरियाली तीज मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाई जाती है.
साल में तीन बार मनाई जाती है तीज
तीज का त्यौहार साल में तीन बार मनाया जाता है, जिसमें पहली सावन की हरियाली तीज, दूसरी भाद्रपद की कजरी तीज और फिर भादो की हरतालिका तीज मनाई जाती है. हरियाली तीज पर महिलाएं हरी चूड़ियां, हरी साड़ी और हरी मेहंदी लगाती हैं.
Rudraksha: गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष, जानें बहुत खास है वजह
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.