नई दिल्ली: हरतालिका तीज व्रत की तिथि को लेकर महिलाओं में असमंजस हो गया है. कुछ लोग इसे एक सितंबर को रखने की सलाह दे रहे हैं तो कुछ लोग दो सितंबर को रखने की. वैसे हरतालिका तीज का पर्व भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को यानि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाया जाता है. क्या आप इस व्रत के पीछे की कथा के बारे में जानते हैं.
देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए की थी तपस्या
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव से शादी करने के लिए हिमालय में गंगा के किनारे कठोर तपस्या की. उन्होंने अन्न-जल सबकुछ त्यागकर सिर्फ हवा का सेवन किया. इसी वक्त महर्षि नारद भागवान विष्णु के लिए देवी पार्वती का रिश्ता मांगने उनके घर गए. पार्वती के माता-पिता ने इस रिश्ते को सहर्ष स्वीकार कर लिया था लेकिन देवी को जैसी ही ये बात पता चली वो दुखी हो गईं.
इस वक्त देवी पार्वती की एक सहेली ने उन्हें घर छोड़ देने की सलाह दी, जिसके बाद वो अपने माता-पिता का घर छोड़कर गुफा में जाकर भोलेनाथ की तपस्या करने लगीं. भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को उन्होंने रेत का शिवलिंग बनाया और शिव स्तुति में लीन हो गई. उनकी इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने पत्नी रूप में उनका वरण किया.
हरतालिका तीज का शाब्दिक अर्थ 'हरण' और 'तृतिया' होता है. देवी पार्वती की सखी ने उनका उनके माता-पिता के घर से हरण किया था, वहीं तृतिया के दिन मनाए जाने के कारण इस व्रत को हरतालिका तीज कहते हैं.
व्रत की तिथि को लेकर है असमंजस
पंचांग के अनुसार इस साल तृतीया तिथि का क्षय हो गया है. जिस कराण महिलाओं में 1 सितंबर और 2 सितंबर को व्रत करने को लेकर असमंजस हो गया है. कुछ लोगों का इसे लेकर कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्त नक्षत्र में मान्य होता है, जो कि एक सितंबर को है. 1 सितंबर को सुबह 08:27 से तृतिया लग जाएगी जो 2 सितंबर को रात्रि 04:57 मिनट तक रहेगी. 2 सितंबर को ये व्रत रखा जाता है तो सूर्योदय के बाद चतुर्थी प्रारंभ हो जाएगी. जिसके कारण इस व्रत को रखने का कोई खास अर्थ नहीं रह जाता.
वहीं दो सितंबर को व्रत रखने को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि ग्रहलाघव पंचांग के अनुसार सुबह 08:58 मिनट तक तृतिया रहेगी. इस पंचांग के अनुसार 2 सितंबर का सुर्योदय तृतिया तिथी में ही होगा. इसके साथ ये तर्क भी दिया जा रहा है कि 1 सितंबर को व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत का पारण हस्त नक्षत्र में ही करना होगा जो सही नहीं है, वहीं दो सितंबर को व्रत रखने वाली महिलाएं 3 सितंबर को व्रत का पारण चित्रा नक्षत्र में करेंगी जो की बहुत फलदायी माना गया है.
आप अपने किसी पंडित और ज्योतिष से इस बारे में पूछकर तय कर सकती हैं कि व्रत किस दिन करना फलदायी रहेगा.
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