Hartalika Teej 2021: हरतालिका तीज के दिन यूं करें व्रत की शुरुआत, जानें पूजा करने के लिए कौन-सा समय है सही
पंचाग के अनुसार कल यानि 9 सितंबर (Hartalika Teej on 9th september) को देशभर में महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी. इस दिन महिलाएं सोलह ऋंगार आदि करके भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करती हैं.
Hartalika Teej Vrat Preparation: पंचाग (hindu calander) के अनुसार कल यानि 9 सितंबर (hartalika teej on 9th september) को देशभर में महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी. ये व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह ऋंगार आदि करके भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करती हैं. महिलाएं बहुत ही बेसब्री से व्रत का इंतजार कर रही हैं. कुछ महिलाएं पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं, तो चलिए आपके उन सभी सवालों के जवाब हम बताते हैं, जो आपके मन में चल रहे हैं. व्रत वाले दिन की शुरुआत कैसे करें, किस समय व्रत की पूजा करना सही रहता है, पूरा दिन व्रत रखकर क्या-क्या कर सकते हैं, पूजा की थाली में क्या समग्री रखें और व्रत का पारण कैसे करें.
पूजन का सही समय (pujan right time)
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. इसके लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें और साफ वस्त्र पहन कर प्रातः काल में पूजा करें. अगर आप जल्दी उठकर पूजा नहीं कर सकते हैं, फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में पूजा करना सही रहता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.
व्रत के दिन क्या करें (do these things on hartalika teej vrat)
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रती को गुस्सा नहीं करना चाहिए. खुद पर संयम रखना चाहिए. ऐसे में इन सब चीजों से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुद को भगवान में लीन करना है. हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करें. पूजा-पाठ करें और खुद को अन्य चीजों से बचाएं. जैसे- झूठ बोलना, गुस्सा करना आदि. व्रत में ऐसा करना मना है. कहते हैं पूरा दिन और रात भगवान का जाप करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसमें रात को सोना भी मना होता है.
कब खोलें व्रत (vrat paran time)
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं बिना पानी पिए और निराहार भगवान के नाम का जाप करती हैं. रात भर भगवान शिव की उपासना और भजन कीर्तन किए जाते हैं. भगवान का ध्यान किया जाता है. इसके बाद अगले सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है.
पूजन विधि (pujan vidhi)
कहते हैं कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रुप में स्वीकार किया था. माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, इसके बाद ही भोलेशंकर उन्हें मिल पाए थे. तभी से मन चाहे पति की इच्छा और लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत या काली मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजी जाती है. पूजा के स्थान पर एक चौकी रखी जाती और उन्हें फूलों से सजाया जाता है. चौकी पर केले के पत्ते रखें और उसके ऊपर प्रतिमा जी स्थापित करें. इसके बाद भगवान का षोडशोपचार विधि से पूजन करें. माता पार्वती का सुहाग की सभी चीजें चढ़ाएं. भगवान शिव को धोती और अगोंछा चढ़ाएं. इसके बाद उन चीजों को ब्राह्मण को दान दे दें. पूजा के बाद तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें.
पूजन सामग्री (pujan samagri)
पूजा की थाली में सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, काजल आदि रखें। इसके अलावा तुलसी, केले का पत्ते, आंक का फूल, मंजरी, शमी पत्र, जनैऊ, वस्त्र, फूल, अबीर, वस्त्र, फल, कुमकुम, चंदन, घी-तेल, दीपक, नारियल, माता की चुनरी, लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, सुहाग का सामानऔर तुलसी आदि रखें.