Hartalika Teej 2021: तीज पर है सोलह श्रृंगार का महत्व, ये हैं सुहागिनों के सोलह श्रृंगार
Hartalika Teej 2021 Date: पंचांग (Panchang) के अनुसार वर्ष 2021 में हरतालिका तीज का पर्व 11 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन सोहल श्रृंगार (Solah Shringar) का विशेष महत्व है.
Hartalika Teej 2021 Date in Hindi: हरतालिका तीज का पर्व आने वाला है. इस पर्व का सुहागिन स्त्रियां पूरे वर्ष इंतजार करती हैं. हरतालिका का पर्व सुहागिन स्त्रियों का प्रिय पर्व है. इस पावन पर्व को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. ये नाम इस प्रकार हैं-
- हरतालिका तीज
- तीज
- हरियाली तीज
- सावन तीज
- श्रावण तीज
हरतालिका तीज व्रत महत्व
हरतालिका तीज पर सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और सुख, समृद्धि के लिए व्रत रखती है. तीज के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इस व्रत में सुहागिन स्त्रियां अन्न और जल को ग्रहण नहीं करती हैं. इसलिए इस व्रत को कठिन माना गया है. इस व्रत को विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में आनंद बना रहता है. इसमें सोलह श्रृंगार का भी विशेष महत्व बताया गया है.
सोलह श्रृंगार
हरतालिका तीज श्रावण मास यानि सावन के महीने का प्रमुख पर्व है. पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव और पार्वती जी का इस दिन पहली बार मिलन हुआ था. इस दिन सोलह श्रृंगार करने की भी परंपरा है. आइए जानते हैं कि सोलह श्रृंगार के अंर्तगत कौन कौन से श्रृंगार आते हैं.
- पुष्प का श्रृंगार- सोलह श्रृंगार में फुलों से श्रृंगार करना शुभ माना गया है. बरसात के मौसम में उमस बढ़ जाती है. सूर्य और चंद्रमा की शक्ति वर्षा ऋतु में क्षीण हो जाती है. इसलिए इस ऋतु में आलस आता है. मन को प्रसन्नचित रखने के लिए फुलों को बालों में लगाना अच्छा माना गया है. फुलों की महक स्फूर्ति प्रदान करती है.
- माथे पर बिंदी या टिका- इसे भी एक श्रृंगार के तौर पर माना गया है. माथे पर सिंदूर का टिका लगाने से सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. इससे मानसिक शांति भी मिलती है. इस दिन चंदन का भी टिका लगाया जाता है.
- मांग में सिंदूर- मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है वहीं इस स्थान पर सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. इसका अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं.मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.
- गले में मंगल सूत्र- मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है वहीं इससे प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं. हृदय की धड़कन नियंत्रित रहती है. वहीं मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं इससे मन चंचल नहीं होता है.
- कानों में कुंडल- कान में आभूषण पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता है. कर्ण छेदन से आंखों की रोशनी तेज होती है. सिर का दर्द कम करने में भी सहायक होता है.
- माथे पर स्वर्ण टिका- माथे पर स्वर्ण का टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाता है वहीं मस्तिष्क का नर्वस सिस्टम भी अच्छा रहता है.
- कंगन या चूडियां- हाथों में कंगन या चूडियां पहनने से रक्त का संचार ठीक रहता है. इससे थकान नहीं होती है. साथ ही हार्मोंस को भी नहीं बिगड़ने देती हैं
- बाजूबंद- इसे पहनने से भुजाओं में रक्त प्रवाह ठीक बना रहता है. दर्द से मुक्ति मिलती है. वहीं इससे सुंदरता में निखार आता है.
- कमरबंद- इससे पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं. कई बीमारियों से बचाव होता है. हार्निया जैसी बीमारी होने का खतरा कम होता है.
- पायल- पायल पैरों की सुंदरता में चारचांद लगाती हैं. वहीं इनको पहनने से पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित करती है. इसका एक बड़ा कार्य महिलाओं में वसा को बढ़ने से रोकना भी है. वहीं चांदी की पायल पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं.
- बिछिया- बिछिया को सुहाग की एक प्रमुख निशानी के तौर पर माना जाता है लेकिन इसका प्रयोग पैरों की सुंदरता तक ही सीमित नहीं है. बिछिया नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां को मजबूत बनाए रखने में भी मददगार होती है.
- नथनी- नथनी चेहरे की सुंदरता में चारचांद लगाती है. यह एक प्रमुख श्रृंगार है. लेकिन इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. नाक में स्वर्ण का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं में दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है.
- मुद्रिका या अंगूठी- अंगूृठी पहनने से रक्त का संचार शरीर में सही बना रहता है. इससे हाथों की सुंदरता बढ़ती है. इससे पहनने से आलस कम आता है.
- मेहंदी- हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा है. स्त्रियां खास तौर पर इस दिन हाथों में मेहंदी लगाती हैं. ये सोलह श्रृंगार में प्रमुख श्रृंगार में से एक है. मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है.
- काजल या सुरमा- काजल या सुरमा जहां आंखों की सुरंदता को बढ़ाता है. वहीं आंखों की रोशनी भी तेज करने में सहायक होता है. इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं.
- मुख सौंदर्य- इसे मेकअप भी कहा जाता है. मुख पर प्रकृति सौंदर्य प्रसाधन लगाने से मुख की सुंदरता बढ़ती है. वहीं इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और ऊर्जा बनी रहती है.
Sawan 2021: 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू, सावन के महीने में दूध और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए