Hartalika Teej 2023: सात साल बाद सोमवार के दिन हरतालिका तीज का दुर्लभ संयोग, आज पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा
Hartalika Teej 2023: इस साल हरतालिका तीज का व्रत सोमवार के दिन पड़ा है, जिसे बहुत ही शुभ माना जा रहा है. सोमवार के दिन शिव-पार्वती की व्रत-पूजन करने से इसका फल जरूर प्राप्त होता है.
Hartalika Teej 2023: आज भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहली बार माता पार्वती ने इस व्रत को रखा था.
महिलाओं के लिए तो हरतालिका तीज का दिन बहुत खास होता है. इस दिन महिलाएं कठिन निर्जला व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. आज सोमवार 18 सितंबर 2023 को हरतालिका तीज का व्रत है. सोमवार का दिन पड़ने से इस पर्व का महत्व और बढ़ जाता है.
7 साल बाद सोमवार के दिन हरतालिका तीज
ज्योतिष के अनुसार, सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए बहुत ही उत्तम होता है. ऐसे में सोमवार के दिन हरतालिका तीज का पड़ना व्रतियों के लिए बहुत खास रहेगा. क्योंकि यह शुभ और दुर्लभ संयोग हर साल नहीं पड़ता है. बताया जा रहा है कि, सात साल बाद 2023 में हरतालिका तीज सोमवार के दिन पड़ी है. साथ ही इस बार तीज के दिन रवि और इंद्र योग भी रहेगा.
हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi)
हरतालिका तीज की पूजा और व्रत तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक आप इससे संबंधित कथा पढ़ते या सुनते नहीं है. कहा जाता है कि हरतालिका तीज की कथा पढ़ने या सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. हरतालिका तीज की कथा मां पार्वती के पुनर्जन्म से जुड़ी हुई है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पार्वती का जन्म राजा हिमालय के यहां पुत्री के रूप में हुआ था. वह भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं और उन्हें पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने तपस्या की. पार्वती सदैव भगवान शिव की तपस्या में लीन रहती थीं. पार्वती की हालत देख पिता को चिंता होने लगी और उन्होंने नारदजी से इस बारे में बात की. तब नारदजी ने देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से कराने का निश्चय किया. भगवान विष्णु और पार्वती के पिता भी इस विवाह के लिए राजी हो गए.
लेकिन देवी पार्वती विष्णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि वो तो शिव को अपना पति मान चुकी थीं. तब उनसे अपनी सखी को अपने मन की बात बताई. इसके बाद पार्वती की सखियां उन्हें घने जंगल में लेकर चली गई. कहा जाता है कि, भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर शिव की स्तुति की और रात्रि जागरण भी किया. इतना ही नहीं पार्वती वे अन्न-जल का त्याग भी कर दिया. शिव को पाने के लिए पार्वती ये कठोर तपस्या 12 साल तक चली.
आखिरकार पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया. बाद में पिता हिमराज भी शिव-पार्वती के विवाह के लिए मान गए और दोनों का विवाह कराया गया. इसलिए कहा जाता है कि जो स्त्री हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में पड़ने वाली हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं, उन्हें महादेव अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं.
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