Hartalika Teej 2023 Highlights: हरतालिका तीज व्रत की पूजा का प्रथम प्रहर कब से कब तक, जानें चारों प्रहर का मुहूर्त
Hartalika Teej 2023 Highlights: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज 2023 का निर्जला और निराहार व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. प्रदोष काल का समय क्या रहेगा, जानें.
Hartalika Teej 2023: हरतालिका व्रत में 4 प्रहर की पूजा का विधान बताया गया है.पंचांग के अनुसार प्रथम प्रहर की पूजा का समय रात्रि 9 बजकर 2 मिनट तक है. अभी प्रथम प्रहर की पूजा का समय चल रहा है. दूसरा, तीसरा और चौथा प्रहर का समय क्या रहेगा, जानते हैं-
- पहला प्रहर शाम 6: 23 PM से 9:02 PM तक.
- दूसरा प्रहर रात 9:02 PM से 12:15 AM (19 सितंबर).
- तीसरा प्रहर 12:15 AM से 03:12 AM (19 सितंबर).
- चौथा प्रहर 03:12 AM से 06:08 AM (19 सितंबर).
Hartalika Teej 2023: माता पार्वती का जन्म राजा हिमालय के यहां पुत्री के रूप में हुआ था. वह भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं और उन्हें पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने तपस्या की. माता पार्वती की हालत देख पिता को चिंता होने लगी और नारद जी को पूरी बात बताई. नारद जी ने देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से कराने का निश्चय किया. भगवान विष्णु और पार्वती के पिता भी इस विवाह के लिए राजी हो गए.
किंतु देवी पार्वती विष्णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि वो तो शिव को अपना पति मान चुकी थीं. तब उनसे अपनी सखी को अपने मन की बात बताई. इसके बाद पार्वती की सखियां उन्हें घने जंगल में लेकर चली गई. कहा जाता है कि, भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर शिव की स्तुति की और रात्रि जागरण भी किया. इतना ही नहीं पार्वती वे अन्न-जल का त्याग भी कर दिया.
कठोर तप से प्रसन्न होकर महादेव ने पार्वती जी को दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया. बाद में पिता हिमराज भी शिव-पार्वती के विवाह के लिए मान गए और दोनों का विवाह कराया गया.
मां पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता...
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज एक पूजा सुबह के मुहूर्त में हो चुकी है, अब शाम की पूजा का समय होने जा रहा है, तीज की पूजा में प्रदोष काल का अत्याधिक महत्व बताया गया है. पंचांग के अनुसार प्रदोष काल शुरू होने में अब कुछ ही समय बचा है, ऐसे में पूजा की तैयारी आरंभ कर देना चाहिए. आइए जानते हैं शाम की पूजा का समय- 05:50 से 07:30 तक का समय शुभ रहेगा.
वहीं प्रदोष काल का समय-शास्त्रों के अनुसार प्रदोष काल, सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले का समय और सूर्य अस्त होने के 45 मिनट बाद तक रहता है.
18 सितंबर 2023 को सूर्यास्त का समय- 18:23 तक है, ये समय नई दिल्ली के अनुसार है.
इस मुहूर्त पर आप मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.
Hartalika Teej 2023: हर तालिका का पर्व पर मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है, माता पार्वती के नाम पर लड़कियों के नाम यहां पर दिए जा रहे हैं.
- भाव्या (Bhavya): इस नाम का मतलब शानदार होता है.
- चित्रा (Chitra): इस नाम का मतलब ड्राइंग होता है.
- संकरी (Sankari): इस नाम का अर्थ देवी पार्वती है.
- तारणी (Tarini): इस नाम का अर्थ देवी पार्वती है.
- उमा (Uma): इस नाम का अर्थ देवी पार्वती है.
- जलोदरी (Jalodari): इस नाम का अर्थ है ईथर ब्रह्मांड का निवास.
- महातपा (Mahatapa): इस नाम का अर्थ है कठोर तपस्या से युक्त
- मन्हा (Manah): इस नाम का मतलब मन होता है.
- साध्वी (Saadhvi): धार्मिक महिलाएं.
Hartalika Teej 2023: हर तालिक तीज पर खरीदारी करना शुभ माना गया है. इस दिन सोने के बने आभूषण खरीदना शुभ माना गया है. इसके साथ ही सुहाग की चीजों की शॉपिंग करना भी अच्छा माना गया है. इसके साथ इस दिन मोबाइल फोन (mobile buy) , प्रॉपर्टी (property buy), घर की बुकिंग (flats booking), किराए पर मकान (Rent Flats) लेना और गैजेट आदि खरीदना भी शुभ माना गया है.
आज का शॉपिंग मुहूर्त (Today Shopping Muhurat)- शाम 4 से 6 बजे तक.
Ganesh Chaturthi 2023: आज का दिन धार्मिक दृष्टि से विशेष भी है और महत्वपूर्ण भी. मान्यता है कि शिव परिवार की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. आज का दिन शिव परिवार की उपासना के लिए अत्यधिक विशेष है. आज हर तालिका का पर्व है, ये पर्व शिव और माता पार्वती को समर्पित है. लेकिन इस दिन गणेश जी की पूजा का भी संयोग बना है.
पंचांग अनुसार तीज की तिथि समाप्त हो चुकी है, ये दोपहर 12:41 तक थी, इसके बाद चतुर्थी की तिथि आरंभ हो चुकी है. भाद्रपद की चतुर्थी तिथि को ही गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. उदया तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व कल यानि 19 सितंबर को मनाया जाएगा. चतुर्थी की तिथि आरंभ होने से गणेश पूजा का भी उत्तम संयोग बन गया है.
Hartalika Teej 2023: हर तालिका की पूजा में प्रदोष काल (Pradosh) का विशेष महत्व है. मान्यता है कि प्रदोष काल में पूजा करने से भगवान भोलेनाथ बहुत जल्द प्रसन्न होते है. इस बार 7 साल बाद हरतालिका का पर्व सोमवार को पड़ा है. इसलिए इस दिन का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. पंचांग (Aaj Ka Panchang) अनुसार आज का प्रदोष काल का समय क्या है, जानते हैं-
प्रहर | आरंभ | कब तक |
पहला प्रहर | शाम 6: 23 PM | 9:02 PM तक |
दूसरा प्रहर | रात 9:02 PM | 12:15 AM (19 सितंबर) |
तीसरा प्रहर | 12:15 AM (19 सितंबर) | 03:12 AM (19 सितंबर) |
चौथा प्रहर | 03:12 AM (19 सितंबर) | 06:08 AM (19 सितंबर) |
- हरतालिका तीज के दिन व्रती का सोना वर्जित होता है.
- हरतालिका तीज व्रत में भूलकर भी जल ग्रहण न करें.
- हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को अपने पति के साथ वाद-विवाद नहीं करना चाहिए.
- व्रत के दौरान मन में किसी भी तरह की और किसी के लिए कोई गलत भावना न लाएं.
ज्योतिष के अनुसार, आज 18 सितंबर 2023 हरितालिका तीज का दिन मेष, वृषभ, तुला, धनु और मकर राशियों के लिए शुभ रहने वाला है. हरतालिका तीज आपके जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आएगा.
किसी भी पूजा-अनुष्ठान में मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि, मंत्रों के जाप से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं. हरतालिका तीज की पूजा में आप ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करें. इसके साथ ही आप ‘गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।’ मंत्र का जाप कर सकते हैं. इससे देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं.
- आज पूजा में महिलाएं मां पार्वती को सिंदूर और लाल चूड़ियां अर्पित करनें. साथ ही ऊं नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
- मनचाहा वर पाने के लिए कुवांरी कन्याएं हरतालिका तीज की शाम मंदिर जाकर शिव-पार्वती के समक्ष घी का 11 दीपक जलाएं.
इस साल हरतालिका तीज 18 सितंबर 2023 सोमवार के दिन है. बताया जा रहा है कि, ऐसा संयोग सात साल बाद पड़ा है. सोमवार का दिन पड़ने से इसे सोमवारी हरतालिका तीज कहा जाएगा.
हरतालिका तीज की पूजा में मां पार्वती को सुहाग का सामान जरूर अर्पित करें. इसके साथ ही आपको पूजा के लिए एक सूखा नारियल, कलश, बेलपत्र, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, भोग,अक्षत, धूप, दीप, कपूर, गंगाजल, दूर्वा और जनेऊ आदि की जरूर होगी.
- हरतालिका तीज का व्रत निर्जला और निराहार रखा जाता है. इसलिए व्रत के दौरान गलती से भी कुछ खाएं या पीएं नहीं.
- हरतालिका तीज की पूजा के लिए प्रदोष काल मुहूर्त को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
- हरतालिका तीज के दिन पूजा में मां पार्वती को सुहाग का श्रृंगार जरूर अर्पित करें.
- सुहागिन महिलाओं को हरतालिका तीज के दिन काले वस्त्र या चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए.
- हरतालिका तीज के अगले दिन भोर में पूजा करने और ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद ही व्रत का पारण करें.
आज हरतालिका तीज में चार शुभ योग का निर्माण होगा, जोकि बहुत ही शुभ. आज इंद्र योग, रवि योग, चित्रा नक्षत्र और स्वाति नक्षत्र रहेगा.
- इंद्र योग: इंद्र योग की समाप्ति 19 सितंबर सुबह 04:24 पर होगी.
- रवि योग: दोपहर 12:08 से 19 सितंबर सुबह 06:08 तक है.
- चित्रा नक्षत्र: 18 सितंबर दोपहर 12:08 तक
- स्वाति नक्षत्र: 18 सितंबर दोपहर 12:08 से शुरू होगा.
- पहला प्रहर: शाम 06:23 से रात 09:02 तक
- दूसरा प्रहर: रात 09:02 से रात 12:15 तक
- तीसरा प्रहर: 19 सितंबर रात 12:15 से प्रात: 03:12 तक
- चौथा प्रहर: 19 सितंबर प्रात: 03:12 से सुबह 06:08 तक
हरतालिका तीज में सोना वर्जित माना गया है. ऐसे में व्रती रात्रि जागरण करती है. रात्रि जागरण केदौरान आप इन मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.
हरतालिका तीज पर सुबह के बाद प्रदोष काल में पूजा के लिए शाम 05:50 से 07:30 तक का समय शुभ रहेगा. इस मुहूर्त पर आप मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि रविवार, 17 सितंबर सुबह 11:08 से शुरू हो चुकी है और रविवार 18 सितंबर दोपहर 12:39 पर यह समाप्त हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर को रखना मान्य होगा. पूजा के लिए सुबह 06:07 से सुबह 8:34 तक का मुहूर्त शुभ है.
बैकग्राउंड
Hartalika Teej 2023 Highlights: पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरतालिका तीज का पर्व सोमवार 18 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा. हरतालिका तीज के विशेष दिन पर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है.
धार्मिक मान्यता है कि, सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत मां पार्वती ने शिवजी के लिए रखा था. इसके बाद से ही यह पर्व मनाया जाने लगा. ऐसी मान्यता है कि, हरतालिका तीज का व्रत रखने से पति-पत्नी का वैवाहिक जीवन मजबूत और सुखमय होता है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और साथ ही संतान सुख की प्राप्ति भी होती है. इस पर्व को मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है. वहीं कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इसे गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है.
हरतालिका तीज के दिन निर्जला और निराहार व्रत रखने का विधान है. इसलिए हरतालिका तीज को सबसे कठिन व्रतों में एक माना गया है. इस साल हरतालिका तीज का व्रत आज सोमवार 18 सितंबर को रखा जाएगा. ज्योतिष के अनुसार आज हरतालिका तीज पर कई शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है, जिसमें व्रत रखना बहुत ही उत्तम रहेगा.
कौन रख सकता है हरतालिका तीज का व्रत (Who can keep of Hartalika Teej Vrat)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं दोनों ही कर सकती हैं. विवाहित स्त्रियां अगर इस दिन व्रत रखती हैं तो इससे पति आयु लंबी होती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है. साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में आपसी प्रेम बढ़ता है. वहीं कुंवारी कन्याएं यदि हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं तो विवाह में आने वाली अड़चने दूर होती हैं और विवाह के लिए योग्य वर मिलता है.
हरतालिका तीज का महत्व (Hartalika Teej Importance)
हरतालिका ‘हरत’ और ‘आलिका’ दो शब्दों से मिलकर बना है. इसमें हरत का मतलब 'अपहरण' से है और ‘आलिका’ का मतलब 'सहेली' है. पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब मां पार्वती के पिता हिमराज उनका विवाह विष्णु जी के कराना चाहते थे तो पार्वती जी की सहेली ने उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा दिया था, जिससे कि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं. यहीं जंगल में रहकर पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर शिव की उपासना की कठोर तप किए. इसके बाद शिव उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए.
यही कारण है कि, सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं. वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
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