Hazrat Ali Birthday: हजरत अली की यौम-ए-पैदाइश (जन्मदिन) इस्लामिक महीने रजब (इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सातवां महीना) की 13 तारीख को मनाई जाती है. इस साल यह तारीख 25 जनवरी को पड़ रही है. इनका जन्म मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थान मक्का में हुआ था. हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम देते थे. इसलिए हजरत अली के जन्मदिन पर मुसलमान उन्हें और उनके द्वारा कहे गए शांति संदेशो को याद करते हैं.


कौन थे हजरत अली


हजरत अली को मुसलमानों के चौथे खलीफा के तौर पर जाना जाता है. ये शिया मुसलमानों के पहले इमाम थे. हजरत अली के बेटे हुसैन ने कर्बला की लड़ाई में भूखे-प्यासे रहकर जेहाद का मतलब लोगों को बताया और हजरत अली ने शांति व अमन का पैगाम दिया.


पैंगबर मुहम्मद के बाद हजरत अबू बक्र पहले खलीफा बने. इनकी मृत्यु के बाद हजरत उस्मान और हजरत उमर खलीफा बने. इसके बाद हजरत अली को खलीफा बनाया गया है. खलीफा बनने के बाद इन्होंने चार साल हुकुमत की और इस्लाम के लिए कई जंग लड़ी. 21 रमजान 40 हिजरी को ईराक के कूफा शहर के मस्जिद में इनकी शहादत हो गई.


कहा जाता है कि हजरत अली के हुकुमत में उनके इंसाफ की मिसाल दी जाती थी. हजरत अली कहते थे कि, इस्लाम इंसानियत का धर्म है और इस्लाम अहिंसा के पक्ष में है. शांति और अमन का पैगान देने वाले अजरत अली के जन्मदिन पर जानते हैं उनके कुछ महान विचार-



  • जो लोग सिर्फ तुम्हें काम के समय याद करते हैं उन लोगों के काम जरूर आओ. क्योंकि वो अंधेरों में रोशनी ढूंढते हैं और वो रोशनी तुम हो.

  • सोच समझकर बोलो. बोलने से पहले शब्द आपने गुलाम हैं लेकिन बोलने के बाद आप लफ्जों के गुलाम बन जाते हैं.

  • हमेशा जालिमों का दुश्मन और मजलूमों का मददगार बनकर रहना चाहिए.

  • उन पापों से डरो जो आप गुप्त रूप से करते हैं. क्योंकि अल्लाह आपके कर्मों को देख रहे हैं, अल्लाह से डरें.

  • अगर आप अल्लाह से डरते हो तो आपके पास किसी और से डरने का कोई कारण नहीं.

  • जीभ एक शेर की तरह है अगर आप इसे ढील देते हैं तो यह किसी को घायल कर सकती है.

  • नेक लोगों की सोहबत से हमेशा भलाई ही मिलती है. क्योंकि हवा जब फूलों से गुजरती है तो वो भी खुशबूदार हो जाती है.

  • किसी की बुराई तलाश करने वाले मिसाल उस मक्खी के जैसी है जो सारा खूबसूरत जिस्म छोड सिर्फ जख्म पर बैठती है.


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