Hindu Marriage: कितने तरह की शादियां होती हैं, जो माला पहनाकर करते हैं उसे क्या बोलते हैं ?
Hindu Marriage: क्या आप जानते हैं विवाह कितने प्रकार के होते हैं? जिस विवाह में वर-वधू एक-दूसरे को जयमाला पहनाते हैं उसे क्या बोलते है ? आइए जानते है विवाह से जुड़ी रोचक जानकारी.
Hindu Marriage: विवाह जिंदगी का सबसे अहम और खूबसूरत पड़ाव होता है. हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में विवाह चौदहवां संस्कार है. अगर हम आज की बात करें तो विवाह में केवल लव मैरिज और अरेंज मैरिज की ही बात सुनते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं विवाह कितने प्रकार के होते हैं? जिस विवाह में वर-वधू एक-दूसरे को जयमाला पहनाते हैं उसे क्या बोलते है ? आइए जानते है विवाह से जुड़ी रोचक जानकारी.
कितने तरह के होते हैं विवाह ? (Eight Types of Hindu Marriage)
विवाह न सिर्फ दो लोगों का मिलन है बल्कि हिंदू धर्म में ये एक धार्मिक-संस्कार है. हिन्दू धर्म में 8 प्रकार के मुख्य विवाह बताए गए हैं. इन विवाह में सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म विवाह को और सबसे निम्न कोटि का स्थान पैशाची विवाह को दिया गया है. इन आठ विवाह में - ब्रह्म, दैव, आर्ष, प्राजापत्य, असुर, गन्धर्व, राक्षस और पैशाच विवाह शामिल है.
- ब्रह्म विवाह - 16 संस्कारों में ब्रह्म विवाह को ही शामिल किया गया है. ब्रह्म विवाह वर-वधू दोनों पक्ष की सहमति से होता है. इस विवाह में वैदिक रीति और नियम का पालन किया जाता है. दुल्हा-दुल्हन के कुल, गोत्र देखे जाते हैं, कुंडली मिलान होता है, हरिद्रालेप, द्वार पूजा, मंगलाष्टकं, पाणिग्रहण, जयमाला आदि पूरे रीति रिवाज निभाए जाते हैं. इस विवाह को किए जाने के लिए शुभ मुहूर्त पर जरुर विचार किया जाता है.
- देव विवाह - इस विवाह में किसी खास उद्देश्य सेवा, धार्मिक कार्य के लिए कन्या का विवाह उसकी सहमति से किसी विशेष वर से करवाया जाता है. ये मध्यम विवाह माना जाता है.
- आर्ष विवाह - शास्त्रों के अनुसार ये विवाह ऋषियों से संबंधित है, जिसमें कोई ऋषि विवाह की इच्छा से कन्या के पिता को गाय और बैल या उनका जोड़ा दान में देकर विवाह करता है. ये गोदान धार्मिक कारण से किया जाता, न कि कन्या के मूल्य स्वरूप.
- प्रजापत्य विवाह - इस विवाह में कन्या के पिता नवदंपति को आदेश देते हैं कि शादी के बाद वह गृहस्थ धर्म का पालन करते हुआ जीवन यापन करेंगे. इसमें विवाह से पूर्व एक विशेष पूजा होती है. याज्ञवल्क्य के अनुसार इस विवाह से उत्पन्न संतान अपनी पीढ़ियों को पवित्र करने वाली होती है.
- असुर विवाह - इसमें वर पक्ष कन्या के परिजनों को कुछ धन देकर कन्या को खरीद लेता है और उससे विवाह करता है. इसमें कन्या की सहमति नहीं मायने रखती.
- गांधर्व विवाह - गांधर्व विवाह में युवक-युवती एक दूसरे से प्रेम कर शादी की इच्छा जाहिर करते हैं. फिर माता पिता की सहमति से ये विवाह होता है. मौजूदा दौर में लव मैरिज गंधर्व विवाह की तरह ही है
- राक्षस विवाह - इच्छा के विरुद्ध किया गया विवाह राक्षस विवाह के लाता है. इस विवाह में किसी कन्या का अपहरण करके उससे जबरदस्ती ब्याह रचाया जाता है. इसे निकृष्ट स्तर का विवाह माना गया है.
- पिशाच विवाह - ये सबसे निम्म कोटि का विवाह माना गया है. इसमें स्त्री की सहमति के बिना, धोखे से, बेहोशी की हालत में उससे दुष्कर्म करने के बाद उसके साथ विवाह करता है. इसे पिशाच विवाह कहते हैं.
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