Maa Lakshmi: हमारे शास्त्रों में साफ-सफाई को जीवन का अभिन्न हिस्सा माना गया है. कहा जाता है कि किसी स्थान को पवित्र रखना है तो उसकी साफ-सफाई आवश्यक होती है. जब बात मंदिर की पवित्रता की आती है तब भी सफाई को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है. मंदिर और पूजा गृह को लेकर साफ-सफाई का विशेष महत्व है. माना जाता है कि अगर मंदिर (Temple) साफ न रहे तो वहां देवता वास नहीं करते. इसलिए शास्त्रों में पूजा स्थान की सफाई के कुछ नियम भी बताए गए हैं. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार, मंदिर की साफ सफाई कभी भी भूलकर भी रात में नहीं करनी चाहिए. इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं. आइए जानते हैं रात में मंदिर की सफाई से क्यों मना किया जाता है...
रूठ कर जा सकती हैं मां लक्ष्मी
ऐसी मान्यता है कि रात के वक्त घर या किसी भी जगह की सफाई नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) नाराज हो जाती हैं और उस स्थान को छोड़कर चली जाती हैं. यही बात मंदिर पर भी लागू होती है. माना जाता है कि अगर रात में मंदिर की साफ-सफाई की गई तो धन हानि हो सकती है. एक बार के लिए अगर पौराणिक मान्यताएं न मानें तब भी आपने देखा होगा कि कई मंदिरों में कीमती सामान होते हैं. पहले भी ऐसा हुआ करता था. जब पहले लाइट की इतनी व्यवस्था नहीं थी तो अंधेरे में सफाई करने से ये कीमती चीजें बाहर चली जाती थी. इसलिए रात में मंदिर साफ करने से मना किया जाता रहा है.
रात्रि में आराम करते हैं भगवान
मान्यता यह भी है कि संध्या आरती के बाद भगवान के शयन का समय हो जाता है. ऐसे में अगर भगवान के सोते समय मंदिर की सफाई की जाती है तो उनकी निद्रा खुल जाती है. इसलिए भी संध्या काल के बाद मंदिर की सफाई की मनाही है. कहा जाता है कि अगर भगवान के सोने में विघ्न डाला जाए तो यह उनका अपमान होता है. जो समृद्धि और वैभव में कमी ला सकता है.
दीप प्रज्जवलित होने के वक्त भी सफाई की मनाही
मंदिर में संध्या काल में आरती के बाद दीप प्रज्ज्वलित होता रहता है. माना जाता है कि इससे घर में समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है. अब ऐसे में अगर रात में मंदिर की साफ-सफाई की जाती है तो दीया बुझ भी सकता है. इससे समृद्धि में रुकावट आ सकती है.
रात में अशुद्ध रहता है मन और शरीर
माना यह भी जाता है कि रात्रि में मन और शरीर अपवित्र होता है. कई बार साफ वस्त्र पहनें बिना ही मंदिर की साफ-सफाई करने लगते हैं. ऐसे में अपवित्रता के कारण घर में शांति नहीं रहती, नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. इसलिए ज्योतिष में बताया भी गया है कि स्नान कर, साफ कपड़े पहनने के बाद ही मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए.
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