HMPV Virus in India:: नए साल (New Year 2025) का जश्न मनाने के बाद भारत में HMPV वायरस के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर से लोगों की चिंता बढ़ा दी है. अभी लोग कोरोना महामारी से उबरे भी नहीं थे कि, नए वायरस HMPV की दस्तक भारत में हो चुकी है. ऐसे में लोगों के मन में यही सवाल है कि क्या यह वायरस भी कोरोना की तरह ही तबाही मनाएगा? क्या दुनिया में एक बार फिर कोरोना महामारी जैसा खतरा मंडराएंगा? HMPV वायरस को लेकर क्या है ज्योतिष की भविष्यवाणी,आइये जानते हैं-


चीन से शुरू हुए HMPV वायरस का प्रकोप भारत में भी अब बढ़ाने लगा है. हालांकि ज्योतिषाचार्य निखिल कुमार का मानना है कि, यह कोई नया वायरस नहीं है. लगभग 21 साल पहले से वैज्ञानिक इस वायरस के बारे में जानते हैं. लेकिन वर्तमान समय में कोरोना की तरह देश को प्रभावित न कर दे, इस बात का डर लोगों में बना हुआ है.


जब कभी विश्व पर भविष्यवाणी करनी हो तो हम जगत कुंडली अथवा काल पुरुष कुंडली के आधार पर भविष्यवाणी करते हैं. इस वायरस की भविष्यवाणी के लिए हम कालपुरुष कुंडली की मदद लेंगे. यह वायरस श्वसन (सांस) तंत्र और फेफड़ों के रोग से संबंधित परेशानी देता है. काल पुरुष कुंडली के अध्ययन से इस रोग के बारे में जाना जा सकता है.


कर्क राशि में मंगल तब तर बढ़ेगा HMPV का प्रकोप! 


किसी भी कुंडली में चतुर्थ भाव छाती फेफड़े का होता है तथा श्वसन तंत्र को द्वितीय और चतुर्थ भाव से देखा जाएगा, क्योंकि द्वितीय भाव से आंख नाक कान दांत तथा जुबान अथवा गले का विचार किया जाता है, जहां से श्वसन का आरंभ होता है. यह भाग कालपुरुष कुंडली में शुक्र द्वारा संचालित है. सांस छाती में फेफड़े तक जाती है, स्वसन तंत्र में डायाफ्राम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है जोकि कुंडली के चतुर्थ भाव से देखे जाते हैं. चतुर्थ भाव में वर्तमान के समय में मंगल का गोचर कर्क राशि में चल रहा है. मंगल नीच अवस्था में हैं तथा वक्री भी है. यह 7 दिसंबर 2024 से वक्री हैं. 


इस वायरस का संबंध यदि हम काल पुरुष की कुंडली से देखें तो सम्बन्ध मंगल ग्रह से है क्योंकि चतुर्थ भाव में मंगल का नीच हो जाना चतुर्थ भाव को कमजोर कर रहा है. जल तत्व की राशि में मंगल अच्छा परिणाम नहीं दे रहा है, जिस कारण पूरे विश्व के 2 देशों में चतुर्थ भाव अर्थात छाती और श्वसन संबंधित रोग चलन में आ गया. अब यदि हम मंगल की परिस्थितियों को देखें तो यह कहा जा सकता है कि जब तक मंगल कर्क राशि में रहेगा, तब तक यह रोग प्रकोप फैलाता रहेगा.


दिनांक 23 जनवरी 2025 को मंगल वक्री (Mangal Vakri) गति से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय थोड़ी राहत तो मिल सकती है. लेकिन मंगल को मार्गी (Mangal Margi 2025) होकर पुनः कर्क राशि में ही आना है, इसलिए यह रोग एकदम से शांत नहीं होगा. दिनांक 24 फरवरी 2025 को मंगल देव मिथुन राशि में मार्गी होंगे तथा 7 अप्रैल 2025 तक इस राशि में अपना गोचर करेंगे. दिनांक 9 जून 2025 को सिंह राशि में प्रवेश करेंगे.


14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि मे प्रवेश करने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?


जब सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो उनकी सातवीं दृष्टि कर्क राशि में मंगल देव पर पड़ेगी, जोकि मंगल देव के नीचता को कम करेंगे. इसलिए जब तक यह गोचर (Gochar 2025) मकर राशि में रहेगा, तब तक इस रोग के बड़े स्तर के केस कंट्रोल में रहेंगे.


शनि राहु की युति का असर कैसा रहेगा?


29 मार्च 2025 को शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे तथा राहु देव के साथ युति बनाएंगे. यह जल तत्व की राशि में बनेगी जोकि रोगों की वृद्धि वाली युक्ति है और 18 मई 2025 तक बनी रहेगी. यह समय इस रोग के लिए चरम का समय होगा. इस समय यह रोग बहुत अधिक प्रकोप दिखाएगा तथा मई 2025 के बाद हालात सुधारने शुरू होंगे.


क्या इस रोग की पुनरावृत्ति सम्भव है?


मई 2025 के बाद यह रोग कम हो जाएगा. यदि पुनः इसके संभावनाओं को देखें तो जब मीन राशि में शनि देव 12 जुलाई 2025 से 18 नवम्बर 2025 तक वक्री होंगे तब इस रोग में कुछ समय के लिए पुनः वृद्धि देखी जा सकती है.


निष्कर्ष - हालांकि यह रोग बहुत पुराना है और किसी प्रकार की वैश्विक महामारी का रूप इतने सालों में नहीं लिया है. यह रोग किसी महामारी का रूप नहीं ले पाएगा. अगर लोग अपनी सूझबूझ और सावधानियों से इस रोग पर नियंत्रण रखेंगे तथा यह रोग शनि राहु की युक्ति के समय तक अधिक प्रभावी रहेगा और शनि के वक्री होने पर पुनः लोगों की परेशानी का सबब बन सकता है. इसलिए संयम और सावधानी बरतना अति आवश्यक है. 


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