Holi 2020: पूरे देश में 9 मार्च 2020 को सोमवार के दिन होलिका दहन किया जाएगा. होली का पर्व इसलिए खास माना जाता है क्योंकि यह पर्व बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन होलाष्टक समाप्त हो जाएंगे. इस से शुभकार्यों का भी आरंभ हो जाता है. आस्था के इस पर्व का सामाजिक महत्व भी है. आपसी भाईचारे और सोहार्द का भी प्रतीक है होली का पर्व.


होली का शुभ मुहूर्त


होलिका दहन: 9 मार्च 2020


होलिका दहन का शुभ समय: 18:26:20 से 20:52:17 तक
होलिका दहन की समय अवधि: 2 घंटे 25 मिनट 
भद्रा पुंछा: 09:50:36 से 10:51:24 तक
भद्रा मुखा: 10:51:24 से 12:32:44 तक 


होलिका दहन पूजा विधि


इस दिन फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा है. इस दिन व्रत भी रखा जा सकता है. स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. होलिका दहन स्थल पर गोबर से होलिका और भक्त प्रहलाद की आकृति बनाएं. इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा करें. भगवान को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं. शाम को होलिका जलाएं और उसकी तीन या सात बार परिक्रमा करें. होलिका दहन करने के बाद गेंहू की बाली और गन्ना समर्पित करें. अनाज का भी प्रयोग कर सकते हैं. जल चढ़ाएं. होलिका जलने के बाद इसकी भस्म का तिलक लगाएं.


होली की कथा


मान्यता है कि राजा हिरण्यकश्यप को अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. अंहकार में चूर हिरण्यकश्यप भगवान को भी चुनौती देने लगा. वह अपनी प्रजा पर स्वयं की पूजा करने का दबाव बनाने लगा. वह खुद को भगवान मानने लगा. लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त थे. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को ऐसा करने से रोक लेकिन प्रहलाद नहीं माने इससे हिरण्यकश्यप बहुत नाराज हो गया और प्रहलाद को यातनाएं और पीड़ा देने लगा. आठ दिनों तक लगातार हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर तरह तरह के जुल्म किए. जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया. होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था. लेकिन होलिका जैसे ही प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वह जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित आग से बाहर निकल आए. तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.


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