Holi 2023 Special, Barsana Ki Lathmar Holi: रंगों का त्योहार होली इस साल 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी. लेकिन बरसाना की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध है. कृष्ण नगरी मथुरा, वृंदावन और बरसाना में होली काफी प्रसिद्ध है. इसका कारण यह है कि यहां लोगों के होली खेलने का अंदाज बहुत निराला है. कहीं फूलों की होली खेली जाती है, कहीं रंग-गुलाल लगाए जाते हैं, तो कहीं लड्डू और कहीं लट्ठमार होली मनाने की परंपरा है.
बात करें लट्ठमार होली की तो, इस होली को देखने और खेलने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. लट्ठमार होली को राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. जानते हैं कैसे खेली जाती है लट्ठमार होली, क्या है इसका इतिहास और लट्ठमार होली के बारे में संपूर्ण जानकारी.
कैसे खेली जाती है लट्ठमार होली (Barsana Ki Lathmar Holi)
बरसाना की लट्ठमार होली विश्वभर में इसलिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इसे खेले जाने का अंदाज निराला है. इसमें महिलाओं को हुरियारिन और पुरुषों को हुरियारे कहा जाता है. हुरियारिन लट्ठ लेकर हुरियारों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं. वहीं पुरुष सिर पर ढाल रखर खुद को हुरियारिनों के लट्ठ से बचाते हैं. इस दौरान गीत-संगीत का भी आयोजन होता है और कई प्रतियोगिताएं भी होती हैं.
कैले हुई लट्ठमार होली की शुरुआत (Lathmar Holi History In Hindi)
लट्ठमार होली खेलने की परंपरा की शुरुआत राधारानी और श्रीकृष्ण के समय से मानी जाती है. श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में हुआ था. लेकिन उनका लालन-पालन नंदगांव में माता यशोदा और नन्द बाबा के घर पर हुआ. कान्हा बचपन से ही शरारती थे और अपने नटखटपन के कारण ही वे नंदगांव और आसपास के गांव में भी प्रसिद्ध थे.
कृष्ण के नटखटपन से कई गोपियां उनके इर्द-गिर्द रहती थी. लेकिन कान्हा को बरसाना की राधारानी अधिक प्रिय थी. होली से कुछ दिन पूर्व कृष्ण अपने सखाओं को लेकर बरसाना में गोपियों के संग होली खेलने जाते थे. लेकिन जब कान्हा और उनके सखा गोपियों को रंग लगाने जाते तो गोपियां उन्हें लठ मारती थी. लठ से बचने के लिए कान्हा और उनके सखा ढालों का प्रयोग करते थे और लठों से बचते हुए कान्हा और उनके मित्र गुलाल उड़ाते थे. इसी घटना के बाद नंदगांव के पुरुष यानी हुरियारे और बरसाना की महिलाओं के बीच लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है. आज भी हर साल बरसाना में कुछ इसी तरह से होली का नजारा देखने को मिलता है. बड़े स्तर पर बरसाना में हर साल लट्ठमार होली का आयोजन भी किया जाता है.
होली खेलने से पहले दिया जाता है फाग आमंत्रण
लट्ठमार होली खेलने के लिए होली से एक दिन पूर्व बरसाने की हुरियारने नंदगांव जाती हैं और वहां के गोस्वामी समाज को गुलाल भेंट करते हुए होली खेलने का निमंत्रण देती हैं. इसे ‘फाग आमंत्रण कहा जाता हैं. फिर इस गुलाल को गोस्वामी समाज में वितरित किया जाता है और आमंत्रण को स्वीकार किया जाता है. फिर हुरियारने वापस बरसाना आ जाती हैं और वहां के श्रीजी मंदिर में इसकी सूचना देती हैं. इसके बाद संध्या में नंदगांव के हुरियारे भी बरसना के लोगों को नंदगांव में होली खेलने का निमंत्रण देते हैं और इस भी स्वीकार किया जाता है. निमंत्रण स्वीकार करने के अगले दिन नंदगांव के हुरियारे अपने हाथों में रंग व ढाल लेकर बरसाना गांव होली खेलने के लिए पहुंचते हैं.
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