Holi 2024: 'यशोमती मैय्या से बोले नंदलाला राधा हैं गोरी मैं क्यों काला', राधा-कृष्ण के इस प्रसंग के बाद हुई रंग खेलने की शुरूआत
Holi 2024: होली का पर्व भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के समय से खेला जा रहा. आइये जानें कैसे रंग लगाने की शुरूआत हुई. राधा-कृष्ण का यह अद्भत प्रसंग यहां पढ़ें.
Holi 2024: होली रंगों का त्योहार है. होली खेलने का जिक्र सबसे पहले भगवान कृष्ण के काल से आता है. होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और ब्रज की किशोरी राधा रानी से है.पौराणिक मान्यताओं की मानें तो श्रीकृष्ण ने ही सबसे पहले ग्वालों के साथ मिलकर होली खेलने की शुरुआत की थी. आइये जानते हैं कैसे इस प्रसंग के जरिए श्री कृष्ण ने मैय्या यशोदा से सवाल किया और क्या कहा.
भगवान श्री कृष्ण का रंग सांवला था. श्री कृष्ण अक्सर अपनी मां यशोदा से यहां सवाल करते थे कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं.
यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला
श्री कृष्ण के सवाल पूछने पर मां यशोदा नहीं सुझाव दिया कि वह राधा के चेहरे पर रंग लगा दें. तो राधा का रंग भी कान्हा के जैसा हो जाएगा. इस सुझाव को सुनकर श्रीकृष्ण ने राधा रानी को रंग लगा दिया. नटखट कान्हा को माता का सुझाव पसंद आया और वो ग्वालों के साथ मिलकर राधा रानी के पास पहुंच गए और उन्हें और उनकी सखियों को मिलकर खूब को रंग लगाया. तभी से होली पर रंग लगाने की परंपरा की शुरूआत हुई. तब से आज तक यह चलन चलता आ रहा है और बहुत धूम-धाम से इस पर्व को मनाया जाता है.
होला का पर्व प्रेम, सद्भाव और दोस्ती का प्रतीक है. इस दिन आप एक दूसरे को रंग लगाकर अपने पुराने गिले शिकवों को दूर कर सकते हैं. इन्ही सब मान्याताओं की वजह से ब्रज में होली बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है. फूलों की होली, लट्ठमार होली, होली का उत्सव ब्रज में 10 दिन पहले से शुरू हो जाता है.
मथुरा,वृंदावन और ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है. जिसे देखने के लिए आज भी लोग दूर-दूर से आते हैं.
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