Holika Dahan 2023 Live:वास्तु और दिशा के अनुसार इन रंगों से खेलें होली, सुख-समृद्धि से भर जाएगा घर
Holika Dahan 2023 Ka Samay Today Live: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होती है और अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है.आज 08 मार्च को देशभर में होली का पर्व मनाया जा रहा है और लोग रंग से सराबोर हैं.
सब रंगों को मिला कर पानी में,
सतरंगी नदियां बहाई है
कर देंगे सबके चेहरों को लाल
होली की ऐसी खुमारी छायी है
रूठा है कोई तो उसे मनाओ
आज तो सारी गलती भूल जाओ
लगा दो ये दोस्ती का रंग आज सब को यारों
होली मनाओ तो ऐसी मनाओ
दिलों को मिलाने का मौसम है
दूरीयां मिटाने का मौसम है
होली का त्यौहार ही ऐसा है
रंगों में डूब जाने का मौसम है
होली पर पूजा की सुपारी पर जनेऊ चढ़ाकर पूजा करें और इसके बाद इस सुपारी को मां लक्ष्मी के समक्ष रखकर पूजा करें. फिर इसे तिजोरी में रख दें इससे रोग और कर्ज दूर हो जाता हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन रंग वाली होली खेली जाती है. आज बुधवार 8 मार्च 2023 को देशभर में रंगोत्सव का त्योहार मनाया जा रहा है.
बदरी छाई है फागुन की,
फिर हुड़दंग मचाएंगे
एक रंग में सबको रंगकर
फिर से होली मनाएंगे
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दिशा को ध्यान में रखकर होली खेलना शुभ होता है. यदि आपका घर पूर्वमुखी है तो आप इसी दिशा में होली खेलें. इससे घर में सौहार्दपूर्ण माहौल रहता है. वहीं उत्तर मुखी घर के लिए पीले,हरे,आसमानी और नीले रंगों को शुभ माना जाता है. आपका घर दक्षिण मुखी है आपको लाल,नारंगी,गुलाबी और बैंगनी रंगों से होली खेलना चाहिए. अगर आपका घर पश्चिम मुखी है तो सुनहरे, हल्के नीले और सफेद रंगों से होली खेलना शुभ रहेगा.
होली के दिन लाल,पीला,हरा,गुलाबी,नारंगी आदि जैसे रंगों का इस्तेमाल करें. इन रंगों से जीवन में खुशहाली आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है.
होलिका दहन की पंरपरा के बाद अब रंगों की होली कल यानि 8 मार्च 2023 को खेली जाएगी. होली का पर्व प्रेम और सौहार्द का पर्व है. इस दिन बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए. इस दिन रंगों की होली खेलते समय दूसरों का भी पूरा ध्यान रखें. जल की बर्बादी न करें और प्रकृति को हानि न पहुंचाएं. इस दिन सुबह उठकर सर्वप्रथम माता-पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए. पितरों का आभार व्यक्त करना चाहिए. अपने इष्टदेव को याद करते हुए हर की प्रकार की बुराई को त्यागने का प्रण लेना चाहिए.
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः।अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥ इस मंत्र को बोलते हुए होलिका पर जल, कुमकुम, हल्दी गांठ, मीठे पकवान, उपले की माला, गुड़, गुलाल, अबीर, अर्पित करें.
होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है. शाम को शुभ मुहूर्त में होलिका के निकट गंगाजल छिड़कर उस जगह को शुद्ध करें. पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठें और सबसे पहले गणपति जी का समरण करते हुए मिट्टी का घी का दीपक जलाएं. अब नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए रोली, चावल, बताशे अर्पित करें. इस दौरान ऊं नृसिंहाय नम: मंत्र का जाप करें.
पश्चिम दिशा होलिका दहन की लपटे यदि पश्चिम दिशा की ओर उठे तो इससे पशुधन में लाभ, आर्थिक प्रगति का संकेत माना जाता है. लेकिन इससे कुछ प्राकृतिक आपदाओं के भी संकते मिलते हैं.
पूर्व दिशा: होलिका की लपटे यदि पूर्व दिशा की ओर चल रही हवा की ओर उठे तो ऐसा माना जाता है कि, इस साल धर्म, अध्यात्म, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उन्नति होने वाली है. स्वास्थ्य के लिहाज से भी इस दिशा में लपटों का उठना अच्छा माना जाता है.
होलिका दहन के लिए पीपल, आंवला, अशोक, नीम, शमी, आम, केला, बेल और बरगद जैसे पेड़ों की लकड़ियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. क्योंकि इन लकड़ियों को हिंदू धर्म में पूजनीय और पवित्र माना जाता है और इनका प्रयोग यज्ञ-अनुष्ठान जैसे शुभ कार्यों में किया जाता है और होलिका दहन को जलती चिता का प्रतीक माना गया है.
- नवविवाहित जोड़े होलिका की अग्नि को न दखें. क्योंकि इसे जलती चिता का प्रतीक माना गया है.
- होलिका की पूजा हमेशा सिर ढ़ककर ही करें.
- होलिका दहन के दिन कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य का आयोजन न करें.
- माना जाता है कि सास और बहू को एक साथ होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए.
- होलिका दहन के दिन किसी भी उधारी न दें.
- होलिका दहन के दिन किसी महिला का अपमान न करें.
आज 7 मार्च को होलिका दहन है. होलिका दहन से उठती अग्नि की लपटों को देखकर पूरे साल का अनुमान लगाया जाता है. कहा जाता है कि यदि अग्नि की लौ दक्षिण दिशा की ओर जाती है तो यह निश्चित रूप से राष्ट्र पर विपत्ति आने का संकेत है. वहीं अन्य दिशाओं में अग्नि की लपटों का संकेत खुशहाली और समृद्धि से होता है.
होलिका दहन भद्रा काल में करना अशुभ माना जाता है. ऐसे में उदयातिथि और भद्रा रहित काल में होलिका दहन मंगलावर 07 मार्च को शाम 06:31 से 08:58 तक किया जाना श्रेष्ठ रहेगा.
देश के विभिन्न हिस्सों में होली को डोल पूर्णिमा, रंगवाली होली, धुलंडी, धुलेटी, मंजल कुली, याओसंग, जजिरी, उकुली, शिगमो, फगवा आदि जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
होलिका दहन की पूजा के लिए पहले सभी सामग्रियों को एक जगह एकत्रित कर लें. होलिका दहन के स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें. अब उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की आकृति या मूर्ति बनाएं. होलिका में सभी चीजें अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं. इसके बाद भगवान नरसिंह की भी पूजा करें. इसके बाद होलिका की 7 बार परिक्रमा करें.
होलिका दहन के समय अग्नि की परिक्रमा करने का महत्व है. वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी परिक्रमा करने से शरीर का तापमान 50 डिग्री को पार कर जाता है और इस गर्मी से शरीर में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का नाश हो जाता है.
होलिका दहन का धार्मिक कारण भक्त प्रह्लाद, राजा हिरण्यकश्यप और होलिका से जुड़ा है. लेकिन होलिका दहन का वैज्ञानिक महत्व भी है. होलिका गांव, कस्बों से लेकर शहर सभी जगहों के चौक-चौराहे पर जलाई जाती है. वैज्ञानिक के अनुसार, होलिका उस समय जलाई जाती है जब मौसम में तेजी से बदलाव होता है. ऐसे में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जोकि दूषित होते हैं. होलिका दहन की अग्नि से आस-पास के इलाके के सारे बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और बीमारियों व संक्रमण से बचाव होता है.
दैत्य राजा हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से मना करता था. लेकिन प्रह्लाद ने पिता की एक न सुनी. आखिरकार हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को कष्ट देना शुरू कर दिया और बहन होलिका से गुहार लगाई कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए. क्योंकि होलिका को शिवजी से वरदान प्राप्त था कि, वह आग से जल नहीं सकती. होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका अग्नि में जल गई. इसलिए हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन अग्नि जलाकर होलिका दहन किया जाता है.
कहते हैं कि नवविवाहिता और गर्भवती महिला को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. इससे उनके दांपत्य जीवन और गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर पड़ता है. धार्मिक मान्यता है कि जिन दंपत्ति का केवल एक ही संतान (पुत्र) हो उन्हें होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करना चाहिए. इसे शुभ नहीं माना जाता.
होलिक दहन के दिन पैसों का लेन-देन न करें. होलिका की पूजा और दहन के समय काले रंग के वस्त्र न पहनें, काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक है. होली की पूजा के वक्त दिशा का जरुर ध्यान रखें. ख्याल रहे कि पूजा के समय साधक का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो.
होलिका दहन के लिए 7 मार्च 2023 यानी आज शाम 06.24 मिनट से रात 08.51 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है. होलिका दहन के लिए 2 घंटे 27 मिनट का समय है.
- होलिका परिक्रमा मंत्र - 'अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।' (इस मंत्र को बोलते हुए होलिका की 3 बार परिक्रमा करें और जल अर्पित करते जाएं)
- शत्रु बाधा से मुक्ति का मंत्र - ओम ह्रीं ह्रीं क्लिंम (होलिका में गुलाल चढ़ाते हुए इस मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे दुश्मन कार्य में रुकावट पैदा नहीं करेगा.
एक पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 गोमती चक्र और एक चांदी का सिक्का काले कपड़े में बांधकर होली की 11 बार परिक्रमा करें. इस दौरान 108 बार ‘ऊँ महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें. अब इसे होली की अग्नि में प्रवाहित कर दें. मान्यता है धन की कमी नहीं होती, कर्ज से जल्द छुटकारा मिलता है.
व्यापार और नौकरी में तरक्की पाने के लिए आज शाम शुभ मुहूर्त में होलिका का पूजन करें. पूजन करने के पश्चात नारियल, पान और सुपारी जलती होली को भेंट करें.इसके बाद 11 परिक्रमा करें. होलिका दहन के अगले दिन सुबह होलिका की थोड़ी सी राख लाकर, एक लाल वस्त्र में स्फटिक श्रीयंत्र, चांदी के कुछ सिक्के और राख को बांधकर अपने घर की तिजोरी में रख दें. मान्यता है इससे करियर में उन्नति होती है, धन लाभ होता है.
सत्यनारायण पूजा समय - सुबह 11.03 - दोपहर 2.00 (7 मार्च 2023)
चंद्रमा पूजा मुहूर्त- शाम 06.19 (7 मार्च 2023)
होलिका दहन मुहूर्त - शाम 06.31 - रात 08.58 (7 मार्च 2023)
लक्ष्मी पूजा (निशिता काल मुहूर्त) - प्रात: 12.13 - प्रात: 01.02 (8 मार्च - लक्ष्मी पूजन के लिए मध्यरात्रि का समय उत्तम माना जाता है)
सूखी घास, फूल, सूखी लकड़ियां, उप्पलें, एक लोटा या कलश में पानी, माला, गुलाल, रंग, हल्दी, अक्षत्, रोली, जौ, मूंग, गेहूं की बालियां, गुड़, धूप, बताशा, नारियल, कपूर, मिठाई, कच्चा सूत या रक्षा सूत्र आदि
लाभ (उन्नति मुहूर्त) - शाम 07:56 बजे से रात 09:28 (7 मार्च 2023)
शुभ (उत्तम मुहूर्त) - 7 मार्च, रात 11:00 बजे - 8 मार्च, सुबह 12:32
अमृत (सर्वोत्तम मुहूर्त) - 8 मार्च 2023, तड़के 12:32 - प्रात: 02:04
चर (सामान्य मुहूर्त) - 8 मार्च 2023, तड़के 02:04 - प्रात: 03:36
होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और आठ दिन बाद यह सामाप्त होता है. होलाष्टक के दौरान शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. होलाष्टक 07 मार्च को समाप्त हो रहा है.
इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहने वाला है. इसलिए होलिका 06 मार्च को जलेगी या 07 मार्च को इसे लेकर संशय है. हालांकि देश के अधिकांश हिस्सों में होलिका दहन 07 मार्च को है और होली 08 मार्च को मनाई जाएगी.
होलिका दहन के समय होलिका की अग्नि में सामग्रियों को डालते समय इस मंत्र को बोलें-
‘अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।‘
होलिका दहन फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है. फाल्गुन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च शाम 06:17 पर शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 07 मार्च शाम 06:09 पर होगा. इसलिए कई जगहों पर 06 मार्च की अर्धरात्रि को होलिका दहन किया जाएगा. क्योंकि 06 मार्च को प्रदोष काल भद्रा से व्याप्त है और भद्रा निशीथ (अर्धरात्रि) से 07 मार्च को तड़के 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो रही है. वहीं देश के अधिकांश हिस्से में 07 मार्च को भी होलिका दहन होगी. 07 मार्च को होलिका दहन के लिए शाम 06:31 से रात 08:58 का समय शुभ रहेगा.
बताशे: बताशे खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
मखाने: होली दिन मखाना खरीदे. मान्यता है कि, जिस तरह जल से मखाने की उत्पत्ति होती है उसी तरह लक्ष्मी जी की भी उत्पत्ति समुद्र से हुई है.
मिट्टी की सुराही: होली के दिन मिट्टी की सुराही खरीदकर इसे ईशाण कोण में रखें. इससे धन-समृद्धि में वृद्धि होती है.
नारियल: होली से पहले नारियल खरीदें और इसे होलिका की अग्नि में डाल दें. इससे बाधाएं दूर होती है.
शंख: होली के दिन मोती शंख खरीदकर घर पर रखें. इससे धन-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है.
- होलिका दहन की रात एक शंख में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल में रख दें और अगले दिन सुबह अपने पूरे घर में इस गंगाजल का छिड़काव करें.
- होलिका दहन वाले दिन सुबह 108 मखानों की एक माला बनाकर लक्ष्मी जी के मंदिर में जाकर चढ़ाएं.
- होली के दिन सवा किलो चावल की खीर बनाकर कुष्ठाश्रम में दान करें.
- होलिका दहन के समय एक सूखे गोले में बूरा भरकर उसे जलती हुई होलिका की अग्नि में रख दें.
- होलिका दहन के समय धन प्राप्ति की कामना करते हुए सफेद रंग की मिठाई जलती हुई अग्नि में रख दें.
पति-पत्नी के रिश्ते में मनमुटाव चल रहा है तो इसके लिए घी में 108 बाती को भिगोएं और इसे एक-एक कर परिक्रमा करते हुए होलिका की अग्नि में डालें. इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.
6 मार्च को भद्रा काल शाम 4.18 मिनट से शुरू होगा. शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के साथ भद्रा हो तो पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन कर सकते हैं. पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा का पुच्छ काल 6 और 7 मार्च की दरमियानी रात 12.40 से 2 बजे तक रहेगा. इस दौरान होलिका दहन किया जा सकता है, हालांकि भद्रा में होलिका पूजन नहीं करते ऐसे में पूजा के लिए आज शाम 6.24 से 6.48 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है.
होलाष्टक फाल्गुन पूर्णिमा पर खत्म होते हैं. होलाष्टक के 8 दिनों में आठ ग्रह उग्र रहते हैं. जिसमें 7 मार्च 2023 को फाल्गुन पूर्णिमा पर पाप ग्रह राहु उग्र रहेगा. राहु के दूषित होने पर व्यक्ति के सेहत, वाणी पर बुरा असर पड़ता है. बनते काम बिगड़ जाते हैं. संबंधों में खटास आ जाती है. ऐसे में राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए होलिका दहन पर शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक लगाकर महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें, गाय को हरा चारा खिलाएं. गणपति को दूर्वा चढ़ाएं. इससे राहु के दुष्प्रभाव में कमी आएगी.
परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव है,घर की सुख-शांति भंग हो गई है तो होलिका दहन के अगले दिन प्रात: काल थोड़ी सी राख को घर के हर कोने में छिड़क दें. ये उपाय सुबह ही करें, कोई देख न पाए. मान्यता है इससे गृहक्लेश दूर होते है. परिवार में खुशहाली आती है
सनातन धर्म में कई पेड़ जैसे बरगद, पीपल, आंवला, अशोक, शमी, नीम, आम, केला और बेल को पूजनीय माना जाता है. इनकी लकड़ियों का प्रयोग यज्ञ, अनुष्ठान आदि शुभ कार्यों के लिए किया जाता है. ऐसे में होलिका दहन के लिए इन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे पितृ और कालसर्प दोष लगता है.
- उज्जैन - 12.40 AM- 05.56 AM (6-7 मार्च की दरमियानी रात)
- वाराणसी - 12.40 AM - 05.56 AM (6-7 मार्च की दरमियानी रात
- नई दिल्ली - 06.24 PM- 08.51 PM (7 मार्च 2023)
- मुंबई - 06.46 PM - 08.52 PM (7 मार्च 2023)
- जयपुर - 06.31 PM - 08.58 PM (7 मार्च 2023)
- कोलकाता - 05.42 PM - 06.09 PM (7 मार्च 2023)
- रांची - 05.54 PM - 06.09 PM (7 मार्च 2023)
- रायपुर - 06.10 PM - 08.36 PM (7 मार्च 2023)
- पटना - 05.54 PM - 06.09 PM (7 मार्च 2023)
इस बार होली पर गुरु अपनी राशि मीन और शनि स्वराशि कुंभ में विराजमान है. वहीं शुक्र उच्च राशि मीन में स्थिति में है. 6 मार्च को होलिका दहन पर केदार, हंस, मालव्य, चतुष्चक्र और महाभाग्य नाम के पांच बड़े योग बन रहे हैं. सितारों के ऐसे दुर्लभ योग में होलिका दहन उत्तम फलदायी साबित होगा. मान्यता है कि इस योग में होलिका दहन से बीमारियों का नाश होता है, ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा.
शनि ग्रह से संबंधित दोष होने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके लिए होलिका दहन के समय काले घोड़े की नाल या फिर शुद्ध लोहे का छल्ला बनवाकर होलिका की 2 परिक्रमाएं करने के बाद इसे होलिका की अग्नि में डाल दें. जब अगले दिन अग्नि शांत हो जाए तो छल्ले को निकालकर कच्चे दूध या शुद्ध जल में धोकर शनिवार के दिन शाम दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में शनि देव का मंत्र पढ़ते हुए धारण करें.
आज रंग है ए मां, रंग है री
मेरे ख्वाजा के घर रंग है री
सजन गिलावरा इस आंगन में
मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया
गंज शकर मोरे संग है री...
होलिका दहन के बाद उसकी भस्म यदि माथे पर लगा रहें हैं, तो भस्म लगाते समय यह मंत्र बोले-
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
होलिका के लिए मंत्र- ॐ होलिकायै नम:
भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद मंत्र- ॐ प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लिए मंत्र- ॐ नृसिंहाय नम:
- किसी भी शुभ काम या त्योहार शुरू करने से पहले श्रीगणेश का नाम लेकर पूजा की जाती है. होली के दिन भी सबसे पहले गणेश जी को ठंडाई और मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद सभी में बांटे.
- होली को राधा-कृष्ण का पर्व भी कहा जाता है. इसलिए होली के दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति घर पर स्थापित कर पूजा करें और रंग-गुलाल चढ़ाएं. इससे दांपत्य जीवन में खुशियां आएंगी.
- होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर रंग-बिरंगी रंगोली बनाएं. ऐसा करने से परिवार में खुशियों का आगमन होता है.
होलिका की पूजा के दिन पहले पूजा वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें और उसमें सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी घास आदि डालें. होलिका में माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, गुड़ या बताशे, साबुत हल्दी, गुलाल और नारियल नारियल अर्पित करें. साथ ही नई फसल के धान भी चढ़ाएं. अब कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या फिर सात लपेटते हुए परिक्रमा करें और ‘अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।।’ मंत्र बोलें. फिर अर्घ्य दें.
इस बात का ध्यान रखें कि होली पर टोने-टोटके काफी होते हैं. इसलिए इस दिन सफेद खाद्य पदार्थों वाले चीजों के सेवन से बचें. टोटके का प्रयोग सिर पर अधिक किया जाता है. इसलिए इस दिन सिर को किसी कपड़े से ढककर रखें या टोपी लगाएं.
- धर्मग्रंथों में होलिका दहन के बारे में बताया गया है. अग्नि प्रज्ज्वलन के समय यदि भद्रा बीत गई हो और प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि हो तो ऐसे में होलिका दहन सर्वोत्तम मानी जाती है.
- भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा के अभाव लकिन भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के बाद जब भद्रा समाप्त हो जाए तब भी होलिका दहन किया जाना चाहिए.
- अगर भद्रा मध्यरात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसे में भद्रा पूंछ के दौरान भी होलिका दहन किया जा सकता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि भद्रा मुख में होने से कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए.
होलिका की पूजा के लिए आपको गंगाजल, सूखे उपले, सूखी लकडी, घास कलश में जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, नारियल, नई फसल के धान्य आदि सामग्रियों की आवश्यकता होगी.
आज के पंचांग के अनुसार 6 मार्च 2023, सोमवार को फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि है. जो दोपहर 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. इसके बाद पूर्णिमा की तिथि प्रारंभ होगी.
बैकग्राउंड
Holika Dahan 2023 Date and Shubh Muhurt Live: होली या रंगोत्सव का त्योहार हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. इस साल 2023 में होली बुधवार 08 मार्च को देशभर में मनाई जाएगी. लेकिन होलिका दहन को असमंजस की स्थिति है. इसका कारण यह है कि, होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है. लेकिन इस साल फाल्गुन पूर्णिमा दो दिन पड़ रही है, जिस कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर संशय बना हुआ है. जानते हैं होलिका दहन का सही दिन और मुहूर्त.
होलिका दहन 2023 की तिथि और मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च को शाम में शुरू हो जाएगी. इसे प्रदोष व्यापिनी व्रत की पूर्णिमा माना जाता है. 06 मार्च से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि 07 मार्च तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, मंगलवार 07 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत और पूजन किया जाएगा और इसी दिन होलिका दहन भी होगी.
वहीं भद्रा मुहूर्त को देखें तो, सोमवार 06 मार्च शाम 04:48 से मंगलवार 07 मार्च सुबह 05:14 तक भद्रा काल रहेगा. ऐसे में भद्रा काल समाप्त होने के बाद 07 मार्च को होलिका दहन की जाएगी. वहीं होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 07 मार्च शाम 06:24 से रात 08:51 तक रहेगा. होलिका दहन की कुल अवधि 02 घंटे 27 मिनट होगी.
होलिका दहन 2023 फाल्गुन पूर्णिमा तिथि और समय, शुभ मुहूर्त, भद्रा काल (Holika Dahan 2023 Falgun Purnima Date and Time, Shubh Muhurat ,Bhadra Kaal )
- होलिका दहन: मंगलवार 07 मार्च 2023
- होलिका दहन का समय: 07 मार्च, शाम 06:24 से रात 08:51
- भद्रा पुंछ: दोपहर 12:42 से 02:01
- भद्रा मुख: दोपहर 02:01 से शाम 04:11 तक
- फाल्गुन पूर्णिमा तिथि आरंभ: 06 मार्च, शाम 04:17 से
- फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त: 07 मार्च, शाम 06:09 तक
- रंगोत्वस या होली का त्योहार: बुधवार 08 मार्च को मनाया जाएगा.
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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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