Holika Dahan 2023 Puja: आज होलिका दहन किया जाएगा. वहीं 8 मार्च 2023 को रंगों की होली खेली जाएगी. बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होलिका दहन हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद किया जाता है. हिंदू धर्म में होलिका दहन की रात बहुत शक्तिशाली मानी जाती है. मान्यता है इस दौरान पूजा, जप, तप, तंत्र साधना जल्दी सफल होती है. आइए जानते हैं होलिका पूजन की समाग्री, मुहूर्त, संपूर्ण पूजा विधि.
होलिका दहन 2023 मुहूर्त (Holika Dahan 2023 muhurat)
होलिका दहन रात में ही किया जाता है. आज 7 मार्च 2023 को शाम 6:26 से रात 08.52 मिनट तक होलिका जलाने का शुभ मुहूर्त है.
होली पूजा मुहूर्त - शाम 07:56 - रात 09:28
होलिका पूजा की समाग्री (Holika Dahan Samagri)
गाय के गोबर से बने उपले की माला, रोली, मौली, लाल धागा, कच्चा सूत, गुलाल, हल्दी, फूल, बताशे, सात प्रकार के अनाज (गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर), गेहूं की बालियां, एक कलश जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां, गुड़, नारियल, अक्षत, अबीर, कुमकुम, धूप, दीप, घी
होलिका की पूजा विधि (Holika Dahan Puja vidhi)
- होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है. शाम को शुभ मुहूर्त में होलिका के निकट गंगाजल छिड़कर उस जगह को शुद्ध करें.
- पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठें और सबसे पहले गणपति जी का समरण करते हुए मिट्टी का घी का दीपक जलाएं. अब नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए रोली, चावल, बताशे अर्पित करें. इस दौरान ऊं नृसिंहाय नम: मंत्र का जाप करें.
- अब अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः।अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥ इस मंत्र को बोलते हुए होलिका पर जल, कुमकुम, हल्दी गांठ, मीठे पकवान, उपले की माला, गुड़, गुलाल, अबीर, अर्पित करें.
- इसके बाद प्रह्लाद का स्मरण करते हुए पूजा सामग्री चढ़ाएं और ये मंत्र बोलें ऊँ प्रह्लादाय नमः
- अब होलिका पर कच्चा सूत लपेटते हुए 7 बार परिक्रमा करें और इस मंत्र का उच्चारण करें - ‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’
- होलिका दहन के समय सात प्रकार के अनाज गेंहू की बालियां, मूंग, उड़द, जौ, चावल, मसूर डालते जाएं.
- फिर एक दूसरे को गुलाल लगाकर. इस त्योहार की बधाई दें और अगले दिन सुबह होलिका की राख से माथे पर टीका लगाएं. मान्यता है इससे जीवन के हर कष्ट दूर होते हैं. भस्म का तिलक करते वक्त ये मंत्र बोलें 'वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव।।'
होलिका की अग्नि में क्यों डाले जाते हैं गेहूं (Holika Dahan Niyam)
होली के वक्त खासतौर पर गेहूं की फसल पक जाती. लहलहाती फसल का पहला हिस्सा होलिका दहन की आग में डालकर ईश्वर को समर्पित किया जाता है. ये अच्छी फसल के लिए प्रभु का आभार प्रकट करने का तरीका है. इस फसल के पकने की खुशी में होली मनाने की परंपरा है. गेहूं को होली की आग में इसलिए डालते हैं क्योंकि आग के जरीए ही वो भगवान तक पहुंचती है, इसे यज्ञ की तरह माना गया है.
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