पंचांग के अनुसार 11 जुलाई, रविवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस दिन पुष्य नक्षत्र है. ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा गया है. रविवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र आता है तो इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है. ये एक महायोग भी कहलाता है.
पुष्य नक्षत्र का अर्थ
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा गया है. पुष्य नक्षत्र होने से मुहूर्त के कई दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं. पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला. पुष्य नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत आता है. इसका स्वामी चंद्रमा है.
पुष्य नक्षत्र का स्वभाव
देखा गया है कि पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति बहुत लोकप्रिय होता है. ऐसे व्यक्ति सभी के प्रिय होते हैं. ये अजात शत्रु भी होते हैं. पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वालों का व्यवहार दूसरों के प्रति बहुत अच्छा होता है. ऐसे लोग दूसरों के हितों का ध्यान रखते हैं. इन पर आसानी से विश्वास किया जा सकता है. ये किसी को धोखा नहीं देते हैं. ये दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं.
पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वालों को अहंकार से दूर रहना चाहिए. अहंकार से इनको हानि पहुंचाती है. इसके साथ इन्हें भेदभाव और नियमों के खिलाफ नहीं जाना चाहिए. नहीं तो ऐसे लोगों को जॉब, बिजनेस आदि में पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं होती है. इसके साथ ही अधिक भावुकता भी आपके लिए नुकसानदायक है. इस पर काबू रखना चाहिए. कभी चालक लोग आपकी इस अच्छाई का फायदा भी उठाने का प्रयास करते हैं. इसलिए सतर्कता बरतनी चाहिए.
इन कार्यों को करने से मिलती है सफलता
पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वालों को प्रकृति की सेवा करनी चाहिए. ऐसे लोगों को पीपल के पौधे लगाने चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश में कहा कि वृक्षों में मैं पीपल हूं. हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया है.
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