देश में जारी लॉकडाउन के बीच शब-ए-बरात का त्यौहार पड़ रहा है. शब-ए-बरात पर मुसलमान खास इबादत का एहतेमाम करते हैं. मगर इस बार लॉकडाउन के कारण उनका त्यैहार मनाना मुश्किल है. ऐसे में कोई मुसलमान क्या करे जिससे उसका पालन हो जाए और नियमों के उल्लंघन का आरोप भी ना लगे.


लॉकडाउन के बीच कैसे मनाएं शब-ए-बरात


शब-ए-बरात का मतलब होता है माफी की रात. मुसलमानों का ये त्यौहार इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से आठवें महीने में पड़ता है. इस रात को अकीदतमंद बहुत पुण्य कमाने का जरिया समझते हैं. उनका मानना है कि गुनाहों की माफी की इस रात में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर खुदा को प्रसन्न किया जा सकता है. मगर लॉकडाउन के बीच किसी को समूह में इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है. मस्जिदों में भी सामूहिक इबादत करने से मना किया गया है. कब्रिस्तान में जाने से भी लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन का आरोप लग जाएगा. इसलिए बेहतर है आप सादगी से त्यौहार मनाएं.


सादगी से मनाएं, घर पर ही अदा करें नमाज


वैसे तो खुदा से निकट होने का हर वक्त दरवाजा खुला रहता है. मगर इस रात इसकी अहमियत बढ़ जाती है. खुदा को खुश करने और अपने गुनाहों की माफी तलब करने के लिए रात में नफली नमाजों पर जोर दें. नफली नमाजों की कोई तादाद तय नहीं है. आपकी इच्छा पर है जितनी चाहें उतनी रिकात नमाज पढ़ें.


इसके अलावा तसबीह का भी एहतेमाम करें. नमाज के बीच तसबीह पढ़ने से मन को काफी सुकून मिलता है. कुरआन की तिलावत करके भी आपको पुण्य कमाने का सामान्य दिनों से ज्यादा बेहतर मौका होता है. कुरआन अगर समझना चाहते हैं तो अनुवादित पढ़ें. हर भाषा में कुरआन का अनुवाद हो चुका है. साथ ही अपने मृत परिजनों के लिए घर बैठे ही माफी की दुआ तलब कर सकते हैं.


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