Surya Grahan 2020: सूर्य हमारे सौरमंडल अथवा सौर परिवार का एक तारा है जो सौरमंडल के केन्द्र में स्थित है. इसी सूर्य नामक तारे के चारों ओर सौरमंडल के दूसरे अन्य ग्रह अथवा अवयव अपनी-अपनी कक्षा में घूमते रहते हैं. वर्तमान समय में सौरमंडल में कुल आठ ग्रह ही शामिल हैं क्योंकि यम ग्रह को इस परिवार की शर्तों को पूरी न करने के कारण उसे इस परिवार से बाहर कर दिया गया है.


इन आठ ग्रहों में से ही एक ग्रह पृथ्वी है. सौर परिवार का मात्र एक ग्रह पृथ्वी ही है जिस पर जीवन है. पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह चन्द्रमा है. चन्द्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते समय एक स्थिति यह भी आती है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक लाइन में आ जाते हैं तथा सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है. तब इस स्थिति में चन्द्रमा की छाया सूर्य पर पड़ने लगती है. खगोलीय शास्त्र में ही इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है. छाया के अनुसार ही सूर्यग्रहण का प्रकार तय किया जाता है. आईए सूर्य के बारे में जानें कुछ रोचक बातें.


पृथ्वी से सूर्य की दूरी


पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर अथवा 9 करोड़ 29 लाख 60 हजार मील है. पृथ्वी की सूर्य से इतनी अधिक दूरी होने के कारण ही सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में 8.3 मिनट का समय लग जाता है.


सूर्य के बारे में 5 रोचक जानकारियाँ




  1. सूर्य का निर्माण आज से लगभग 57 अरब वर्ष पूर्व एक विशाल आण्विक बादल के टूटने से हुआ है जिसका अधिकांश भाग हाइड्रोजन और हीलियम का बना हुआ है.

  2. सूर्य ऊर्जा का एक शक्तिशाली भण्डार है जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का बना हुआ है जिसमें लगभग 72% भाग हाइड्रोजन तथा लगभग 26% भाग हीलियम है. इन्हीं दोनों गैसों के नाभिकीय संलयन से ही अपार ऊर्जा का उत्सर्जन होता रहता है. यही ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन के लिए प्राथमिक ऊर्जा के रूप में कार्य करती है.

  3. हमारा सूर्य एक जी-टाइप मुख्य अनुक्रम तारा है. यह तारा सौरमंडल के कुल द्रव्यमान का लगभग 86 प्रतिशत भाग समाविष्ट करता है.

  4. सूर्य एक गर्म गैसों का गोला है. इस गोले के केन्द्र का तापमान लगभग डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस है. सूर्य के केन्द्र में इतना अधिक तापमान होने के कारण ही केंद्र में कई प्रकार की धातुएं तरल अवस्था में पाई जाती हैं.

  5. सूर्य का आकार करीब-करीब गोलाकार है न कि पूरा गोलाकार. इसका अर्थ यह है कि सूर्य का ध्रुवीय व्यास और भूमध्यरेखीय व्यास एक समान नहीं है बल्कि दोनों में अंतर है.