Ram Mandir Bhoomi Pujan in Ayodhya: आज 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भगवान राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि का पूजन होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 बजकर 44 मिनट पर भूमि पूजन करेंगें. इसके बाद यहां पर भगवान राम का भव्य मंदिर बनना शुरू हो जाएगा.


मान्यता है कि महर्षि वशिष्ठ के कहने से राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था और हवन कुंड से प्राप्त खीर तीनों रानियों कौशिल्या, सुमित्रा और कैकेयी को दी गई. यह प्रसाद खाने के बाद राजा दशरथ की तीनों रानियों ने गर्भधारण किया और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम का जन्म हुआ. इस समय पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल, शनि, बृहस्पति तथा शुक्र जब अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे तब कर्क लग्न का उदय होते ही माता कौशिल्या के गर्भ से भगवान श्री विष्णु श्री राम रूप में अवतरित हुए. इनके पश्चात शुभ नक्षत्रों में ही कैकेयी से भरत व सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुघ्न ने जन्म लिया.


भगवान श्रीराम को  भगवान विष्णु के 10 अवतारों में, सातवां अवतार माना जाता हैं. भगवन विष्णु ने इस अवतार के माध्यम से अनेक दानवों के साथ महा पराक्रमी राक्षस रावण का संहार किया तथा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अनेक संघर्षों को झेलते हुए मर्यादा भी स्थापित की.


भगवान राम का वनवास


रघुकुल की परंपरा को निभाते हुए श्रीराम ने  माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास चले गए. वनवास के दौरान वे इस जंगल से उस जंगल भटकते रहे. वे सन्यासियों की तरह जीवन का निर्वाह करते रहे. जंगलों में रहने केलिए कुटी का निर्माण करते और जमीन पर शयन करते.


वनवास के दौरान श्रीराम क्या खाते रहे यह सवाल लोगों के मन में बना  हुआ है. इसके उत्तर में चूंकि वन में अनेक प्रकार काफी फलदार वृक्ष होते हैं उन्हीं वृक्षों के फल जैसे आम, जामुन, अमरूद, केला, कंदमूल इत्यादि भोजन में लेते रहे होंगे. रामचरितमानस के एक प्रसंग में कहा गया है कि भगवान श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाया था.


इसके अलावा भगवान श्रीराम कंदमूल भी खाते थे. यह कंदमूल किष्किंधा के क्षेत्र में बहुतायत में मिलता था. यह कंदमूल भूमि के गर्भ में लौकी के आकार का होता है. जिसका वजन करीब दो किलो से दस किलो तक का होता है. इसकी बाहरी सतह गेरु रंग का होता है और भीतर में सफेद होता है. कंदमूल का स्वाद  मीठे आलू की भांति होता है. इन सबका प्रबंध स्वयं सीता माता के साथ करते थे.


श्रीराम मांसाहारी नहीं हो सकते, कई जगह था दावा


यह भी मान्यता है कि माता सीता ने स्वयं भोजन पकाकर भगवान राम और लक्ष्मण के साथ अन्य ऋषि मुनियों को भोजन कराया है. हालांकि कतिपय लोंगों का मानना है कि भगवान राम मांसाहारी थे. लोंगों की ऐसी मान्यता का कोई आधार नहीं है. सनातन धर्म में जीव हत्या वर्जित है तो यह कैसे हो सकता है कि मर्यादा पुरुषोतम भगवान राम मांसाहारी थे?


वेदों में अनेक मंत्र मानव को शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित करते हैं. वेद न केवल मांसाहारी की निंदा करते है अपितु निरीह प्राणियों की रक्षा करना हर आर्य पुरुषों का कर्तव्य भी बताते हैं. इससे भी साफ़ है कि श्रीराम मांसाहारी नहीं हो सकते.