आज रमजान महीने की 27वीं तारीख है. आज की रात को शब-ए-कद्र कहा जाता है. इस्लाम में इस रात का बहुत बड़ा महत्व है. इसी रात पवित्र किताब कुरआन आसमानी दुनिया पर उतरा. रमजान के तीसरे अशरे (10 दिन-रात) की पांच पाक रातों में शब-ए-कद्र तलाश किया जाता है.


शब-ए-कद्र की फजीलत हजार महीनों से बढ़कर


शब-ए-कद्र को लैलतुल-कद्र भी कहा जाता है. अरबी में शब के मानी रात के होते हैं और कद्र का अर्थ होता है इज्जत. इस तरह आज की रात को इज्जत की रात यानी सम्मान वाली रात कहा जाता है. रमजान के आखिरी अशरे में 21, 23, 25, 27 और 29 की रात को तलाश किया जाता है. वैसे तो पूरे रमजान बरकतों और रहमतों का सिलसिला जारी रहता है और एक नेकी का बदला 70 गुना बढ़कर मिलता है मगर शब-ए-कद्र की फजीलत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है ये हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है. इस रात सच्चे दिल से इबादत करने वालों की दुआ कबूल होती है. गुनाहों से छुटकारा और अल्लाह की रहमत के हकदार उसके बंदे बनते हैं. रमजान का आखिरी अशरा जहन्नम से मुक्ति का होता है.


ये रात सिर्फ मुहम्मद साबह के अनुयायियों के लिए 


अल्लाह के आखिरी दूत मुहम्मद साहब का फरमान है कि शब-ए-कद्र सिर्फ उनके मानने वालों के लिए है. रमजान का तीसरा अशरा ढलान पर है. इस बार कोरोना लॉकडाउन के चलते मस्जिदों में इबादत सामूहिक रूप से नहीं हो रही है. कुरआन की तिलावत, तरावीह और अफ्तार का सामूहिक आयोजन भी मस्जिदों से गायब है. मगर इसका ये मतलब नहीं कि इस रात की फजीलत सिर्फ मस्जिदों में ही हासिल की जा सकती है. लॉकडाउन के दौर में घर पर पूरी रात जागकर भी इस रात को तलाश किया जा सकता है. इबादत करने के लिए नफली नमाज, तिलावत और खास दुआओं का सहारा लिया जा सकता है. जिससे रात में जागकर ढूंढनेवाले की नेकियों में इजाफा किया जा सके. इस रात को पा लेनेवाले के लिए बेशुमार नेकियों का मौका मिल जाता है.


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