देवी-देवताओं को ऐसे आसन पर करना चाहिए स्थापित, स्थापना के बाद इन मंत्रों का जाप होता है ज़रुरी
कहते हैं ईश्वर को आसन पर जगह देने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है. और देवी-देवताओं के आशीर्वाद से हर मनोकामना को पूर्ण किया जा सकता है.

पुराणों में ज़मीन पर बैठने का अत्यंत महत्व बताया गया है. ज़मीन पर बैठकर खाने, ज़मीन पर सोना स्वास्थ्य के नज़रिए से उत्तम माना गया है. लेकिन कभी भी सीधे ज़मीन पर नहीं बैठना चाहिए बल्कि किसी आसन पर विराजमान होना चाहिए. इसके पीछे महत्वपूर्ण तथ्य दिए जाते हैं. कहते हैं आसन शरीर की ऊर्जा को शरीर में ही केंद्रित रखता है और पृथ्वी में जाने से रोकता है. ठीक इसीलिए देवी देवताओं को भी सीधे ज़मीन पर नहीं बल्कि किसी आसन पर विराजमान कराना ज़रुरी होता है.
कहते हैं ईश्वर को आसन पर जगह देने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है. और देवी-देवताओं के आशीर्वाद से हर मनोकामना को पूर्ण किया जा सकता है. इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस देवी देवता को कौन से आसन पर स्थापित करने का क्या कुछ शुभ फल प्राप्त होता है.
मां लक्ष्मी
धन व ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी को सदैव गुलाबी आसन या कमल के आसन पर ही विराजमान कराना चाहिए. कहा जाता है कि गुलाबी आसन पर स्थापना करने से धन,समृद्धि और सम्पन्नता आती है तो वहीं कमल के आसन पर विराजमान होने से नौकरी संबंधी तमाम बाधाओं से मां लक्ष्मी मुक्ति दिलाती हैं. देवी लक्ष्मी की स्थापना सोमवार, बुधवार या शुक्रवार को ही करनी चाहिए.
मंत्र जाप - 'ॐ श्रीं महालक्ष्मये नमः'
भगवान शिव
भोलेनाथ की स्थापना दो तरह से होती है. एक तो शिवजी की प्रतिमा व दूसरा शिवलिंग. अगर मूर्ति स्थापित करनी है तो इसके लिए शुक्रवार का दिन चुनें वहीं शिवलिंग की स्थापना सोमवार को करनी चाहिए. शिवलिंग की स्थापना के लिए धातु का आसन का चुनाव करें. क्योंकि इससे वैवाहिक और पारिवारिक सुख में बढ़ोतरी होती है जबकि शिव मूर्ति को मोटे ऊनी या सफेद रेशमी वस्त्र पर आसीन कराना चाहिए. इससे स्वास्थ्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
मंत्र जाप - 'नमः शिवाय'
देवी दुर्गा मां को लाल रंग के आसन पर ही स्थापित करना उचित फलदायी बताया गया है. वो भी बुधवार का दिन. यूं तो बुधवार का दिन विशेष रूप से गणपति की उपासना के लिए बताया गया है लेकिन इस दिन देवी की आराधना भी की जाती है. वहीं ध्यान रखें कि लाल चुनरी भी आसन के साथ मां को अर्पित करें. इससे शक्ति, साहस और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
मंत्र जाप -'ॐ दुं दुर्गाये नमः'
आसन पर स्थापना के दौरान जपे यह मंत्र चाहे कोई भी देवी या देवता हो, जब भी आसन पर उन्हें विराजमान कराए तो 'त्वदीयं वस्तु गोविन्दम, तुभ्यमेव समर्पयेत' मंत्र का जाप अवश्य रूप से करना चाहिए.
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