Chanakya Niti: कहते हैं चाणक्य की नीतियों और सूत्रों को मानने वाला इंसान जीवन में कभी दुख नहीं पाता. अगर आप चाणक्य की नीतियों को मानने वाले हैं और जीवन में उन नीतियों को उतारते हैं तो आप कभी तकलीफ में नहीं आएंगे बल्कि आपका जीवन हमेशा सुखमय बना रहेगा. आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में धन के सदुपयोग के बारे में बताया है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के आठवे अध्याय में वर्णित पांचवे श्लोक के माध्यम से बताया है कि धन के मामले में किसी इंसान को कितना सतर्क रहना चाहिए.


वित्तं देहि गुणान्वितेषु मतिमन्नान्यत्र देहि क्वचित, प्रात्मं वारिनिधेर्जलं घनमुखे माधुर्ययुक्तं सदा,
जीवान्स्थावरजड्गमांश्र्च सकलान्संजीव्य भूमण्डलं, भूय: पश्य तदेव कोटिगुणितं गच्छन्तमम्भोनिधिम.


इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि आप किसको धन से मदद कर सकते हैं और किसे धन देने से उस धन का नुकसान आपको उठाना पड़ेगा. चाणक्य ने कहा कि वो व्यक्ति बुद्धिमान है, जो धन किसी गुणवान और योग्य इंसान को देता है. चाणक्य का कहना है कि जो गुणवान ही नहीं वो आपके धन का सदुपयोग कभी कर ही नहीं सकता है. गुणहीन इंसान को दिया पैसा डूब जाता है.


आचार्य चाणक्य ने इसे उदारण से समझाया भी है. उनका कहना है कि जिस तरह बादल समुद्र से जल लेकर शीतल और पेय जल की वर्षा करता है और उसी जल से इस संसार का जीवन चक्र चलायमान है. जल से ही धरती पर सभी प्राणियों की रक्षा हो रही है. ठीक उसी प्रकार समझदार इंसान भी किसी से पैसा लेकर उसका उन्नती के काम में उपयोग करता है, उस पैसे से दूसरों का भला करता है. यही कारण है कि कि समझदार और गुणी इंसान को दिया हुआ पैसा वापस भी मिल जाता है.


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