Vastu Tips: दुकान का वास्तु यदि ठीक है तो व्यापार में वृद्धि और विस्तार दोनों करने में एक दैवीय सहयोग मिलता है. वास्तु कैसा मिलेगा यह बहुत कुछ अपने हाथ में नहीं यह सब प्रारब्ध से कनेक्ट है. दुकान किस दिशा में होगी यह खरीदते समय चुनाव की जा सकती है लेकिन परिस्थिति और उपलब्धता का भी इसमें बहुत अहम रोल होता है. मानिये किसी के पास दक्षिण मुखी दुकान पहले से ही है दुकान अच्छी मार्केट में है और वर्तमान परिस्थिति में दूसरी दुकान लेने की क्षमता नहीं है तो क्या सब कुछ निगेटिव ही होगा? क्या उसकी वाकई इतनी नकारात्मकता मिलेगी? परमात्मा ने जो भी दुकान उपलब्ध कराई है- क्या उसमें कुछ सुधार या उपाय करके उसकी नकारात्मकता को कम किया जा सकता है?


पूर्व मुखी दुकान
यदि आपको परमात्मा ने पूर्व मुखी दुकान दी है तो यह उनकी बड़ी कृपा है. आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें की सबसे प्रमुख बात यह है कि दुकान समय से खोलनी चाहिए. कोई ग्राहक दुकान बंद होने के कारण वापस नहीं जाए, इसके अतिरिक्त संभव हो तो उत्पाद ऐसे रखने चाहिए जो जल्दी बीके फास्ट मूविंग प्रोडक्ट रखना ज्यादा लाभ देने वाले होते हैं. 


ईशान मुखी दुकान
ईशान यानी पूर्व और उत्तर के मध्य यदि दुकान का मुख्य द्वार खुलता हो तो यहां थोड़ी सी सावधानी और साफ-सफाई अधिक रखनी चाहिए. मुख्य द्वार पर कोई भी भारी सामान न रखें और न ही गंदगी हो. दुकान में प्रवेश करते समय द्वार पर डस्टबिन रखने से ग्राहक जुड़े नहीं रहते हैं. 


उत्तर मुखी दुकान 
उत्तर मुखी दुकान व्यापार के लिए सर्वोत्तम रहती है. इसमें लक्ष्मी माता की कृपा हो इसके लिए प्रार्थना करनी चाहिए. ग्राहक को भगवान मानकर ही व्यापार करें. आपकी सर्विस जितनी अच्छी होगी, व्यापार में उतना अधिक लाभ होगा इसलिए यदि कोई शिकायत ग्राहक की ओर से हो तो उसका तत्काल समाधान करना चाहिए. ग्राहक को सदैव प्रसन्नता के साथ विदा करें.


वायव्य मुखी दुकान
वायव्य यानी उत्तर और पश्चिम के मध्य की दुकान मार्केट में कीर्ति फैलाने वाली हो सकती है. दुकान की ब्रांडिंग द्वार पर बहुत अच्छे तरीके से करनी चाहिए, ताकि दूर से ही दुकान लोगों को दिखाई दे. समय-समय पर व्यापार के विज्ञापन के लिए भी धन खर्च करना बहुत जरूरी है. ध्यान रहे जो सामान कम बिक रहा हो उसका डिस्प्ले मुख्य द्वार के आसपास करेंगे तो रुका हुआ सामान जल्द ही बिकने लगेगा.


पश्चिम मुखी दुकान 
पश्चिम मुखी दुकान पैतृक काम के लिए सबसे अच्छी होती है. यदि दुकान दूसरी पीढ़ी संभाल रही है, तो यह प्रगति सूचक है. निरंतर व्यापार बढ़ता रहे इसके लिए देश, काल, परिस्थिति के अनुसार प्रोडक्ट बदलते रहने चाहिए. दुकान में खूब उन्नति हो इसके लिए एक बात ध्यान रखें, कि यह दुकान दो शिफ्ट में होनी चाहिए. कहने का तात्पर्य है कि दुकान को जो व्यक्ति सुबह खोलें और जो व्यक्ति बंद करें वह दोनों ही अलग-अलग होने चाहिए.


नैऋत्य मुखी दुकान  
नैऋत्य यानी पश्चिम और दक्षिण के मध्य का द्वार यदि है तो शस्त्र-औजार एवं उपयोगी वस्तुओं की दुकानें अधिक सफल रहती हैं. द्वार पर थोड़ा वजन बढ़ाकर रखना चाहिए. यहां के मेन दरवाजे पर डोर क्लोजर होना बहुत जरूरी है, सदैव दुकान का दरवाजा खुला न रहे.


दक्षिण मुखी दुकान 
इस दिशा को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए. दक्षिण यम की दिशा होती है और इन देवता का काम सृजन करने के बजाए समापन करने वाला होता है. दक्षिण मुखी द्वार में कोई व्यक्ति को चौकीदार रखना चाहिए. जो ग्राहक के आने-जाने पर दरवाजा खोलें. दक्षिण मुखी द्वार वाली दुकान या शोरूम में यदि ऐसा होता है उनको बहुत लाभ होता है और यदि द्वारपाल दिव्यांग हो तो बहुत ही अच्छा रहता है. दुकान में प्रवेश करने के बाद कुछ चेयर या बैंच होनी चाहिए. जिससे ग्राहक बैठ सके. यदि संभव हो तो ग्राहक बैठकर अपने लिए उत्पाद को चुन सके तो अति उत्तम रहेगा. दुकान में बिक्री करने वालों को पश्चिम की तरफ खड़े होकर बेचना चाहिए, यानी काउंटर ऐसे लगाएं कि दुकान में प्रवेश करके ग्राहक अपने बाएं हाथ की तरफ मुड़ जाए. बिक्री करने वालों का मुख पूर्व में हो. 


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