Rahu-Ketu Upay: राहु केतु का नाम सुनकर ही लोग भयभीत हो जाते हैं. वैसे काफी हद तक यह सही भी है कि कुंडली में  यदि राहु केतु अशुभ प्रभाव में हों तो अपनी दशा भुक्ति में भयंकर कष्ट देते हैं. वैसे राहु और केतु दोनों विपरीत स्वभाव के हैं लेकिन यदि दोनों के चक्र में व्यक्ति फंस जाए तो काफी कष्ट दे देते हैं. राहु केतु यदि बहुत अशुभ फल दे रहे हों तो उनके कुछ सरल और कारगर उपाय हैं जिनको करने से उनका कोप शांत होता है. 



  1. जन्म पत्रिका में कालसर्प योग के कारण कष्ट मिल रहा हो तो, काम बनते बनते रुक जाते हों तो किसी भी द्वादश ज्योतिर्लिंग में महामृत्युंजय का जाप करना चाहिए या फिर विधिवत शांति भी करवा सकते हैं.  इसके अतिरिक्त  शिवलिंग पर चांदी के बने सर्प का जोड़ा भी अर्पित करने से बहुत लाभ होता है.   

  2. केतु के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए गणपति उपासना बहुत कारगर है. गणेश चतुर्थी के लिए गणेश जी का अभिषेक करने से भी केतु का कोप कम होता है.   

  3. मां सरस्वती देवी की पूजा आराधना राहु के अशुभत्व को शुभत्व में बदल देती. 

  4. राहु और केतु छाया ग्रह हैं। यह दोनों छाया ग्रह मां दुर्गा का ध्यान उपासना से शांत होते हैं. देवी दुर्गा को " छायारूपेण " कहा गया है.  

  5. श्रीकृष्ण की तस्वीर के समक्ष बैठकर 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का नित्य जप करें, शुभ फल मिलते हैं. इससे राहु और केतु दोनों शांत होते हैं. 

  6. प्रतिदिन भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से राहु-केतु जातक का अनिष्ट नहीं कर पाते ।  

  7. प्रदोष तिथि या सोमवार को रुद्राभिषेक कराना चाहिए. इससे अनेक प्रकार की ग्रह पीड़ाएं शांत हो जाती हैं । 

  8. राहु के लिए हल्के नीले और केतु के लिए हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना और दान करना शांतिदायक होता है । 

  9. राहु की शांति के लिए श्वेत मलयागिरी चंदन का टुकड़ा नीले रेशमी वस्त्र में लपेटकर बुधवार को धारण करना चाहिए । 

  10. बुधवार या गुरुवार को अश्वगंधा की जड़ का टुकड़ा आसमानी रंग के कपड़े में धारण करने से केतु पीड़ा का शमन होता है । 

  11. चाय की कम से कम 200 ग्राम पत्ती 18 बुधवार दान करने से रोग कारक अनिष्टकारी राहु स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है । 

  12. यदि केतु रोग कारक हो तो रोग ग्रस्त जातक स्वयं अपने हाथों से कम से कम 7 बुधवार भिक्षुकों को मीठा वितरण करे तो लाभ होगा । 

  13. राहु-केतु के अशुभत्व निवारण के लिए उनके प्रिय रत्न गोमेद और लहसुनिया का दान करना चाहिए । 

  14. रुद्राक्ष की माला से नित्य ॐ नमः शिवाय मंत्र का पंचमुखी शिव की तस्वीर के समक्ष पांच माला जप करें । 

  15. अगर राहु - केतु की अशुभता से प्राणों पर संकट हो तो एक लाख बत्तीस हजार बार महामृत्युंजय महामंत्र जाप का ब्राह्मण से करवाएं । 

  16. भगवान नरसिंह या भैरव की पूजा, स्तुति व दर्शन करने से राहु - केतु की बाधाएं दूर होती हैं ।


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