इस बार श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहा है. लेकिन पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध अगस्त मुनि का होता है जो भाद्र पक्ष पूर्णिमा को लगता है. इस बार भाद्र पक्ष पूर्णिमा 1 अगस्त को था इसलिए अगस्त मुनि के नाम से इस दिन पूजन हुआ. प्रतिपदा का पहला पितृ श्राद्ध 1 सितंबर को होगा.  इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा. अंतिम श्राद्ध यानी अमवस्या श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा.


धार्मिक मान्यता के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध में दानपुण्य किया जाना चाहिए. शास्त्रों में पितृ पक्ष में सात चीजों का दान अवश्य करना चाहिए.


1- काले तिल का दान श्राद्ध में करना चाहिए. मान्यता है इस दौरान पितरों के तर्पण के निमित्त किसी भी चीज का दान करते समय हाथ में काले तिल को लेकर दान करना चाहिए. यह भी कहा जाता है कि कि अगर इस दौरान अन्य वस्तुओं का दान न भी कर पाएं तो काले तिल का दान अवश्य ही करें.


2- श्राद्ध कर्म में चांदी धातु से बनी किसी भी वस्तु का दान जरूर करना चाहिए. पुराणों में पितरों का निवास चंद्रमा के ऊपरी भाग में बताया गया है और चांदी का संबंध चंद्र ग्रह से है. इसलिए श्राद्ध में चांदी, चावल, दूध से पितर प्रसन्न होते हैं.


3- श्राद्ध कर्म में वस्त्रों का दान करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति श्राद्ध के समय पितरों के निमित्त वस्त्र दान करते हैं उनके ऊपर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती है.


4- गुड़ व नमक श्राद्ध के समय अवश्य करना चाहिए. श्राद्ध में इन चीजों का दान गृह-क्लेश को दूर करने के लिए भी किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, नमक के दान से यम का भय भी दूर हो जाता है.


5- पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म में जूतों चप्पल का दान भी शुभ माना गया है.


6- श्राद्ध में छतरी का दान करना शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.


7- शास्त्रों में भूदान को सर्वोत्तम दान माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध के समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए भू-दान अवश्य करना चाहिए.


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