Mahabharat : 40 किलोमीटर के दायरे में लड़े सवा करोड़ योद्धा-सैनिक, बचे सिर्फ 18 महारथी
महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले उसे टालने की बहुत कोशिशें की गईं, क्योंकि सभी को लगता था कि एक बार युद्ध शुरू हो गया तो रोजाना लाखों लोगों की जान जाएंगी. इस युद्ध में महज 18 दिन में एक करोड़ से अधिक लोग वीरगति को प्राप्त हो गए.
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Mahabharat : महाभारत मानव इतिहास का सबसे विध्वंसक और पूरी दुनिया को योद्धाओं से खाली कर देने वाला युद्ध माना गया है. यहां महज 18 दिन में देश-दुनिया के मिलाकर सवा करोड़ योद्धा-सैनिक मारे गए थे. इनमें करीब 70 लाख कौरव पक्ष से तो 44 लाख लोग पांडव सेना के वीरगति को प्राप्ति हुए. कुरुक्षेत्र के करीब 40 किमी दायरे में लड़े गए इस युद्ध के कुछ चिह्न आज भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र बचे हुए हैं.
भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 18 फ़रवरी 3102 ईसा पूर्व हुआ था, जबकि ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को होना बताया था. युद्ध से पहले पांडवों ने सेना का पड़ाव कुरुक्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में समंत्र पंचक तीर्थ के पास सरस्वती की सहायक हिरण्यवती नदी के तट पर डाला.
कौरवों ने कुरुक्षेत्र के पूर्वी भाग में वहां से कुछ दूर समतल मैदान में पड़ाव डाला था. दोनों सेनाओं के बीच युद्ध के लिए 5 योजन यानी करीब 40 किमी परिधि में जगह रखी गई थी. विष्णु पुराण अनुसार चालीस किमी यानी चार कोस का घेरा छोड़ा गया था. दोनों तरफ के शिविरों में सैनिकों के भोजन और घायलों के इलाज की व्यवस्था थी. हाथी, घोड़े और रथों की अलग व्यवस्था थी. हजारों शिविरों में प्रचुर भोजन, अस्त्र-शस्त्र, यंत्र और कई वैद्य-शिल्पी वेतनभोगी रखे गए.
ऐसे रखी गई थी सेनाएं
महायुद्ध में दोनों पक्षों से कुल 18 अक्षौहिणी सेनाएं लड़ी थीं. महाभारत के अनुसार एक अक्षौहिणी में 21,870 रथ, 21,870 हाथी, 65,610 घुड़सवार एवं 1,09,350 पैदल सैनिक होते थे. हर रथ में चार घोड़े और सारथी होता थो, जो बाणों से सुसज्जित होते थे. उसके दो साथियों के पास भाले होते थे और एक रक्षक. यह पीछे से सारथी की रक्षा करता था और एक गाड़ीवान होता है. हर हाथी पर हाथीवान, उसके पीछे सहायक जो कुर्सी के पीछे से हाथी को अंकुश लगाता था. कुर्सी में मालिक धनुष-बाण से सज्जित होता और उसके साथ दो साथी होते थे, जो भाले फेंकते और उसका विदूषक जो युद्ध के अलावा उसके आगे चलता था. एक अक्षौहिणी सेना में हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों की कुल संख्या 6,34,243 होती थी. इस तरह अठारह अक्षौहिणियों में कुल 1,14,16,374 सैनिक योद्धा थे, जिनमें 3,93,660 हाथी, 27,55,620 घोड़े और 82,67,094 सैनिक.
युद्ध में बचे सिर्फ ये 18
महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद कौरवों से लड़ने वाले तीन योद्धा अश्वथामा, कृत वर्मा और कृपाचार्य बचे, जबकि पांडवों की ओर से पांचों भाइयों समेत 14 लोग लोग जीवित बचे, इसके अलावा युद्ध शुरू होने से पहले ही सौतेले भाई दुर्योधन का साथ छोड़कर पांडवों के साथ आ चुका युयुत्सु भी जीवित बचा.
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