Sharang Cannon: हिंदू देवता (Hindu God) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के सुदर्शन चक्र, नारायण अस्त्र, वैष्णवास्त्र, कौमोदकी गदा, नंदक तलवार जैसी कई अस्त्र-शस्त्र थे, जिसमें शार्ङ्ग धनुष भी एक था. शार्ङ्ग का उच्चारण शारंग या सारंग के रूप में भी किया जाता है.


भगवान विष्णु के धनुष के नाम पर है सेना का ‘शारंग तोप’


भगवान विष्णु के इसी धनुष के नाम पर भारतीय आर्मी (Indian Army) के तोप का नाम भी शारंग रखा गया. इस तोप को देश का सबसे बड़ा तोप माना जाता है. इस तोप की खासियत जानकर आप हैरान रह जाएंगे. बताया जाता है कि शारंग तोप की मारक क्षमता 36 किलोमीटर है. इसका वजन 8.4 टन और बैरल की लंबाई तकरीबन 7 मीटर है. यह 3 मिनट में 9 गोले दागती है. साथ ही यह तोप पूरी तरह से विदेशी भी है.


शारंग धनुष की पौराणिक कथा


शारंग धनुष से जुड़ी धार्मिक व पौराणिक कथा भी मिलती हैं. कहा जाता है कि इसका निर्माण विश्वव्यापी वास्तुकार और अस्त्र-शस्त्रों के निर्माता भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) द्वारा किया गया था.


शारंग धनुष (Sharanga bow) से जुड़ी प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने यह जानने के लिए कि, विष्णुजी और शिवजी (Shiv ji) में बेहतर कौन है? उन्होंने दोनों के बीच विवाद कराया. इस विवाद के कारण ऐसा भयानक द्वंद्वयुद्ध हुआ कि संपूर्ण ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ गया. तब ब्रह्मा समेत अन्य देवताओं ने उन्हें इस युद्ध को रोकने का आग्रह किया. शिव ने क्रोधित होकर अपने धनुष पिनाक को एक राजा को दे दिया, जोकि राजा जनक के पूर्वज थे. भगवान विष्णु ने भी अपना शारंग धनुष ऋषि ऋचिक को दे दिया.


समय बीतने के साथ, शारंग धनुष ऋषि ऋचिक के पौत्र परशुराम (Lord Parshuram) को प्राप्त हुआ. इसके बाद परशुराम ने विष्णु के अवतार भगवान राम (Lord Rama) को दे दिया. इसके बाद राम ने इसका प्रयोग कर इसे जल के देवता वरुण को दे दिया. इसके बाद महाभारत में वरुण देव ने शारंग को श्रीकृष्ण को दे दिया. महाभारत युद्ध (Mahabharat) में में श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने सारथी के रूप में अर्जुन की मदद की और साथ ही शारंग धनुष का भी प्रयोग किया.


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