2 October Vrat-Puja 2021: 2 अक्टूबर को शुभ कर्म करने का है खास योग, एक ही दिन में पितर, विष्णु जी, हनुमान जी और शनिदेव को यूं करें प्रसन्न
Saturday Vrat-Puja: कल यानि शनिवार के दिन कई शुभ कर्म करने का खास योग बन रहा है. विष्णु भगवान के साथ शनिदेव, हनुमान जी और पितरों को एक साथ प्रसन्न किया जा सकता है.
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Vrat-Puja On 2 October 2021: कल यानि 2 अक्टूबर शनिवार को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) है. इस दिन विष्णु भगवान (Lord Vishnu) की पूजा होती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए व्रत रखा जाता है. साथ ही, शनिवार होने के कारण इस दिन शनिदेव की भी विशेष पूजा (Shanidev Puja) करनी चाहिए. इसके साथ ही, पितृपक्ष भी चल रहे हैं 2 अक्टूबर को एकादशी के दिन सन्यासी, साधुओं का श्राद्ध कर्म (Pitru Paksha Sharadh) किया जाता है. एक दिन पूजा-पाठ और व्रत करके शुभ योग में शुभ कर्म किए जा सकते हैं. पितृ पक्ष में शनिवार को एकादशी के दिन विष्णु भगवान के साथ-साथ शनिदेव और पितर तीनों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. आइए जानते हैं एक ही दिन में कैसे सभी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.
इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi Vrat)
इंदिरा एकादशी पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी होती है. श्राद्ध में होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. कहते हैं कि इस दिन रखे गए व्रत से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही व्रत रखने वाला व्यक्ति को भी अपने इस लोक के सुख भोगते हुए बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. कहते हैं भगवान विष्णु की उपासना करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं और पापों की मुक्ति होती है. इस दिन व्रत रखकर आप भगवान विष्णु की कृपा पा सकते हैं. साथ ही पितरों के मोक्ष के लिए भी ये व्रत रखने की परंपरा है.
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर में आने वाली एकादशी के महत्व के बारे में बताया गया है. एकादशी के दिन पूरा दिन निराहार रहना चाहिए. विष्णु पूजन उनके मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते रहना चाहिए. अगर एकादशी के दिन निराहार नहीं रह सकते तो फल और दूध का सेवन कर सकते हैं.
शनिदेव की पूजा (Shani Dev Puja)
शनिवार को एकादशी होने के कारण आप विष्णु भगवान के साथ-साथ शनिदेव के लिए भी विशेष पूजा करनी चाहिए. कहते हैं शनिदेव न्याय के देवता है. हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव हमें देते हैं. सूर्य पुक्ष शनिदेव की शनिवार को पूजा करने का विशेष महत्व है. इस दिन सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए.
मान्यता है कि शनिदेव को नीले फूल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले तिल अर्पित करने चाहिए. साथ ही मीठी पूरी का भोग भी लगाना चाहिए. शनिवार के दिन काले तिल और तेल के दान का खास महत्व है, तो दान अवश्य करें.
पितृपक्ष श्राद्ध (Pitru Paksha Sharadh)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन संयासी लोगों जिनकी मृत्यु हो गई है, उनका श्राद्ध किया जाता है. अगर संयासी लोग जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध पितृपक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. मान्यता है कि एकादशी के दिन पितरों के लिए काले तिल का दान अवश्य करें. दोपहर के समय 12 बजे के करीब धूप-ध्यान करें. इसके लिए जलते हुए कंडे पर पितरों का ध्यान करना चाहिए. और पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी और भोजन अर्पित करना चाहिए.
हनुमान जी की पूजा (Hanuman Ji Puja)
मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. शनिवार के दिन हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
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