International Day for the Elderly 2023: छायादार पेड़ के समान होते हैं बड़े-बुजुर्ग, बच्चों को सिखाएं बुजुर्गों की सेवा
International Day for the Elderly 2023: 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. यह दिन बुजुर्गों के सम्मान में मनाया जाता है. बुजुर्ग परिवार की शान और छायादार पेड़ के समान होते हैं.
International Day for the Elderly 2023: विश्वभर में 20-30 प्रतिशत आबाजी वृद्धों की है. वृद्ध या बुजुर्ग शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में जो सबसे पहली छवि बनती है वह होती है हमारे घर के किसी बड़े-बुजुर्ग के सदस्य की, जिससे हमारा गहरा संबंध होता है.
बुजुर्ग आपके दादा-दादी, नाना-नानी, पड़ोस के काक-काकी आदि हो सकते हैं. ये वही लोग हैं, जिनकी गोद में हमने राजा-रानी और परियों की कहानियां सुनी, जिन्होंने संयुक्त परिवार प्रणाली को जोड़े रखा और जिनके साथ हमारे यादों के अधिकांश क्षण शामिल है.
हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. जो ऐसा वैश्विक अवसर होता है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के अमूल्य योगदान को मान्यता दी जाती है. लेकिन तिनका-तिनका जोड़कर अपने बच्चों और पीढ़ी के लिए आशियाना बनाने वाले बुजुर्गों को आज सहारे की तलाश है. इसका कारण यह है कहीं न कहीं हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. इसलिए अपने घर के बच्चों को जीवन में बुजुर्गों के महत्व को समझाएं और बुजुर्गों की सेवा व संस्कार करना सिखाएं. क्योंकि बुजुर्गों के प्यार, संस्कार, स्पर्श और आशीर्वाद से वंचित रहकर कभी किसी का जीवन नहीं संवर सकता.
बच्चों को सिखाएं बुजुर्गों की सेवा
- घर में बच्चों को जरूरी संस्कार दें और खुद से बड़ों का कैसे आदर-सम्मान किया जाता है वो करना सिखाएं.
- प्रतिदिन सुबह उठकर बच्चे को माता-पिता और घर के बड़े-बुजुर्गों को प्रणाम करना सिखाएं. इससके बाद ही बच्चे को अन्य काम करनाएं.
- जब भी बच्चा परीक्षा या साक्षात्मार के लिए जाए तो उसे बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर जाने को कहें.
- बच्चों को सिखाएं कि वह रोजाना माता-पिता और घर के बड़ों के पास कुछ समय बैठकर अपने सुख-दुख बताएं और उनसे उनका हाल भी सुनें.
- जितना हो सके अपने बच्चों को उनके दादा-दादी और नाना-नानी के सम्पर्क में रखें. क्योंकि बुजुर्गों से उन्हें बड़ों की सेवा, विनय, आज्ञा पालन और संस्कार की सीख मिलेगी.
- बच्चों के खान-पान से लेकर चाल-चलन और वेशभूषा को मर्यादित व सात्विक रखने का प्रयास करें. जिससे कि उनके भीतर संस्कार और सात्विकता भीतर से पनपे.
ये भी पढ़ें: Pitru Paksha 2023: पितृ तर्पण में भूल से भी न करें इन 5 फूलों का इस्तेमाल, नाराज होकर लौट जाएंगे पूर्वज
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.