International Yoga Day 2024: योग को लेकर बौद्ध धर्म में क्या कहा गया है, क्या ये मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है?
International Yoga Day 2024: हमारे जीवनशैली (Lifestyle) में योग और इसके लाभ का महत्व हर धर्म में है. बात करें बौद्ध धर्म (Buddhism) की तो योग को बौद्ध धर्म में मोक्ष के लिए साधना का मार्ग कहा गया है.
International Yoga Day 2024: योग प्राचीन भारत की देन है. इसे भारत की प्राचीनतम विधा कहा जाता है. लेकिन अलग-अलग धर्म और पंत में इसका विभिन्न तरह से उल्लेख मिलता है. योग के संबंध में कहा जाता है कि, जो योग से जुड़ जाता है, वह रोग से दूर हो जाता है.
योग की उपयोगिता और स्वास्थ्य लाभ के कारण आज इसे दुनियाभर में पहचान मिल चुकी है. इसलिए हर साल 21 जून के दिन भारत समेत दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. खास बात यह है कि योग दिवस (Yoda Day) मनाए जाने की शुरुआत भी भारत (INDIA) से ही हुई है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि, योग विश्व को भारत की अमूल्य देन है.
योग और बौद्ध धर्म का संबंध (Relation of Yoga and Buddhism)
बौद्ध धर्म में योग को मोक्ष प्राप्ति के लिए साधना का मार्ग बताया गया है. भगवान बुद्ध (Bhagwan Buddha) ने कहा था, एकांत में ध्यान लगाकर आध्यात्मिक शांति मिलती है, ध्यान का पालन करना ही साधना है और इसी साधना से मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है. इसलिए बौद्ध धर्म में योग को एक साधना पद्धति के रूप में माना जाता है.
बौद्ध धर्म और योग के सिद्धांत में कई समानताएं हैं. जैसे योग की क्रिया से शरीर को वश में करना और ज्ञान प्राप्ति के स्वयं को तैयार करना. बौद्ध धर्म में योग के लिए ध्यान को अधिक महत्ता दी दई है. क्योंकि ध्यान से ही मन और मस्तिष्क दोनों स्थित होता है.
ध्यान के साथ ही बौद्ध धर्म में सम्यक को भी अहमियत दी गई है. बुद्ध कहते थे, वीणा की तार को अधिक खींचने से वो टूट जाता है. लेकिन अधिक ढीला रखने पर ध्वनि नहीं निकलती. बुद्ध ने इसी मध्यम मार्ग को सम्यक बताया. सम्यक का अर्थ संतुलित है.
बौद्ध धर्म के अष्टांग मार्ग
बौद्ध धर्म के अनुसार, सम्यक या संतुलित जीवनशैली के लिए योग जरूरी है. बुद्ध के अनुसार, सम्यक जीवन जीवन जीने के लिए पंतजलि (Patanjali) के अष्टांग योग (Ashtanga yoga) के समान बौद्ध धर्म में भी अष्टांग मार्ग बताए गए हैं जोकि इस प्रकार हैं- सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक्, सम्यक कर्म, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और अंत में सम्यक समाधि.
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