Muslim wedding Rules: इस्लाम में शादी को लेकर शरीयत की हिदायत क्या है?
Muslim wedding Rules: मुस्लिम धर्म में निकाह शरीयत कानून के तहत किया जाता है. शरीयत में निकाल को लेकर क्या प्रावधान है, पुरुष कितनी शादियां कर सकते हैं, महिलाओं का क्या अधिकार है यहां देखें.
Muslim wedding Rules: इस्लाम में शादी को लेकर शरीयत की हिदायत क्या है?: हर धर्म में शादी, विवाह के लिए अलग-अलग परंपरा और नियम बताए गए हैं. हिंदू धर्म में विवाह 16 संस्कारों का एक हिस्सा है जिसमें वर-वधु शादी के सात फेरे लेकर सात जन्म तक साथ निभाने का वादा करते हैं. वहीं इस्लाम में शादी के नियम बहुत अलग हैं. आइए जानते हैं
इस्लाम में निकाह के लेकर क्या है शरीयत की हिदायत
शरीयत (Shariyat) के मुताबिक निकाह एक समझौता है. इसके लिए लड़का-लकड़ी दोनों की अनुमती होना जरुरी है. इसमें लड़की को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए मेहर का प्रावधान है. मेहर की रकम प्रायः लड़के की आय के हिसाब से तय की जाती है. शरियत और मुस्लिम पर्सनल लॉ 4 शादियों की मंजूरी देता है.
इस्लाम में एक से ज्यादा निकाह की इजाजत क्यों ?
इस्लाम में बहुविवाह की इजाजत के निर्देश कुरान में 7वीं सदी में शामिल किए गए थे. उस समय अरब में जब कबीलों की लड़ाई में बहुत से पुरुष कम उम्र या जवानी में ही मारे गए थे, तब उनकी विधवा पत्नी और बच्चों की देखभाल के लिए बहुविवाह की इजाज़त दी गई, जो आज भी कानून के हिसाब से लागू होती है. मुस्लिम व्यक्ति कानूनी तौर पर एक समय में अधिकतम 4 पत्नियां रख सकता है लेकिन उसमें पत्नियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करने की क्षमता होनी चाहिए.
इस्लाम धर्म में के अनुसार मुस्लिम कम्युनिटी में शादी समझौता और नस्ल को आगे बढ़ाने का जरिया माना गया है. कुरान ने कड़ी शर्तों के साथ मुस्लिम समुदाय को चार शादियां करने की इजाजत दी है. जिसमें पत्नियों के जिंदा रहते व्यक्ति चार शादियां कर सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों को मानना जरुरी है.
- पहली शर्त- पुरुष को एक से ज्यादा से शादी करने की छूट पत्नी से संतान न होने या पत्नी के गंभीर रूप से बीमार होने पर मिलती है, इसके लिए पहली पत्नी की मंजूरी होना जरुरी है.
- दूसरी शर्त- दूसरी, तीसरी या चौथी बार निकाह सिर्फ अनाथ और विधवा महिला से ही किया जा सकता है.
- तीसरी शर्त- स्त्री को हिफाजत, वेश्यावृत्ति जैसी बुराई पर रोक लगाने के लिए पुरुष को एक से ज्यादा शादी करने की परमीशन है.
- चौथी शर्त- पुरुष तभी एक से ज्यादा शादी कर सकता है जब उसमें सभी पत्नियों को समान दर्जा देने की क्षमता हो, सभी के साथ समान व्यवहार करे.
महिलाओं को नहीं अधिकार
भारत में मुस्लिम पुरुष चार शादियां कर सकता है लेकिन किसी भी महिला के पास यह अधिकार नहीं है. वह दूसरा विवाह तभी कर सकती है, जब पहले पति से तलाक ले ले.
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