Islamic New Year:  इस वर्ष सोमवार 8 जुलाई 2024 से मुहरर्म महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस्लामिक कैलेंडर में एक वर्ष में 12 महीने होते है, जिसमें मुहर्रम साल का पहला महीना होता है. मुहर्रम (Muharram) का अर्थ होता है 'अनुमति नहीं होना' या 'निषिद्ध'.

इस्लाम (Isla) में मुहर्रम को रमजान (Ramadan) के बाद दूसरा सबसे पाक महीना माना जाता है. क्योंकि इस महीने में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं. इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है, जोकि चंद्रमा पर आधारित होता है. हिजरी कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष 1446 है. आइये जानते हैं इस्लाम में हिजरी कैलेंडर का महत्व.

चंद्र पर आधारित होता है इस्लामिक कैलेंडर

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नए तारीख की शुरुआत रात 12 बजे के बाद होती है. हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत में सूर्योदय के साथ नई तिथि लग जाती है. वहीं इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा के अनुसार चलता है. इसलिए इसमें सूर्यास्त के बाद यानी मगरिब के समय नए तिथि की शुरुआत होती है.

हिजरी कैलेंडर में 12 चंद्र महीने होते हैं, जिसमें हर महीना 29 या 30 दिनों का होता है. इस तरह से पूरा वर्ष 354 दिनों का होता है. इसलिए हिजरी संवत सौर संवत से 11 दिनों का छोटा होता है. हालांकि इस 11 दिनों के अंतर को पूरा करने के लिए जिलहिज्ज माह में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं.

कैसे हुई हिजरी कैलेंडर की शुरुआत

इस्लाम में मुहर्रम भले ही साल का पहला महीना होता है और इससे नववर्ष की शुरुआत होती है. लेकिन इसे गम, शोक और चिंतन का महीना माना जाता है. क्योंकि इसी महीने में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने शहादद दे दी थी.

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हिजरी की शुरुआत दूसरे खलीफा हजरत उमर रजि. के समय हुई थी. हजरत अली रजि. के राय से यह तय हुआ था. वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार हिजरी सन की शुरुआत इस्लाम के आखिरी प्रवर्तक हजरत मोहम्मद के पाक शहर मक्क से मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लाम के नए वर्ष का आरंभ माना जाता है.

हजरत अली रजि. और हजरत उस्मान गनी रजि के कहने पर खलीफा हजरत उमर रजि ने मुहर्रम को हिजरी वर्ष का पहला माह तय किया और इसके बाद से विश्वरभर में इस्लाम धर्म को मानने वालों मुसलमानों के लिए मुहर्रम के पहले दिन को इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत माना गया.

मुहर्रम में हुई ये विशेष घटनाएं

  • इमाम हुसैन और 72 साथियों की शहादद: मुहर्रम महीने के 10वें दिन लोग उपवास रखते हैं. इसे आशूरा या यौम-ए-आशूरा कहा जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार मुहर्रम के 10वें दिन ही मानवता की रक्षा की लिए लड़ते हुए पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन समेत 72 साथियों ने इराक के कर्बला में शहादद दे दी थी. इसलिए मुसलमान मुहर्रम में मजलिस करते हुए इमाम हुसैन और उनके साथियों को याद करते हैं. वहीं मुहर्रम के 10वें दिन को इमाम हुस्सैन और उनके साथियों की शहादद के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गम में लोग काले रंग के कपड़े पहनते हैं और अलग-अलग शहरों के इमामबाड़े से ताजिया का जुलूस निकाला जाता है.
  • पैगंबर मूसा की जीत: पैगंबर मोहम्मद साहब से पहले मुहर्रम के 10वें दिन पैगंबर मूसा ने मिस्र के फिरौन पर जीत हासिल की थी. इसलिए इनकी याद में भी मुसलमान उपवास या रोजा रखते है. इसे मुहर्रम में बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर याद किया जाता है.
  • हिजरी कैलेंडर की शुरुआत: इस्लाम में मुहर्रम का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इसी महीने से हिजरी कैलेंडर की शुरुआत होती है. माना जाता है कि दूसरे खलीफा हजरत उमर फारुख ने हिजरी कैलेंडर की शुरुआत की थी.

इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के महीने

मुहर्रम
सफर
रबीउल-अव्वल
रबीउल-आखिर
जुमादिल अव्वल
जुमादिल आखिर
रज्जब
शाअबान
रमजान
शव्वाल
जिल काअदह
जिलहिज्जा

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