Jagannath Puri Temple: देश में जगन्नाथपुरी का एक ऐसा मंदिर है जहां अनेक रहस्य मौजूद है, जो विज्ञान को भी मात देता है. इसी मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा यह भी है कि भगवान जगन्नाथ ने अपने परम भक्त हनुमान जी को सागर तट पर बांध दिया है. आइये जानें इस कथा को?  


जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. ये मूर्तियां मिट्टी या पत्थर की नहीं हैं बल्कि यह चन्दन की लकड़ी से बनी हुई हैं. हर 12 साल बाद इन मूर्तियों को बदल दिया जाता है.



एक पौराणिक कथा के मुताबिक़, जगन्नाथपुरी मंदिर में जब भगवान जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित  हुई तो उनके दर्शन की अभिलाषा समुद्र को भी हुई. प्रभु दर्शन के लिए समुद्र ने कई बार मंदिर में प्रवेश किया. जब समुद्र मंदिर में प्रवेश करते तो मंदिर को बहुत क्षति होती. समुद्र ने यह धृष्टता तीन बार की. मंदिर की क्षति को देखते हुए भक्तों ने भगवान से मदद के लिए गुहार लगाईं. तब भगवान जगन्नाथ जी ने समुद्र को नियंत्रित करने के लिए हनुमान जी को भेजा. पवनसुत हनुमान जी ने समुद्र को बांध दिया. यही कारण है कि पुरी का समुद्र हमेशा शांत रहता है. लेकिन समुद्र ने एक चतुराई लगाईं. उन्होंने हनुमान जी से कहा कि तुम कैसे प्रभु भक्त हो कि जो कभी दर्शन के लिए ही नहीं जाते.


तब हनुमान जी ने सोचा कि बहुत दिन हो गए चलो भगवान के दर्शन कर आयें. जब हनुमान जी ने भगवान के दर्शन के लिए चले तो उन्हीं के पीछे-पीछे समुद्र भी चल पड़े. इस तरह जब भी पवनसुत मंदिर जाते तो सागर भी उनके पीछे चल पड़ता. इस तरह मंदिर में फिर से क्षति होनी शुरू हो गई. तब भगवान ने हनुमान जी के इस आदत से परेशान होकर उन्हें स्वर्ण बेड़ी से बांध दिया.