Jagannath Rath Speciality: विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल आयोजित की जाती है. इस बार अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 1 जुलाई 2022, शुक्रवार को ये यात्रा निकलेगी. पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है. ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था. वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए. भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को भी रथ में बैठाकर यात्रा कराई जाती है. आइए जानते हैं जगन्नाथ रथयात्रा से जुड़ी रोचक बातें.


ये है तीनों रथ की खासियत:


1-  भगवान जगन्नाथ का रथ



  • भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं. ये इतनी हल्की लकड़ियां होती हैं कि रथ को आसानी से खींचा जा सकता है.

  • इस रथ में 16 पहिए होते हैं, रथ की ऊंचाई साढ़े 13 मीटर तक होती है. रथ को ढंकने के लिए इसमें लगभग 1100 मीटर कपड़े का उपयोग होता है. रथ को बनाने में 832 लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग किया जाता है.

  • भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है और यह अन्य रथों से आकार में बड़ा भी होता है.

  • गरुड़ध्वज, कपिध्वज, नंदीघोष ये भगवान जग्गनाथ के रथ के नाम हैं. रथ के घोड़ों का नाम शंख, बलाहक, श्वेत एवं हरिदाश्व है, जिनका रंग सफेद होता है. रथ के सारथी का नाम दारुक है.

  • भगवान जगन्नाथ रथ के रक्षक भगवान विष्णु के वाहन पक्षीराज गरुड़ हैं. रथ की ध्वजा यानी झंडा त्रिलोक्यवाहिनी कहलाता है. रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है, वह शंखचूड़ नाम से जानी जाती है.


2- बलरामजी का रथ



  • भगवान बलभद्र के रथ का नाम तालध्वज है. त्रिब्रा, घोरा, दीर्घशर्मा व स्वर्णनावा इस रथ के घोड़ों के नाम

  • रथ 13.2 मीटर ऊंचा और 14 पहियों का होता है, ये रथ लाल, हरे रंग के कपड़े और लकड़ी के 763 टुकड़ों से बना होता है.

  • रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं.इनके रथ पर महादेवजी का प्रतीक होता है.


3 - सुभद्रा देवी का रथ



  • देवी सुभद्रा के रथ का नाम देवदलन है. इनके घोड़ों का नाम रोचिक, मोचिक, जिता व अपराजिता है.

  • रथ में 12.9 मीटर ऊंचे 12 पहिए के इस रथ में लाल, काले कपड़े के साथ लकड़ी के 593 टुकड़ों का इस्तेमाल होता है.इसे खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुड़ा कहते हैं.

  • सुभद्राजी के रथ पर देवी दुर्गा का प्रतीक होता है. रथ के रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं.रथ का ध्वज का नाम नदंबिक है.


इस लकड़ी से बनते हैं रथ


सभी रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाये जाते है.जिसे दारु कहते हैं. इसके लिए जगन्नाथ मंदिर एक खास समिति का गठन करती है जो नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान करती है. इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है. इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ हो जाता है.


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