(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ramayan: क्या आप जानते हैं भगवान राम से जुड़ी ये 5 विशेष बातें
Ram Katha: राम का जीवन एक आदर्श जीवन है. भगवान राम की शिक्षाओं पर जो भी व्यक्ति अमल करता है उसका जीवन सफल हो जाता है. ऐसा व्यक्ति मोह, माया और दुखों के झंझटों से मुक्त हो जाता है.
रामायण की कथा: भगवान राम ने संपूर्ण जीवन में ऐसे आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिन पर अमल कर जीवन को सफल बनाया जा सकता है. मान्यता है कि राम नाम का उच्चारण करने मानसिक शांति प्राप्त होती है. व्यक्ति चिंताओं से मुक्त हो जाता है. भगवान राम ने समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया था. इसीलिए भगवान राम को भारत का आत्मा भी कहा जाता है.
अयोध्या में जन्मे थे प्रभु राम पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का जन्म अयोध्या में चैत्र मास की नवमी तिथि को हुआ था, जिसे रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है. भगवान राम पर अनेकों ग्रंथ लिखे गए. लेकिन वाल्मीकि की रामायण को ही प्रमाणिक ग्रंथ माना जाता है. यह संस्कृत भाषा में है. भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था. जिस वंश में भगवान राम का जन्म हुआ उस वंश का नाम इक्ष्वाकु वंश था. इस वंश की स्थापना सूर्य के पुत्र ने की थी.
कई भाषाओं में लिखी गई रामायण रामायण को कई भाषाओं में भी लिखा गया है. जैसे तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण का वर्णन आता है. लेकिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण को अवधि भाषा में लिखा तो इसकी लोकप्रियता अपने शिखर पर पहुंच गई.
भगवान विष्णु का अवतार है श्रीराम भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं. असुरों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भगवान विष्णु ने अयोध्या में राजा दशरथ के घर में राम के रूप में अवतार लिया था. राम भगवान विष्णु का 394वां नाम है.
महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम का किया था नामकरण भगवान राम का नामकरण महर्षि वशिष्ठ ने किया था. उस समय महर्षि वशिष्ट अयोध्या के राजपुरोहित थे. वशिष्ट ने ही दशरथ को पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने की सलाह दी थी. महर्षि वशिष्ट ने ही भगवान राम यज्ञोपवीत विवाह और राज्याभिषेक की सभी रस्में पूरी की थीं. माना जाता है वशिष्ट ब्रह्मा के पुत्र थे.
किशोरावस्था में राक्षसों का किया था वध विश्वामित्र भगवान राम के गुरु थे. विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को उनके साथ भेजने की राजा दशरथ से आज्ञा मांगी. इसके बाद दोनों भाइयों ने राक्षसों से ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाई. माना जाता है कि गायत्री मंत्र की रचना ऋषि विश्वामित्र ने ही की थी.
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