Sita Navami 2020: माता सीता जिनके बगैर भगवान राम भी अधूरे हैं. यही वजह कि भगवान से पहले उनका नाम आता है. सीता- राम. इस नाम लेने से ही जीवन के कष्ट मिट जाते हैं. ऐसे लोगों में धारणा है. सीता नवमी का दिन माता सीता को समर्पित है. इस दिन को जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है.
नवमी का आरंभ 1 मई से हो चुका है. 2 मई को नवमी 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. इसलिए सुबह उठकर पूजा करने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है. इस दिन भगवान राम की भी पूजा का विधान है. तभी यह पूजा पूर्ण मानी जाती है. माता सीता को लक्ष्मी का अवतार भी माना गया है. सीता जी के चरित्र से महिलाएं प्रेरणा लेती हैं. उन्होंने पतिव्रता का आर्दश उदाहरण प्रस्तुत किया.
घर में ऐसे करें पूजा
इस दिन घर में ही पूजा करें. देश में लॉकडाउन की स्थिति है. ऐसे में मुहूर्त समाप्त होने के बाद भी घर में कीर्तन और भजन किए जा सकते हैं. घर की महिलाएं एकत्र होकर इस दिन सीता माता का गुणगान और उनकी कथाओं का वाचन और श्रवण कर सकती हैं.
जनक की पुत्री थी माता सीता
माता सीता के पिता का नाम राजा जनक था. जो मिथिला के राजा थे. एक बार जब मिथिला में सूखा पड़ा तो ऋषि मुनियों ने यज्ञ करवाने की सलाह राजा जनक को दी. इसके बाद जब राजा जनक ने हल चलाया. हल चलाते समय उनका हल एक सख्त चीज से टकरा गया. रूकर उन्होंने देखा कि एक कठोर संदूक में एक सुंदर सी कन्या खेल रही थीं. राजा कन्या को अपने राज महल में ले आए. जनक के कोई संतान नहीं थी. उन्होंने अपनी पुत्री के रूप में सीता माता का लालन पालन किया. बाद में जिनका विवाह भगवान राम से हुआ.
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