जन्म कुंडली: मानसिक तनाव एक ऐसा रोग है जो समय रहते यदि ठीक न किया जाए तो यह गंभीर परेशानियां देने लगता है. आइए जानते हैं कि जन्म कुंडली में बैठा कौन सा ग्रह मानसिक तनाव देने में अहम भूमिका निभाता है.


चंद्रमा है मन का कारक
ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक मान गया है. जब यह अशुभ हो जाता है तो ये तनाव का कारक बन जाता है. इस स्थिति का निर्माण कुंडली में तब होता है जब या तो चंद्रमा कमजोर हो या फिर वह किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित हो. इन स्थितियों में चंद्रमा शुभ फल नहीं देता है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को तनाव होने लगता है.


राहु-केतु मानसिक तनाव देते हैं
चंद्रमा के अतिरिक्त जन्म कुंडली में राहु-केतु दो ऐसे ग्रह है जो व्यक्ति को तनाव देते हैं. लेकिन तनाव के साथ साथ भ्रम की स्थिति भी पैदा करते हैं. यानि व्यक्ति को जीवन में अहम फैसले लेने में दिक्कत आती है. जिस कारण काम में बाधा आना प्रारंभ हो जाती है और व्यक्ति धीरे-धीरे तनाव से घिरने लगता है.


शनि भी नहीं हैं पीछे
शनि उस समय व्यक्ति की मुश्किलें बढ़ा देते हैं जब कुंडली में वक्री हों या फिर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो. इन स्थितियों में शनि देव व्यक्ति को बहुत परेशान करते हैं, काम बाधा, व्यापार में नुकसार, नौकरी में दिक्कत और धन हानि भी कराते हैं जिस कारण व्यक्ति तनाव में चला जाता है और दिन रात सोचने लगता है. इन ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिए संबंधित ग्रहों से जुड़े देवताओं की पूजा, स्तुति और उपासना करने से लाभ मिलता है.


चंद्रमा का उपाय
चंद्रमा की अशुभता को दूर करने के लिए सोमवार को भगवान शिव की पूजा करें. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को जल चढ़ाएं. गाय की सेवा करें. दूध और श्वेत वस्त्र का दान करें.


चंद्रमा का मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः


राहु- केतु का उपाय
ये दोनों ग्रह छाया ग्रह माने गए हैं. लेहिन बहुत ही प्रभावशाली माने गए हैं. भगवान शिव, गणेश जी, मां दुर्गा और भैरव देव की पूजा करनी चाहिए.
राहु-केतु के मंत्र
राहु: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
केतु: ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः


शनि का उपाय
शनि देव की अशुभता को दूर करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें. दरिद्रनारायण की सेवा करें. सरसों के तेल का दान करें.


शनि का मंत्र
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।


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