Janam Kundli: जीवन में सफलता के सारे दरवाजे बंद कर देता है विष योग, जानें लक्षण और उपाय
Horoscope In Hindi: जन्म कुंडली में मौजूद शुभ योग व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर देते हैं वहीं अशुभ योग व्यक्ति का जीवन कष्टों से भर देते हैं. ऐसा ही एक खतरनाक योग है जिसे विषयोग के नाम से जाना जाता है.
Vish Yog in Kundli: ज्योतिष शास्त्र में विष योग को एक अशुभ योग माना गया है. जिस किसी भी व्यक्ति की कुंडली में विष योग का निर्माण होता है उसका जीवन कष्टों से भर जाता है. बार बार परिश्रम करने के बाद भी उसे सफलता नहीं मिलती है. जीवन भर ऐसा व्यक्ति संघर्ष करता रहता है.
जिस कुंडली में इस योग का निर्माण होता है वह व्यक्ति हमेशा धन की कमी से जूझता रहता है, व्यापार और नौकरी में भी ऐसे लोगों को परेशानियां आती रहती है. कुल मिलाकर ऐसे लोगों का जीवन संघर्षो से भरा रहता है. ऐसे लोगोें को हमेशा मानसिक तनाव बना रहता है. अनाश्यक भय इन्हें सताता रहता है.
विष योग ऐसे बनता है जन्मकुंडली में विष योग तब बनता है जब जन्मकुंडली के किसी भी भाग में शनि और चंद्रमा एक साथ बैठ जाएं या फिर ये ग्रह एक दूसरे को देखने लगे. ऐसी स्थिति में इस योग का निर्माण होता है.
इस बात का भी ध्यान रखें शनि और चंद्रमा की युति हो जाने मात्र से ही विष योग नहीं बनता है. इसके लिए इन ग्रहों की डिग्री और अवस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. कुछ विद्वानों का ये भी मत है कि अगर इन दोनों ग्रहों के बीच शुभ ग्रह आ जाएं तो इस योग में कमी आ जाती है.
शनि और चंद्रमा की विशेषता शनि को न्याय प्रिय ग्रह माना गया है. लेकिन जब यह चंद्रमा के साथ आ जाता है तो चंद्रमा को पीड़ित कर देता है. चंद्रमा मन का कारक है. इसलिए इस योग के बनने से सबसे पहले व्यक्ति को मानसिक तनाव होता है. उसे निर्णय लेने में दिक्कत आने लगती है. मन और मस्तिष्क का संतुलन नहीं बन पाता है और सही फैसले व्यक्ति नहीं ले पाता है.
विष योग का फल इस योग के कारण ऐसे लोगों की अपनी मां से नहीं बनती है. मनमुटाव की स्थिति रहती है. या फिर ऐसे लोग मां से दूर रहते हैं. यह योग खराब होने के साथ साथ कुछ अच्छी चीजें भी व्यक्ति को देता है. जैसे ऐसा व्यक्ति बहुत ही अनुभवी होता है. ऐसे लोगों को झूठ बोलने वाले और बनावटी लोग पसंद नहीं आते हैं. ऐसे लोगों को सामने वाले को समझने की गजब की क्षमता होती है.
विष योग को दूर करने के उपाय भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के व्रत इस दोष को दूर करने में सहायक होते हैं. वहीं पीपल के अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए. चांदी का दान करना चाहिए और दरिद्रनारायण की मदद करना चाहिए.
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