गुरु अशुभ होने पर विवाह में कराते हैं देरी, शुभ बनाने के ये हैं उपाय
ज्योतिष में गुरु को देवों का गुरु भी कहा गया है. जन्म कुंडली में जब ये शुभ होते हैं व्यक्ति को अच्छे फल देते हैं वहीं खराब होने पर ये मुश्किलें भी पैदा करते हैं. आइए जानते हैं गुरु के बारे में -
जन्म कुंडली: गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है. गुरु को ज्ञान का कारक माना गया है. जन्म कुंडली में जब गुरु उच्च होकर शुभ फल प्रदान करते हैं तो विपरीत परिस्थियों में भी व्यक्ति को उच्च पद प्रदान करते हैं यहीं नहीं धन के मामले में भी गुरु व्यक्ति को मालामाल बना देते हैं.
गुरु जन्मकुंडली का सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है. व्यक्ति के जब संपूर्ण जीवन का अध्ययन किया जाता है तो जन्म कुंडली में बैठे गुरु की स्थिति का भी गहराई से अध्ययन किया जाता है.
गुरु का प्रभाव
जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ होते हैं उसके जीवन में कई तरह की बाधाएं आती है. गुरु जब अच्छी स्थिति में नहीं होते हैं तो विवाह में देरी कराते हैं. पेट संबंधी बीमारी भी प्रदान करते हैं. मानहानि का कारण भी बनते हैं और व्यक्ति को अधिक आशावादी बना देते हैं. जिस कारण वह परेशान रहता है.
गुरु का स्वभाव
गुरु सबसे बड़ा ग्रह है. बड़े होने के कारण गुरु उदार भी है. लेकिन शक्तिशाली भी हैं. गुरु कुुंडली में जब शुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक सोच को नष्ट करते हैं उसक व्यक्तित्व प्रभावशाली बनाते हैं. ऐसे लोगों समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं. हर जगह ऐसे लोग सराहना पाते हैं.
गुरु का इनसे है संबंध
गुरु का संबंध धर्म-कर्म, आध्यात्म, दिव्यता, ज्ञान, वेद, दर्शन, संस्कृति, पूजा, यात्रा, सम्मान, दया और शक्ति से होता है. जब गुरु शुभ होते हैं व्यक्ति इन गुणों से पूर्ण होता है. या उसकी रूचि होती है.
गुरु के दोष ऐसे दूर करें
- बड़ों का सम्मान करें जिन शिक्षिकों से शिक्षा ली हैं उनका प्यार और आर्शीवाद प्राप्त करें
- घर या प्रतिष्ठान में गुरु यंत्र की स्थापना करें.
- मंदिर में चने की दाल और केसर का दान करें.
- पूजा के बाद माथे पर केसर का तिलक लगाना चाहिए.
- गरीब बच्चों या किसी जरूरतमंद को किताबें और शिक्षा से जुड़ी चीजों का दान करना चाहिए.
- गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए.