Janmashtami 2020 Date And Timing: जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को है. इस बार जन्माष्टमी का पर्व बेहद विशेष है. पंचांग के अनुसार इस दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है. ग्रहों की स्थिति की बात करें तो इस दिन सूर्य कर्कराशि में रहेंगे.


कब हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म
जन्माष्टमी के दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. मान्यता है कि कृष्ण का जन्म का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था. इसीलिए भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है. अष्टमी की तिथि हो और नक्षत्र रोहिणी हो तो यह एक बहुत ही विशेष संयोग माना जाता है.


जन्माष्टमी कथा
कथाओं के अनुसार द्वापर युग में मथुरा नगर में उग्रसेन राजा राज्य करते थे. उनके पुत्र का नाम कंस था. लेकिन उसने एक दिन मौका पाकर अपने पिता को सिंहासन से उतारकर कारागार में डाल दिया और स्वयं को राजा घोषित कर दिया.


आसमान में हुई आकाशवाणी
कंस की एक बहन भी थीं जिनका नाम देवकी था. देवकी का विवाह वासुदेव के साथ तय हुआ और धूमधाम से विवाह की सभी रस्मों को पूरा किया गया लेकिन कंस जब देवकी को विदा करने के लिए रथ से जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा.


वासुदेव ने कंस को समझाया
आकाशवाणी सुनकर कंस भयभीत हो गया उसने देवकी को मारने की ठान ली, लेकिन वासुदेव ने उसे समझाया कि इसमे देवकी का कोई दोष नहीं है, देवकी की आठवीं संतान से भय है. इसलिए वे अपनी आठवीं संतान को कंस को सौंप देंगे.


देवकी और वासुदेव को डाल दिया कारागार में
कंस को वासुदेव की बात समझ में आ गई और लेकिन उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद कर लिया. लेकिन तभी वहां पर नारद जी पधारे और कंस से पूछा कि आठवां गर्भ कौन-सा होगा, ये कैसे ज्ञात होगा. इस पर कंस ने देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले सभी बालकों को एक-एक करके हत्या कर दी.


अष्टमी तिथि को जन्मे भगवान श्रीकृष्ण
समय गुजरता गया और भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार में तेज रोशनी हुई और सभी दरवाजे खुल गए, सैनिक सो गए. रोशनी धीमी हुई तो वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लेंगे. उन्होंने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें तुंरत गोकुल में नन्द बाबा के यहां पहुंचा दें और उनके यहां अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें. वासुदेव जी कृष्ण को सौंपकर कन्या कंस को दे दी. कन्या को मारने के लिए जैसे ही कंस ने हाथ को ऊपर उठाया तभी कन्या आकाश में गायब हो गई और भविष्यवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो गोकुल में पहुंच चुका है. यह सुनते ही कंस क्रोधित हो उठता है. बालपन में भगवान ने कई लीलाएं रची और एक दिन अवसर आने पर मथुरा पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर दिया.


जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त
11 अगस्त, 2020- निशिता पूजा का समय: 12:05 AM से 12:47 AM,  12 अगस्त
अवधि: 00 घण्टे 43 मिनट्स


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