Mahabharat In Hindi: श्रीकृष्ण ने बाल स्वरुप में ही कई राक्षसों का वध कर दिया था. पूतना, बकासुर और वत्सासुर राक्षस का वध श्रीकृष्ण ने खेलते ही खेलते कर दिया था. कंस अपनी जान बचाने के लिए गोकुल में श्रीकृष्ण को मारने के लिए निरंतर कोई न कोई राक्षस भेज रहा था. इन राक्षसों का बड़ी आसानी से भगवान श्रीकृष्ण वध करते जा रहे थे.


पूतना वध से परेशान हुआ कंस
पूतना वध के बाद कंस बुरी तरह भयभीत हो गया. उसे अपना काल दिखाई देने लगा था. पूतना कसं की सबसे खतरनाक राक्षसी थी,लेकिन कृष्ण ने उसका भी वध कर दिया. कंस पूतना के वध से व्याकुल हो गया तब उसने तृणावर्त राक्षस को कृष्ण को मारने के लिए नंदगांव भेजा.


तृणावर्त राक्षस को भेजा नंदगांव
पूर्व जन्म में तृणावर्त राक्षस नहीं था. पौराणिक कथा के अनुसार पांडु देश में सहस्त्राक्ष नामक राजा राज्य करता था. एक दिन राजा अपनी रानियों के साथ नदी में जलविहार करने के लिए गया. जल क्रीड़ा के दौरान वहां से महर्षि दुर्वासा गुजर रहे थे. राजा जलक्रीड़ा में इतना मग्न था कि वह महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करना ही भूल गए. इससे दुर्वासा ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा को राक्षस होने का शाप दे दिया. राज को अपनी गलती को अहसास हुआ और दुर्वासा ऋषि से क्षमाउ मांगी. तब महर्षि ने बताया कि श्रीकृष्ण के हांथों तुम्हारा उद्धार होगा. दुवार्सा ऋषि के शाप के कारण राजा सहस्त्राक्ष अगले जन्म तृणावर्त राक्षस बना.


तृणावर्त को प्राप्त बबंडर बनने की शक्ति
तृणावर्त एक ऐसा राक्षस था जो तेज आंधी और शक्तिशाली बंबडर का रूप ले लेता था. उसके सामने जो कुछ भी आता था उसे उड़ाकर ले जाता था. कंस से तृणावर्त को गोकुल में कृष्ण का वध करने के लिए भेजा. गोकुल में जब माता यशोदा कृष्ण को दूध पिला रही थीं. तभी तृणावर्त ने आसमान में तेज हवाएं चलाना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में आंधी के कारण बादल काले हो गए. स्वयं तृणावर्त एक बबंडर का रूप लेकर आया. हर चीज अपनी जगह से उखड़ने लगी. माता यशोदा की गोद में आराम से दूध पी रहे भगवान श्रीकृष्ण समझ गए कि कोई राक्षस आ गया है. उन्हें इस बात का ज्ञान हो गया कि तृणावर्त राक्षस उन्हें माता यशोदा की गोदी से आकाश में ले जायेगा. अगर वे मां की गोद में लेटे रहे तो ये मां को भी नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए कृष्ण ने यशोदा माता की गोदी में लेटे ही लेटे अपना वजन बढ़ाना शुरू कर दिया.


भगवान ने इतना वजन बढ़ा लिए की यशोदा उन्हे गोद जमीन पर लिटाने के लिए विवश हो गईं. तभी राक्षस ने अंधेरा कर दिया और तेज काली आंधी चलाने लगा. और मौका पाकर तृणावर्त ने भगवान को अपनी गोद में लिया ओर आकाश में उड़ गया. कृष्ण ने तृणावर्त का गला पकड़ लिया और इससे राक्षस परेशान हो उठा और बचने का प्रयास करने लगा लेकिन श्रीकृष्ण ने तब तक उसकी गर्दन नहीं छोड़ी जब तक उसकी प्राण न निकल गए. इस प्रकार तृणावर्त को शाप से मुक्ति मिली.


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